Thursday, November 6, 2014

नाम The Name



वो रिश्ता.....
तेरा मेरा वो रिश्ता
क्या था वो,
क्या नाम था उसका,
क्या पहचान थी उसकी.
न कभी दुनिया समझी
न ही कभी तू ही समझा....
बस एक मैं थी,
जो खोजा करती इस सवाल का जवाब,
कोई एक नाम, कोई तो पहचान,
पर शायद, दुनिया की बंदिशों से परे था,
तेरा और मेरा वो प्यार बेहद खास.....
मेरे लिए तू ऊँगली पकड़ कर चलने वाला पिता था,
तू ही हर अला बला से बचाने वाला भाई था,
तेरे ही संग माँ की गोद का अहसास होता था,
तुझे हर बात बहन की तरह कहने का क्रम था...
मेरे लिए तू स्वाति की एक बूंद था,
मेरे लिए तेरा होना रेगिस्तान की छांव था,
मेरे लिए तेरा साथ तूफान की मंझधार था,
मेरे लिए तेरा वजूद जीने की वजह था,
पर दुनिया चाहती थी एक नाम,
तेरी मेरी आत्मा नहीं देखी एक जान,
तू मर्द था मैं औरत,
नाम बिन न होता है रिश्ता खास
ये दुनिया का दस्तूर था,
उनके रवायते भी और परंपरा भी..
न दुनिया से तू दूर था ना रिवाजों से,
जिद मेरी भी थी इस रिश्ते तो नाम देने की,
पर नाम क्या दू?
मेरा तो सब कुछ तू था,
तुझसे शुरू तुझ से ख़तम
इस कहानी में तू ही तो नायक था .....
जो मैं तेरे इर्द गिर्द थी
तो तू भी तो कुछ करीब था...
कितने खुश थे हम एक साथ,
पर, एक दूजे के खातिर नहीं बने थे,
ये भी तो थी एक बात....
हम दो अलग थे ही नहीं
गहरे तक हम दोनों एक थे...
आत्मा था तू तो मैं जिस्म
शरीर था तू तो मैं रूह
पर संग रह कर भी हम संग रहने के लिए न थे.....
तू मेरे जैसा था पर मैं नहीं,
मैं तेरे जैसी थी पर तू नहीं.....
नाम देने की ये कोशिश ले डूबी
हमें एक साथ....
तू वीरान हुआ तो मैं तनहा,
फिर क्यों देना था एक नाम..
क्या हम दोस्त थे ये काफी नहीं था,
क्या हम दोनों एक दूजे की आत्मा के थे
ये कुछ कमतर था...
क्यों नाम न होने से नाजायज था
हमारे रिश्ते का नाम...
हम संग थे इससे किसी को था क्या एतराज,
हम पाक थे इसपे किसे को क्यों न था एतबार....
क्यों नाम देने के जिद में,
मिटा दिया गया,
इस दुनिया से हमारे रिश्ते का,
हर नामो – निशान

Saturday, October 11, 2014

याद नहीं आता? Do you Rember

 
 
याद नहीं आता?

मेरा वो तुम्हारे बिस्तरों पर तुमसे लिपट कर सोना,
अब बताओं मेरे बिना कैसे नींद आती है तुम्हें।
क्या चादर की वो सलवटें तुम्हें तनहा सोने देती है,
अकेलेपन में क्या मेरे नाम से कसक नहीं उठती है।

जब जब बारिश गिरती है, बूंदें तुम्हे भिगोती है,
क्या याद नहीं आता तुमको मुझ संग भीगना,
समंदर में पैर भिगोना और बस हंसते रहना,
क्या तुम्हारी तन्हाई मेरे अभाव में तुमसे सवाल नहीं करती।

जब पहली बारिश से जमीन भीगती है,
कलियों से कुछ पंखुड़ियां और फूल खिलते है,
हमारे वो मिलन तीर्थ जब भीगते है,
क्या ये सब तुम्हारी आंख नहीं भिगो देते।

 
तुम्हारे आंगन में जहां एक दूसरे में लिपट कर बैठते थे हम
वहां जमी धुल को पोंछते पोंछते मेरी याद नहीं ताजा कर जाते।

