Monday, December 23, 2013

बहुत याद आते हो तुम I Miss You So Much

 
 
 जब भी इस दिल को दर्द हुआ, तुम याद आए।
जब भी मैं थक कर चूर हुई, तुम याद आए।

 जब भी मिले धोखे दुनिया वालों से,
याद आई तुम्हारी वफाएं।

जब भी टुटा दिल दुनिया के प्रपंच से,
देख ली अपने पर्स में रखी तेरी तस्वीर

जब भी खुद को अकेला पाया, तुम याद आए।

 याद आया तुम्हारा मेरे करीब से गुजर जाना,
और आगे जाकर कुछ ठहर कर मुड़ जाना,
पलट कर मुझे देखना और मुस्कुरा देना,
 और तसल्ली करना कि कही मेरी आंखे पीछा तो नहीं कर रही तुम्हारा।
 
बातों - बातों में तुम्हारा मुझ से मेरे ख्वाब पूछ लेना,
और फिर उन ख्वाबों को सच करने की कोशिश में जुट जाना।

जब ट्रेन चल दे उसके साथ दौड़ते रहना,
मेरे पैर दुःख जाने जाने पर उन्हें सेहला देना,
मेरे रो देने पर बाहों में भर लेना,
मुझे बच्ची की तरह समझा देना|

 याद आता है अपनी शर्ट में महकता तेरा पसीना
तेरे  बालों का टूट कर मुझसे लिपट जाना

 सच कहु तो जब भी बढ़ जाते है दुनिया के झमेले
जब भी हो जाते है हम अकेले
बहुत याद आते हो तुम
बहुत याद आते हो तुम
 

 

 

 
 
 
 

 
 

