Sunday, February 21, 2016

Valentains day

मेरा आज का ताजा अनुभव संस्मरण रूप में आप सब के लिए


वैलेंटाइन डे
प्यार का त्यौहार, हेहेहे, पहले ही गिरगांव आग के चलते ऑफिस से निकलने में घंटे भर की देर हो गई थी, और फिर दादर आकर तीन ट्रेन छोड़नी पड़ी, वैलेंटाइन डे का क्राउड जो था, चौथी ट्रेन पकड़ ही ली, वह ट्रेने जो कल तक भयानक बदबू मारा करती थी, आज भयानक तरह के चित्र विचित्र परफ्यूमों की खुशबू से महक रही थी, उसके अलावा हर तरह के फूल का बूके, अजीब सी दिखने वाली पेंसिल जिनमे बड़े बड़े दिल बने थे, फुटबॉल के आकर के गुब्बारे दिल के आकार में, मैं तो दिन भर मेक इन इंडिया से थक गई थी, कोने में दुबक कर खड़ी हो गई, पास ही एक महिला थी, जामुनी रंग के अजीब से वन पीस में, देख कर ही पता चल रहा था किसी से उधार लिया है, और मैडम उसे सम्भाल भी नहीं पा रही है, दूसरी तरह एक मैडम दादर, बांद्रा अँधेरी हर जगह ट्रेन रुकने पर बैग से निकाल कर डियो लगा रही थी, तीसरी को शायद दो बॉय फ्रेंड थे क्योंकि पहले फोन पर मिलने को धन्यवाद दे रही थी और दुसरे फोन पर टाइम से मलाड में पिक करने को कह रही थी, हर पांचवी महिला ने अपने मोवाइल का स्पीकर खोल कर तेज आवाज में कमली कमली और जादू है नशा है के गाने चला रखे थे, ये बताने को शायद कि वे बड़े रोमांटिक मूड में है कुछ इतने नशे में थी कि खड़े भी नहीं हुए जा रहा था और इस बीच में कल की स्टोरीज, मेक इन इंडिया और हेमा की चिंता में घुली घुली बार बार मैसेज चेक करके गिरगांव अग्नि काण्ड की अपडेट ऑफिस को दे रही थी, अचानक एक भयंकर रूप से खुशबू मारती हुई लड़की मेरे पास आकर खड़ी हुई, उसे शायद मुझे देख कर आश्चर्य हो रहा था कि मैं इतने साधारण कपड़ों उलझे बालों और बिना मेक अप में क्यों हूँ, बोरीवली आते आते वो पूछ बैठी, आप भी मरीन ड्राइव गए थे, मैंने कहा नहीं, ऑफिस, पर आज तो सन्डे है वो अचकचाइ। मेरा प्रोफेशन ही ऐसा है आई वर्क ऑन सन्डे, मैंने कहा। तो आपने वैलेंटाइन डे कैसे मनाया उसने कहा आपको बॉय फ्रेंड नहीं है क्या, उसकी आवाज में मेरे लिए बेहद दुःख टपक रहा है। उसे शांत करने के लिए मैंने कहा हम तो दिवाली भी नहीं माना पाते है, हमारे प्रोफेशन में चलता है। पर दीदी दिवाली तो बुड्ढे लोगो के लिए है, वी डे की डेट तो होनी ही चहिये नहीं तो कितना अक्वार्ड लगता है, आज का ही तो एक दिन गई जब हमे लव्ड फील होता है... भायंदर आने वाला था, मैं आगे बढ़ गई, पर क्या सचमें लव्ड फील करके के लिए दिन होते है, जब माँ बिस्तर में लाकर दूध देती है, बहस करने के बाद भाई सॉरी कहता है, गहरी नींद में सोता देकर पा के कहकर कि मेरी बेटी थक गई होगी, पैर दबाते है, तब लव्ड फील नही होता?

Friday, February 5, 2016

The girl

उलझी सी वो पगली सी लड़की,
कौन है अपना 
कौन पराया नहीं जानती।
अपनों को खोती, 
गैरों से मिलती, 
चोट खाती
बार बार गिर जाती 
उलझी सी वो पगली सी लड़की। 
कितनों के आंसू पोंछा करती
हर रात खुद से तन्हा रोया करती
कुछ पाने को 
फिर ख्वाब संजोती
उलझी सी वो पगली सी लड़की। 
खुद ही खुद पे इठलाती, 
बाल बनाती 
काजल लगाती
फिर खुद के पोंछ के सिंगार जोगन सी हो जाती।
उलझी सी वो पगली सी लड़की। 
किसी की एक झलक की खातिर 
मीलों तक चल के जाती, 
थोड़ी सी अवहेलना पर मुंह फुला के बैठ जाती,
गमों की गंगा पल में पी जाती।
उलझी सी वो पगली सी लड़की। 
महलों से भी खुश न होती
सूखी रोटी पर रीझ जाती
दुनिया की हर रीत निभाती
उलझी सी वो पगली सी लड़की। 
चिड़िया सी गुन गुन गाया करती
दुनिया की रस्मों से टकराती, 
कुछ बदलने की कसम उठाती
उलझी सी वो पगली सी लड़की। 
एक पल सब कुछ पाने को लड़ जाती
दूजे सब सब लुटा देने को जुट जाती, 
पहाड़ों को सह जाती पर कंकड़ से डर जाती 
उलझी सी वो पगली सी लड़की। 
सारी दुनिया को दोस्त बना कर 
फिर भी तन्हा रह जाती, 
उलझी सी वो पगली सी लड़की,
उलझी सी वो पगली सी लड़की.... 
©आशिता दाधीच 
#AVD

Thursday, February 4, 2016

The Time.

क्या दौर था वो जब हुआ करते थे हम करीब
फिर आया वो दौर जब से न मिले है हम
ना बोलते है हम
क्या गलत था
मैं
तुम या
हमारे अहम
कई बार चाहा कि गिर जाएँ ये दीवारें
तोड़ दी जाए बर्फ की वह दिवार
पर हिम्मत ही ना हो पाई कभी
और यह भी लगा कि शायद
तुम्हे ही नहीं पसंद मेरा साथ
नहीं तो करते तुम भी कोई पहल
तुम्हारा साथ
जो था मेरे जीवन की सबसे अमूल्य थाती
तुममे मेरा बेस्ट फ्रेंड भी था, पिता भी भाई भी,
और तुम जैसा ही चाहती थी मैं अपने जीवन का साथी,
कैसे समझाऊ तुम्हे कितने ख़ास हो तुम,
दिल के कितने पास हो तुम,
मत पूछो मुझसे कैसी हूँ मैं,
पर हर दस पंद्रह दिन में जता दिया करों
कैसे हो तुम,
यह जानना तो हक़ है ना मेरा
क्युकिँ एक दौर में कहते थे तुम
मैं सबसे करीब हूँ तुम्हारे,
मुझे खुश देखना चाहते हो तुम.
तो बस मुस्कुरा दिया क्रौन एक बार मेरी ओर
हो जाएगा करूंगी मैं ठीक,
जिंदगी की भाग दौड़ के बीच
उतार चढाव और थकान के बीच.
शायद हमारी किस्मतों में नहीं है कोई अंजाम
पर छोड़ा गया जिस मोड़ पर सबकुछ वह भी तो नहीं था उतना ख़ास.
एक याद एक कसक तुम्हारे वजूद की आज भी है मेरी साँसों के दरमियान
हर ख़ुशी में हर गम में तेरी रिक्क्ता का वह एहसास।