किसी को खुद पर ना झल्लाता पाते क्या राहत पा जाते हो तुम,
हाँ, अब कोई नहीं लड़ता तुमसे, पर क्या इससे खुश हो जाते हो तुम।
 
हमारे वो सारे चिन्ह समेटे, उन जगहों पर घूमते
मेरा जिक्र छिड़ जाने से बचते, खुद से उलझे,
बिना कोई जुमला जोड़े, उन कविता को फिर से बोलते,
क्या तुम्हे कभी प्यार जैसा कुछ याद नहीं आता।
 
 
 
 
 
याद नहीं आता

तुम्हे वो पहला खत, जो मैंने तुम्हारे जन्मदिन पर लिखा था.
तुमने कुछ नुक़तों की गलती निकाल के हमको खूब खिजाया था |
क्या अब कोई खत पढ़ते हुए, तुमको हमारी याद नहीं आती ?
कोई कविता सुनकर पलखें नम नहीं हो जाती।
 
क्या अब भी मन मचलता है तुम्हारा पहनने को कोई कंगन,
अपनी माँ को कलाई में चूड़ियां सजाते देख क्या जी नहीं कचोटता तुम्हारा,
तुम्हारा वो मेरे सारे कंगन पहन लेना और उन्हें बजा बजा कर इठलाना,
क्या अब वो झंकार चीख चीख कर अंधियारों में तुम्हे नहीं पुकारती।


वो फूल जो मैं तुम्हे दिया करती थी, क्या अब भी रखे है,
तुम्हारी किताबों के बीच,
उन फूलों को देखकर क्या मेरे समर्पण की लाली रंग नहीं लाती,
रंग लाती है तो क्यों तुम्हारी रूह इस विरह से कांप नहीं जाती।


अब, तुम्हे शायद कुछ याद नहीं आता,
कुछ लोगों की साजिशें और कुछ रंजिशें
धुंधला कर गई है उस मुहब्बत को,
मिटा दिया उन्होंने तेरे मेरे प्रेम को,
नफरत की बारिश से।
 
तुम्हारे सीने पर मंढ चुके मेरे नाखूनों के घावों की ही तरह
भर गए है हमारी जुदाई के जख्म।
पर जब फिर से छाएगा सावन, बरसेगी कोई घटा,
तब हर झूठ के बादल को फाड़कर,
फिर से उगेगा मेरी मोहब्बत का सूरज।
 
 
 

 
 

 

 
 
 
 

 
 

 

 
 
 

 
 

Thursday, September 11, 2014

सोने की तस्करी Gold Smuggling

स्वर्ण तस्करी का स्वर्ण काल - 2014
हवाई अड्डा बना तस्करों का अड्डा
स्मगलर चालक तो ऑफिसर मुस्तैद
आशिता दाधीच
  