Saturday, November 16, 2013

A Letter to Sachin Tendulkar


A Letter to Sachin Tendulkar
एक पत्र सचिन के नाम -
प्रिय सचिन,
                 तुम्हारा और मेरा रिश्ता तो मुझे आज भी नहीं पता। आज तो तुम मुझे जानते भी नहीं हो पर मेरे पिछले दस सालों में तुम्हारे नाम पर मै हजारों बार हंसी और रोई हूँ।
याद है मुझे, 2003 की तुम्हारी वो पकिस्तान के विरूद्ध खेली गयी पारी। माँ कहती  रहती थी तुममे एक क्लास है, तुम्हारी बैटिंग वाली खूबी किसी में नहीं।
माफ़ करना सचिन पर मैं एक गांगुलियन हूँ, मेरे लिए तुम शायद 2006 तक सैकंडरी थे। फिर तुम्हारे व्यक्तित्व के कई और पहलू देखे मैंने, अच्छा दोस्त, आदर्श भारतीय, बेहतर पति, प्यारा बेटा, योग्य शिष्य, एक जन नायक। जिसे लोग देखते है, जिसके जैसा बनना चाहते है, जिससे सीखते है।
धीरे धीरे तुम से मुहब्बत हो रही थी। लेकिन, तब पता चला कि तुम्हारा फैन होना बहुत कठिन है। दसवीं की मेरी वो परीक्षा, मेरा गणित का पेपर और तुमने मुझे एक घंटे भी पढ़ने नहीं दिया। सारे वक़्त में टीवी से चिपके इंडियाआआआआ चिल्ला रही थी। मेरा वो दोस्त जिससे मैंने पांचवी के बाद कभी बाद नहीं की थी उसे उस दिन तुम्हारे शतक लगाने की ख़ुशी में सब शिकवे भुला कर गले गला लिया था।
तुमने मुझे सिखाया कि अपने सपनों का पीछा करो, सपनें सच होते है।
फिर एक बात और पता चली कि तुम्हारे फैन होने का मतलब है अपने ही दोस्तों से झगड़ा करना। कई बार कि तुम कुछ नहीं कर सकते, मेरी आँखों से आसूं लुढ़के, ना जाने कितने अपनों से मै तुम्हारे लिए लड़ पड़ी। हर बार वे तुम्हारे समर्पण, श्रद्धा, निश्चय और प्रयासों पर सवाल उठाते थे, लेकिन खंजर मेरे सीने पर चलता था।
राहुल, वीरू, लक्ष्मण, माही, पोंटिंग, गिब्स सबसे प्यार था मुझे लेकिन, इस प्रेम की जड़ में मेरा पूर्ण पुरुष तुम थे सचिन।
तुम्हे क्या पता, एक बार बड़े शौक से मैँ 15 रुपये का तुम्हारा पोस्टर लाइ थी। सोचा था इसे अपनी पलंग के पास लगाउंगी, लगाया भी। अगली सुबह इतनी मनहूस होगी मुझे नहीं पता था, उसी सुबह तुम्हे टेनिस एल्बो हो गया। ना जाने कितने विशेषज्ञों ने तुम्हारा कैरियर ख़त्म होने की भविष्यवाणी कर दी। "ये सब मेरी वजह से हुआ ना, सचिन, ना मै पोस्टर लगाती ना तुम बीमार होते।" रो रो कर मैंने वो पोस्टर फाड़ा था। लेकिन उसके टुकड़ों के साथ मेरा भी दिल फटा था।
पता है, उस दिन के बाद मैंने कभी तुम्हारा नाम तक नहीं लिया, कभी नहीं कहा कि तुम मेरे लिए क्या हो। तुम्हे कितना पुजती हूँ, कितना चाहती हूँ, सब अपने दिल में दबा लिया।  तुम्हारे चौकों - छक्कों पर नाचने और झूमने का हर बार दिल हुआ पर मैं अपनी भावनाएं दिल में ही दबाती रही। यह सोच कर कि कहीं तुम आउट ना हो जाओ। खुद पर बहुत गुस्सा आया, चिढ हुई कि मैं तुम्हारा जश्न नहीं मना सकती, कई बार तो यु ही अपने इसी अन्धविश्वास की खातिर झूठ मुठ ही सही पर तुम्हारी बहुत बुराइयां भी कि, मुझे इन सबके के लिए माफ़ कर दो सचिन। कर दोगे ना?
तुम्हारा दिल भी तो बहुत बड़ा है ना। 
आज भी बहुत कुछ कहना है मुझे तुमसे, लेकिन मुझसे शब्द नहीं निकल रहे। समझ सकते हो ना मेरी स्थिति। तुम भी तो इससे गुजरे हो अपने आज के रियरमेंट भाषण के दौरान।
मुझे एक बात बताओं सचिन, तुम इतना मीठा, इतना प्यारा और इतना अद्भुत कैसे बोल लेते हो। चाहे तुम्हारे पापा की कवितायें हो या मैच के बाद की स्पीच। दिल जीतने का यह हुनर कहाँ से सिखा तुमने? सिखा तो अच्छा किया लेकिन आज संन्यास लेकर दिल दुखाना रुलाना कहाँ से आ गया तुम्हे? तुम तो अब तक हमें ख़ुशी के आंसूं देते आये थे। आज क्या हो गया अचानक?
सौरव रिटायर्ड हुए मैं दो दिन तक सुबकी, राहुल के वक़्त पूरे हफ्ते दिल दुखता रहा। आज भी कई बार पूछ बैठती हूँ कि राहुल ने कितने बनाये। तो तुम ही बताओं ना, तुम्हारे बिना कैसे जिउंगी? कितनी बार तुम्हे याद करुँगी।
तुम ने अपनी प्रतिभा से पूरी दुनिया को भारत की ओर देखने के लिए मजबूर कर दिया। सौरव गांगुली के तेज दिमाग, राहुल द्रविड़ के संयम, वीवीएस लक्ष्मण की कलात्मकता, सहवाग के विस्फोट ने तुम्हारी नैसर्गिकता को अपराजेय बना दिया। तुम सेंचुरी पर सेंचुरी मारते गए। पहले गावस्कर का 34 शतकों का रिकॉर्ड तोड़ा, फिर सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले। तुम्हारे वो सौ शतक आज आँखों में घूमते है, अगर भगवान् भी मुझे सौ वरदान मांगने को कहे तो मै उससे तुम्हारी वो सौ पारियां दुबारा देखना मांग लूं।
हम हमेशा लड़े, सचिन, कभी जाती के नाम पर कभी धर्म के नाम पर, कभी प्रान्त के नाम पर। लेकिन जब जब तुम आये हम सब एक हो गये। सचिन, देश को  एक सूत्र मे बांधने, इतनी खुशी देने के लिए शुक्रिया!



Saturday, November 9, 2013

बस एक तू बदल गया है। You are Changed......

