Friday, December 28, 2018

Feminist

एक बेहद खुशकिस्मत लड़की की तरफ से दुनिया की तमाम बदकिस्मत महिलाओं और उनमें रहती पुरूषवादी सोच के लिए –
बहुत दिन बाद कुछ लिखा-

........हां, हम कहेंगे तुम्हें कुल्टा और कुलक्षिणी,
क्योंकि तुम जी लेती हो वो जिंदगी जो जीने का हक,
कभी नहीं मिला हमको इस समाज से।
जैसे तुम अकेले ही दो बलिश्त का स्कर्ट पहन कर,
नाप लेती हो दुनिया सारी,
ट्रेन में, बस में बिना ड़रे बिना किसी पुरूष पर निर्भर हुए,
जी लेती हो अपनी जिंदगानी।
बैंक जाकर कर आती हो फिक्स डिपोजिट
डर नहीं लगता क्या तुमको,
हम तो बचपन से पिता और पति के दिए पैसो से
चलाते है अपने घर को।
कहेंगे तुम्हें कुल्टा क्योंकि
तुम एक पलंग पर अपने बाप के कंधे पर हाथ रखकर बैठ जाती हो,
हमसे तो छिन लिया गया था यह हक
स्तनों के उगते ही।
तुम हो बदचलन क्योंकि जाती हो दफ्तर अकेले,
उसी समाज में जिस में छोटे भाई को,
साथ लेकर जाते थे हम सहेली के घर,
क्योंकि नहीं मिली इजाजत हमें अकेले जीने की।
जब तुम बाल लहरा कर सब्जी का थैला जमीन पर रख कर
अपने घर का ताला खोलती हो न तो सांप लौट जाता है सीने पर क्योंकि
तुमको मिली है इजाजत अकेले जीने की
कैसे जी लेती हो तुम बिना पुरूष पर निर्भर हुए
इसलिए ही कहते है हम सौ पुरूषों संग सोती हो तुम।
बिना पति और पिता के डर नहीं लगता तुमको,
हमने तो बचपन से सीखा है कि बाहर तैयार है भेड़िए नोचने को।
इन सबसे बचके जी लेती हो तुम
कैसे
क्यों
कहां से लाती हो इतना माद्दा जो योनि और स्तन वाले घर में घिरे हर प्राणी के नसीब नहीं आता।

(बेहद प्यार से पापा के लिए, शुक्रिया मुझे मैं बनाने के लिए)
- आशिता दाधीच