अभी तो 2014 आधा ही बीता है और मुंबई एयरपोर्ट गवाह बन चुका है, सोने की तस्करी की लगभग 570 कोशिशों का। अगर यह इसी रफ़्तार से जारी रहा तो, माना जा रहा है कि इस साल लगभग एक हजार से भी अधिक मामलें दर्ज होंगे, जो कि पिछले लगभग डेढ़ से दो दशक का रिकॉर्ड तोड़ देंगे।
मुंबई एयपोर्ट कस्टम की एयर इंटेलिजेंस यूनिट ने बीते छह महीने यानी जनवरी से जून के दौरान तस्करी के 500 मामलें देखे। अगर इसका तुलनात्मक अध्ययन किया जाए तो बीते 15 सालों में इस भारी मात्रा में गोल्ड स्मगलिंग नहीं हुई।
एआइयु के अधिकारियों का भी मानना है कि इस साल स्वर्ण तस्करी नई उंचाइयों को छू सकती है। अधिकारीयों के मुताबिक छहमाही में उन्होंने 535 किलोग्राम स्वर्ण जब्त किया, जिसमें से 323 किलोग्राम गोल्ड केवल अप्रैल से जून के दौरान जब्त किया गया। अब तक तो 578 किलोग्राम गोल्ड जब्त हो चुका है। पिछले साल यानि 2013 में इस समयावधि अर्थात अप्रैल से जून के दौरान केवल 55 किलोग्राम गोल्ड ही जब्त किया गया था।
अगर बात बीते वर्षों में हुए सर्वाधिक सीजर की करे तो पिछला रिकॉर्ड 1988-89 के नाम है। इस पूरे साल में 800 किलोग्राम गोल्ड जब्त किया गया। यह वह दौरान था जब मुंबई पर अंडरवर्ल्ड का साया था और बड़े बड़े तस्करों की तूती बोलती थी।
कहां छुपा लेते है गोल्ड -
- स्पीकर
जूते
चॉकलेट
मलाशय और गुदा द्वार के भीतर
मुंह के अंदर
विमान के गलीचे या शौचालय में
ब्रा पैंटी आदि अंतरवस्त्रों के बटनों में
साबुन में
शर्ट के बटन में
घड़ी के भीतर
कमर पर बांध कर
कभी सोने को गला कर बीज के आकार के चिप्स बना खजूर में छिपाकर
पीस कर अन्य धातुओं में मिला दिया जाता है
बेल्ट के बकल
टॉर्च की बैटरी
जूते
ब्रीफकेस
कमर में बंधे सोने के बिस्कुट
चॉकलेट के पैक में सोना
मोबाइल फोन की सोने से बनी बैटरी
सबसे बड़े सीज इस साल -
24 मार्च - मॉरिशस पासपोर्ट धारक सात लोगों का एक परिवार बैकॉक से आया था। इसके पास से 37 चूड़ियों के रूप में 4.9 किलोग्राम गोल्ड जब्त हुआ, जिसे ये अवैध ढंग से बिना ड्यूटी चुकाए ले जाने की फ़िराक में थे|
अप्रैल में बैंकॉक से आई मां -बेटी के पास से 1.42 करोड़ रुपये का गोल्ड जब्त हुआ, जिसे ये लोग अपने अंतर्वस्त्रों में छुपाए हुए थी।
 
क्या होता है इस गोल्ड का -
मुंबई एयपोर्ट के नव निर्मित इंटर नैशनल टर्मिनल यानि टर्मिनल टू के सीजर कक्ष यानि स्ट्रोंग रूम को आप अली बाबा के खजाने का कमरा भी कह सकते है। अवैध रूप से और बिना ड्यूटी चुकाए गोल्ड लाने वालों से सारा गोल्ड वसूल कर इसी कक्ष में रखा जाता है। इस गोल्ड को तब तक वहां रखा जाता है, जब तक उसके अधिकार के बारे में न्यायिक निर्णय नहीं आ जाता।