 
आज फिर गुजरी उन रास्तों से,
जहां हम मिला मिला करते है।
 
कल गूंजती थी वहां हमारे स्नेह की दास्तान,
पर आज वहां पसरा है तो बस सन्नाटे का वीरान।
 
इक तुझसे बिछड़े के बाद क्या क्या ना बदला,
अब उन रास्तों ने भी मुझे अजनबी की तरह देखा।
 
जैसे नहीं हो मेरा वास्ता कोई, उन रास्तों से,
ना हो मेरा परिचय कोई उस पेड़ की छाँव से।
 
शायद, तुम्हारी तरह भूल गये वे भी,
कि वे ही मेरा काबा, मेरा मदीना और है मेरी काशी,
जहां मिला करती थी मै तुमसे, और हो जाती थी हाजी|
 
जहां गाती थी तुम्हारे गीत मै किसी मीरा की तरह,
जहां बुनती थी कुछ सपने उन्मुक्त बालिका की तरह।
 
जहां सुनाती थी, तुझे अपनी गीता किसी कृष्ण की तरह,
बिना थके, बिना झुंझलाए तू भी सुनता था उसे अर्जुन की तरह।
 
तुम्हारे बिछडने से बदल गया है कितना कुछ,
जिंदगी बदली है कुछ अंदाज बदले है।
 
पर वो पेड़, वो गलियां, वो लहरे, वो समुंदर
सब कुछ आज भी वैसा ही है।
बस एक तू बदल गया है।
 
 

 

Wednesday, October 23, 2013

जाने वो कैसा होगा, I Miss You

 
जब भी वो हंसता होगा,
सबको दीवाना करता होगा.
 
मुझ को तन्हा किया है,
तडफता वो खुद भी होगा. 

जमाने से देखा नहीं उसको,
जाने वो कैसा होगा.
 
जिन गालों को चूमा था मैंने,
उनको अब भी छूता होगा.
 
सुन कर मेरा नाम शायद,
एक बार तो वो चौंकता होगा.
 
लाल जोड़े में सजी मेरे साथ,
कटार लिए वो कैसा लगता होगा.
 
शायद मुझसे वापस मिला दे,
ऐसी कोई लकीर हाथ में खोजता होगा.
 
अपने बाल बिखर जाने पर,
मुझ पर बरसने को मचलता होगा.
 
अकेले पड़ जाने पर, थक जाने पर,  
कभी तो मुझे याद करता ही होगा.
 
जाने वो अब कैसा होगा  
जाने वो अब कैसा होगा  
 
 
 
 
 
 

Wednesday, October 16, 2013

आ जा फिर से.…. Come Again


आ जा फिर से.….
आ जा फिर से कर ले इक गुस्ताखी 
आ जा फिर मिटा ले वो दूरियां सारी 
आ जा फिर मिल जाए हम दोनों
आ जा खुद में खो जाए हम दोनों 
आ जा कुछ पा ले हम दोनों 
आ जा सब कुछ खो दे हम दोनों 
आ जा फिर दे उनको जलने का बहाना 
आ जा फिर दे उन्हें कोसने का  फसाना 
आ जा रिती रिवाज भुला दे हम दोनों 
आ जा रस्मों को मिटा दे हम दोनों 
आ जा एक पहचान बनाए हम दोनों 
आ जा एक मिसाल बन जाए हम दोनों 

Tuesday, October 1, 2013

You Have a swear 'कसम है तुमको'

कसम है तुमको



कसम है तुमको ! याद ना रखना मेरे उसे प्रेम को |

भुला देना मेरा वो समर्पण,
भुला देना तुम्हारे सम्मान के लिये लड़ी गई मेरी उन लड़ाइयों को,
याद ना रखना तुम्हे देख कर मेरे ह्रदय में उमड़ी उन अंगडाईयों को,
भुला देना तुम्हे देखने के लिये की गई मेरी प्रतीक्षा को,
याद ना रखना विरह में गिरे मेरे उन आंसूओं को .... 

भुला देना तुम्हारे उस स्नेह को,
भुला देना मेरी उस मेहनत को जो में तुम्हारे लिये संवाद जुटाने को करती थी,
याद ना रखना मेरी उन कोशिशों को जो में तुम्हारे लिये सुन्दर दिखने को करती थी,
भुला देना मेरी उन प्रार्थनाओं को जो मैं तुमसे मिलने के लिये करती थी,
याद ना रखना प्रेम भरे उन गीतों को जो मैं तुम्हारे लिये गाती थी ....

भुला देना तेरा वो मुझसे लगाव,
भुला देना जो बहस - मुबाहिसे जो तुमने मेरे सम्मान में की थी,
याद ना रखना मुझे जो सलाहें तुमने दी थी,
भुला देना वो दुलार भरी डांटे जो तुमने मुझे दी थी,
याद ना रखना वो शरारते जो तुमने मुझे हंसाने को की थी ....