इसके बाद आरोपी को एक कारण बताओं नोटिस जारी किया जाता है, जिसके तहत उसे कस्टम को जवाब देना होता है, जवाब मिल जाने के बाद सीज करने वाली इकाई को उस गोल्ड को डिस्पोज करने का आदेश दे दिया जाता है।
आदेश के बाद गोल्ड को सील बंद करके रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया भेजा जाता है। जहां यह गोल्ड पिघला कर उसे शुद्ध सिक्के बनाए जाते है।
इन सिक्कों को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की बुलियन शाखा को भेजा जाता है, जहां बोली लगाकर इन सिक्कों को बेचा जाता है। इसके लिए बकायदा टेंडर आमंत्रित किए जाते है। उंची बोली लगाने वाला रकम देकर गोल्ड ले जाता है और कस्टम को भी इसमें लाभांश मिलता है।
कब होती है गिरफ्तारी
यात्री से अवैध गोल्ड सीज किए जाने के भी अलग अलग नियम है, आइये इन पर एक नजर ड़ालते है, गोल्ड की कीमत एक करोड़ रुपये से अधिक होने पर यात्री को कस्टडी में लिया जाता है, अगर बरामद गोल्ड की कीमत पचास लाख से एक करोड़ रुपये के बीच हो तो उसे बेल मिल जाती है।
कुछ अनोखे स्मगलर
मैगजीन को फाड़कर उसमें ही खांचा तैयार कर लिया, जिसमें गोल्ड भरकर तस्करी करने की फ़िराक लगाये बैठे शख्स को मुंबई एयरपोर्ट पर 7 जुलाई को अरेस्ट किया गया। इस शख्स से पास से 25 लाख रुपये का गोल्ड जब्त हुआ था।
कुछ अनोखे स्मगलर
मैगजीन को फाड़कर उसमें ही खांचा तैयार कर लिया, जिसमें गोल्ड भरकर तस्करी करने की फ़िराक लगाये बैठे शख्स को मुंबई एयरपोर्ट पर 7 जुलाई को अरेस्ट किया गया। इस शख्स से पास से 25 लाख रुपये का गोल्ड जब्त हुआ था।
एआइयु के अडिशनल कमिश्नर मिलिंद लांजेवार के मुताबिक तस्कर स्मगलिंग के लिए नए नए तरीकों का ईजाद कर रहे है। इनके आका अपने कुछ प्यादों के पकड़ा जाने के बाद नई योजना बना लेते है और फिर एक नए प्रोसेस से स्मगलिंग शुरू कर देते है।
क्यों बढ़ रही है स्मगलिंग -
सोने की मांग इतनी ज्यादा है कि औसतन 700 से 900 टन सोना हर साल आयात किया जाता है, लेकिन वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का अनुमान है कि साल 2013 में करीब 200 टन सोना तस्करी से भी लाया गया।
देश में औसतन 1 से 3 टन सोने की हर महीने तस्करी हो रही है। एक साल में 245 करोड़ का तस्करी का सोना जब्त हो चुका है। साल 2013 में सिर्फ मुंबई में ही 185 किलो सोना पकड़ा गया है। सोने की तस्करी बढ़ने की इकलौती वजह सोने के आयात पर बढ़ी कस्टम ड्यूटी है, जिसकी वजह से तस्करी का सोना भारी मुनाफे का सौदा बन गया है।
 
मुंबई में कस्टम्स ने 2012 में 53 किलो सोना पकड़ा।
2013 में 185 किलो सोना पकड़ा।
2014 में सिर्फ जनवरी में ही 54 किलो सोना जब्त हुआ।
 
 
चुनौतियां भी बहुत -
कस्टम अफसरों को बहुत सावधानी से आम मुसाफिरों के बीच तस्करों की पहचान करनी होती है। अगली चुनौती छुपी जगह से सोना तलाशने की होती है। जाहिर है चालाक तस्करों को पकड़ना आसान नहीं होता। एडीशनल कमिश्नर, कस्टम्स मिलिंद लांजवर कहते हैं कि अलग-अलग तरीके से सोने की तस्करी होती है। उन्हें पकड़ना कभी भी आसान काम नहीं होता है इसलिए हम तस्करों की बॉडी-लैंग्वेज समझ जाते हैं।
तस्करों ने सोने की तस्करी का जाल बहुत बारीकी से बुना है। ज्यादातर सोना दुबई और खाड़ी देशों से होता हुआ मुंबई और दिल्ली आता है। मुंबई से होता हुआ ये सोना गुजरात, राजस्थान समेत देश के कई बड़े शहरों तक पहुंच जाता है।
बहुत पुराना है ये खेल -
सोने की तस्करी देश में नई नहीं है। तस्करी का ये काला खेल 70 और 80 के दशक में भी खूब देखा गया है। तब सोना पानी के जहाज से लाया जाता था। भारत में सबसे पहले करीम लाला और हाजी मस्तान जैसे अंडरवर्ल्ड डॉन ने सोने की तस्करी शुरू की। 70 के दशक में हाजी मस्तान के इशारे पर सोने का काला खेल चलता था। सोने के बड़ी-बड़ी खेप दुबई और दूसरे खाड़ी देशों से पानी के जहाजों से भारत लाई जाती थीं। तस्करी का ज्यादातर सोना मायानगरी मुंबई के समंदर पर उतरता था। फिर मुंबई से ये सोना भारत के दूसरे शहरों में भेज दिया जाता था। हाजी मस्तान ने सोने की तस्करी का पहली बार बड़े पैमाने की तस्करी में बदला लेकिन सोने की तस्करी को संगठित अंदाज में दाऊद इब्राहिम ने अंजाम दिया।
एकाएक क्यों बढ़ गई है सोने की तस्करी
देश में एकाएक सोने की तस्करी क्यों बढ़ गई है, ये पहेली नहीं है। सरकार ने सोने का आयात महंगा कर दिया। मकसद बढ़ते आयात-घटते निर्यात से हो रहे घाटे को कम करना था। सरकार अपनी कोशिश में कुछ हद तक सफल भी हुई लेकिन उसके कदम ने सोने की तस्करी को मुनाफे के सौदे में भी बदल दिया। कोई अब अगर एक किलो सोना भारत लाने में कामयाब हो जाता है तो उसे करीब 20 फीसदी तक मुनाफा हो जाता है।
सरकार की जेब पर बोझ बढ़ाता तस्करी का सोना -
अगर, तस्करी से आए एक किलो सोने पर सरकार को करीब 5 से 6 लाख का नुकसान होता है, तो समझा जा सकता है कि 200 टन तस्करी के सोने से देश की अर्थव्यवस्था को कितना बड़ा झटका लगा होगा। गौरतलब है कि 20 लाख से ज्यादा का सोना पकड़े जाने पर तस्करी का मामला दर्ज होता है। दोष साबित होने पर 7 साल तक की कैद हो सकती है।
क्या होती है तस्करों की टेंडेंसी -
वे ऐसी एयरलाइंस का फायदा उठाते हैं जो एक ही विमान से अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानों को संचालित करती हैं। तस्करी के लिए सबसे पहले गिरोह के कुछ लोग सोने को विदेश ले जाते हैं। फिर उसे विमान में छिपा दिया जाता है। इसके बाद घरेलू उड़ान के लिए उसी विमान में गिरोह के दूसरे सदस्य सवार हो जाते हैं और अपने सामान के साथ बाहर निकल जाते हैं। सोने की तस्करी मुख्यतया दुबई और शारजाह से ज़्यादा होती है क्योंकि यहां सोना अपेक्षाकृत सस्ता है।
एयरपोर्ट स्टाफ के साथ सांठ-गांठ
दूसरे देशों में बैठे तस्कर अब एयरपोर्ट के सफाई कर्मियों से लेकर सुरक्षा एजेंसी से जुड़ें लोगों को अपने साथ मिलाने लगे हैं। कस्टम सूत्रों के मुताबिक, तस्करों के लोग ग्रीन चैनल से पहले ही गोल्ड को कहीं छुपा देते हैं और इनके आका फोन पर किसी लोडर या स्वीपर को अच्छी खासी रकम का लालच देकर वह गोल्ड, ड्रग या टर्टल, चंदन जैसी चीज बाहर मंगवा लेते हैं।
रेड फ्लाइट्स पर रहती है नजर-
दुबई, अरब, बैंकाक और श्रीलंका के नागरिक इस खेल के मुख्य प्यादे होते हैं, ऐसे में उनकी फ्लाइट्स पर विशेष नजर रखी जाती है।
>> एयर इंडिया 984 , इंडिगो 62 दुबई - मुंबई
>> एयर इंडिया 920 रियाद - मुंबई
>> एयर इंडिया 343 सिंगापुर - मुंबई
>> थाई एयरवेज 317 बैंकाक - मुंबई
QUOTE -
गोल्ड पर प्रीमियम कम है, लेकिन ड्यूटी अभी भी लग रही है। जिसके चलते अब लोग कम मात्रा में गोल्ड नहीं लाएंगे। गोल्ड भारी तादात में और बड़े लोड के रूप में आएंगे साथ ही स्मगलिंग करने वाले अब घरेलू लोगों को अधिक इस्तमाल करेंगे।
मिलिंद लांजेवार - एडिशनल कमिश्नर, मुंबई एयरपोर्ट एयर इंटेलिजेंस यूनिट
आयात शुल्क बढ़ने से एक तरफ सोने की कानूनी खपत कम हो गई दूसरी तरफ सोने की गैर-कानूनी तस्करी बढ़ गई, क्योंकि सोने की तस्करी में 20 फीसदी तक मुनाफा होने लगा। दरअसल 1 किलो आयातित सोने की कीमत करीब 30 लाख रुपये है। तस्करी से लाया गया सोना 4 से 5 लाख रुपये सस्ता पड़ता है।
- कुमार जैन, वाइस प्रेजिडेंट, श्री मुंबई जूलर्स एसोसिएशन