भुला देना वो प्रेम भरे निवेदन,
भुला देना मेरे केशों में गजरा लगाने की तुम्हारी वो नाकाम कोशिश,
याद ना रखना मेरा चुम्बन लेने की तुम्हारी वो पहली नाकाम कोशिश,
भुला देना मुझे खिंच कर बाहों में भर लेने की तुम्हारी वो कोशिश,
याद ना रखना मेरा जूठा चुरा कर खाने की तुम्हारी वो कोशिश ......  

भुला देना प्रेम के उन पवित्र तीर्थो को,
भुला देना प्रेम के उस पहले आलिंगन को,
याद ना रखना उन गली कुंजो को,
भुला देना मेरी आँखों के चमकते अपने चेहरे को,
याद ना रखना तेरे लिये दुवा मांगते मेरे होंठो को .......

है कसम तुझे, भुला देना मेरे होने के अहसास को,
भुला देना मेरी संगत में तुझे मिले उस सुखद एहसास को,
याद ना रखना मेरी उन शरारतों को, उन खिखिलाहटो को,
भुला देना हमारी उन अनकहीं बातों को,
याद ना रखना हमारी आपस में बात करती आँखों को .....

भुला देना यह भी, कि तेरे जीवन में मेरा स्थान क्या था?
भुला देना मुझे देख कर तेरे चेहरे पर नाचती मुस्कान को,
याद ना रखना तेरे मेरे उस बेशुमार जुड़ाव को,
भुला देना एक दूजे के लिये बर्बाद की गयी नींद को,
याद ना रखना मेरे झरते - बहते नयनो को .......

है कसम तुझे, भुला दे सब को
है कसम तुझे, आजमा ले मुझ को
भुला सकता है अगर सच मुच तो भुला के दिखा मुझको

Monday, September 2, 2013

पा जाती हूँ हर कही तुम्हे

पा जाती हूँ हर कही तुम्हे
आँखें बंद कर के
धडकनों को कुछ थम कर
महसूस कर लेती हूँ तुम्हे
हर कही, हर पल
आसमान में ऊँची उडती चिड़ियाँ के साथ उड़ते
समंदर की गहराइयों में मछलियों के संग तैरते
किसी फूल पर बैठ कर भँवरे की तरह रस चूसते
किसी तितली की तरह डालियों पर मंडराते
खुद के भीतर पा जाती है तुम्हे
खुद के साथ रोते और हँसते महसूस करती हूँ तुम्हे
वीरानियों में और आबादियों में महसूस करती हूँ तुम्हे
लहराती हुई डालियों और झूमती हुई फिजाओं में पाती हूँ तुम्हे
फड़फड़ाती हुई पत्तियों और बलखाती हुई हवाओं में पाती हूँ तुम्हे
पंछियों के साथ चहचहाते, कोयल के साथ गाते देखती हु तुम्हे
जहां देखती हु तुम्हे देखती हूँ में
पा जाती हूँ हर कही तुम्हे 



Tuesday, January 1, 2013

Life, Love & Peace




“आत्मिक शांति के लिये हर व्यक्ति को अपने मन की सुनने और उस अनुसार आचरण करने का अधिकार हैं.”

यह एक शास्वत सत्य हैं. लेकिन विडंबना यह हैं कि हर परिस्थिति में यह कथन परिवर्तित हो जाता हैं.

आज आपकी उम्र चाहे कितनी भी हो लेकिन जिस दिन से आपने जीवन को समझना शुरू किया होगा, जीवन ने आपको भावनाओं, एहसासों और संवेदनाओ से जरुर रूबरू करवाया होगा.

जहाँ जहाँ जब जब किसी से आशाएं जोड़ी जाती हैं, तब दिल कहीं ना कहीं हल्का सा ही लेकिन टूट जाता हैं. ‘शायद इसी लिये कहते हैं कि ‘एक्पेकटेशंस सक्स’ प्रेम कितना भी अटूट हो, लेकिन जब तक उसमे कोई अपेक्षा  नहीं रहती हैं, हर चीज सुख देती हैं, हफ्ते में एक बार भी बात हो जाए खुशी की कली खिली रहती हैं, लेकिन जिस दिन आशाएं शुरू होती हैं, उसका किया हुआ हर प्रेम पूर्ण कार्य भी छोटा लगता हैं.
और शायद तब दिल टूटने शुरू होते हैं. और जो अपने होते हैं उनके दिए हुए ये जख्म आसानी से भर नहीं पाते हैं, कई बार तो जिंदगियां लग जाती हैं, इसलिए हि तो कहते हैं ‘इश्क वो खेल नहीं जो छोटे दिल वाले खेले, रूह तक कांप जाती हैं, सदमे सहते सहते.’

और कई बार जब हम उस सदमे से उबार जाते हैं तो इस लायक नहीं बचते कि फिर किसी पर विश्वास कर सके, किसी के हाथो में उम्मीदों का दिया सौंप सके. तब जाकर शुरू होती हैं भावनाओं की मौत का एक अनजाना सिलसिला.  

प्रेम की वो कामना तो अमर हैं, लेकिन उसे हम भीतर ही भीतर रोज मार डालते हैं.   
लेकिन क्यू, यही तो वह एहसास हैं जो हमें रोज जिन्दा रखता हैं,
हमारा समाज, एक परिभाषा बना कर बैठा हैं कि आंसू गिरना कमजोरी की निशानी हैं, और शायद इसलिए हमारा अहम यह स्वीकार नहीं करता कि हम कमजोर बने.

लेकिन मुझे एक बात बताइए -

क्या किसी की याद में आंसू गिरना गुनाह हैं ?

क्या किसी के सामने अपनी भावनाये रखना गुनाह हैं ?

क्या किसी से प्रेम का प्रतिदान मांगना गलत हैं ?

क्या किसी कि और निन्यानवे कदम चलके उससे एक कदम आगे आगे चलने की आशा करना गलत हैं ??

क्या भावनाहीन बनकर जीना आसान हैं ?

हां, शायद यही ज्यादा आसान हैं, और बुद्धिमत्तापूर्ण भी.  

लेकिन फिर क्यू हम शाहरुख खान टाईप, बर्फी सरीखि फिल्मे देख कर अपने आंसू नहीं रोक पाते, क्युकी हजारों मौत मारने के बाद भी वे भावनाये वहाँ जिन्दा बच जाती हैं,  
लेकिन फिर भी आप, बर्फ की उन बंद दीवारों में जीना चाहते हैं ?? जो सिर्फ और सिर्फ आपका दम घोंट रही हैं, किस मजबूती का ढोंग कर रहे हैं आप ??

 जब एक मुस्कराहट सब कुछ ठीक कर सकती हैं. याद कीजिये वो दिन जब माँ कि गोद स्विजरलेंड की वादियों से भी खूबसूरत लगता था, वो आज भी उतना ही खूबसूरत हैं, बस आपने वो रंग देखने बंद कर दिए.

 क्यू हर दुःख में हम किसी सबसे प्रिय के सीने से लगना चाहते हैं ??
क्युकी हम इंसान हैं, भावनाए हम में आज भी जीती है.
लेकिन फिर भी ना जानने क्यू हम मशीन बन गए हैं, भावनाये जताने में डरने लगे हैं?
 प्रेम की चाह सबको हैं लेकिन उसे मांगना कोई नहीं चाहता.
लेकिन आखिर क्यू  उसे ना मांगा जाए जो आपको सबसे ज्यादा खुशी देता हैं.
जो आपको मुस्कुराने के लाखो मौके दे उससे ये नाउम्मीदी क्यू ?


हां, प्रेम में थोड़ी सी मूर्खताए होती हैं, लेकिन बच्चे भी तो सभी को इसीलिये अच्छे लगते हैं क्युकी वे थोड़ी सी मूर्खताए करते हैं, सभी एक बार फिर से बच्चा बन जाना चाहते हैं, लेकिन फिर भी बच्चा बनने से कतराते हैं, जब पता हैं कि यह एहसास खुशी देगा तो आखिर क्यू उस खुशी से डरना, क्यू किसी और की परवाह करना.  

अपने भीतर से उस मजबूत इंसान को मत मारिये, आने दीजिए उसे बाहर,
लड़ने दीजिए उसे जिंदगी की जंग हो सकता हैं इस बार वही जित जाते, जिसे आप कमजोर समझ कर लड़ने का मौका ही नहीं दे रहे थे,

भावनाये अमर हैं उन्हें मारा नहीं जा सकता, उन्हें मारने के नाम पर अपने जीवन की शांति को मारना बंद करो.  
भावनाएं तो आजाद परिंदे हैं, उन्हें जीभर के उड़ान भरने दो.  


प्रेम करते रहो, सब से, हर एक से,

क्या पता किसी से तुम्हे भी बदले में वैसा प्रेम मिल जाए, जिसका स्वप्न तुमने संजोया था.

हर पल जियो, प्रेम लूटाओं, खुश रहो,
मौके तलाशने की क्या जरुरत हैं ??