Thursday, August 7, 2014

वो टैटू …… That Tattoo


लंबा अरसा नहीं हुआ था उन्हें, पर दोनों की मोहब्बत बेइंतेहा थी एक दिन ना मिले तो बैचेन हो जाते थे दोनों, मोबाईल की बैटरी तो जैसे सारे दिन आखिरी साँस को ही संघर्ष करती रहती थी कनिका के बिना नीरज की ना सुबह होती थी ना शाम
महीनों बाद एक दिन अचानक दोनों की रूहानी करीबी जिस्मानी करीबी में तब्दील हो गईनीरज की गर्म सांसों को खुद में समेटे कनिका घर लौट आई और उसनें फैसला किया जिंदगी नीरज का हाथ थाम कर बिताने का
अपने इस पहले यादगार महामिलन का तोहफा देने के लिए उसनें नीरज यानी कमल का एक खूबसूरत टैटू गर्दन के पीछे  गुदवा ड़ाला, नीरज को कॉल करने ही वाली थी कि उसका मैसेज आ गया।  जगह तय हुई और कनिका ऑफ़ डीप नेक कुर्ता पहने पहुंची 
उसे देखते ही नीरज तीर की तरह शुरू हो गया, 'देख कनिका में वूमनाइजर नहीं हूँ, मैं तुझसे शादी नहीं कर पाउँगा, ना ही घर पे अफेयर की बात कह पाउँगा, माँ बाप ने बड़े जतन से बड़ा किया है, उन्हें कैसे कहूँगा की मैं किसी का आशिक हूँ, एक बार हम आगे बढ़ गए है, अब दुबारा ना बढे, इसलिए आज मैं तुमसे ब्रेक अप करता हूँ. अगर, मेरा सम्मान तुम्हे मायने रखता है तो मेरी कसम कभी मुझे कॉल या मैसेज न करना।'
नीरज बस मुड़ा और चल दिया। कसम से बंधी कनिका की तो इतनी भी हिम्मत ना हुई कि दुपट्टा गिरा कर उसे वो टैटू दिखा सके
क्या प्यार हो जाना भी कभी प्यार ख़त्म करने की वजह हो सकता है, सोचती रह गई वो





Monday, August 4, 2014

उसका आना..... She came !




वो ग्रीन शर्ट
मत लो सिया की अग्नि परीक्षा हर बार
आशिता दाधीच

पहली ही डेट में किस! तुम्हे नहीं लगता नीरज कि हम इस रिश्ते में चल नहीं दौड़ रहे है. शर्म से नजरें झुकाए, नटखट सी मुस्कान को दबाते हुए सिया ने पूछा. तुम हो ही इतनी प्यारी, सच कहूं तो जिस दिन तुम्हे देखा उसी दिन दिल बेमोल बिक गया था, तुम्हारे नाम. नीरज ने गर्दन मटकाकर कहा. धत्त झूठे लेकिन, प्रपोज तो मैंने किया. इठलाकर सिया बोली. हां, मुझे शर्म आती है, बॉय फ्रेंड तो तुम हो ना, इसलिए पहल तुमने की, बस इसी तरह मेरा हाथ पकड़कर मेरे साथ चलो, मुझे राह दिखाती रहो. मुझे पता है, तुम साथ रही तो दुनिया जीत लूंगा मैं. नीरज उसके बालों में उंगलियां फेरते हुए बोला. अच्छा जी, मेरा दिल जीत कर जी नहीं भरा तुम्हारा कि अब दुनिया भी जितनी है. खीजते हुए सिया दूर खिसकने लगी. प्रेयसी की मनुहार करने में नीरज भी कहा कम था, उसे बाहों में भर कर बोला, तू ही तो दुनिया है मेरी, पर दुनिया को तेरी मेरी कहानी भी तो सुनानी है. सिया शर्म से जैसे लाल हुई जा रही थी. छोडो, घर जाने का वक्त हो गया है. कल मिलते है. रुको तुम्हे स्टेशन छोड़ दू, नीरज सिया का हाथ थामे चर्चगेट तक आया. उसे ट्रेन में बैठाया और ट्रेन के साथ तब तक दौड़ा जब तक वो प्लेटफॉर्म ना छोड़ दे.
बॉय फ्रेंड है तुम्हारा? सहयात्री ने सिया से पूछा, हां, मोहब्बत है वो मेरी, जिंदगी है वो मेरी. सिया गर्व से बोली. आंटी से तपाक से कहा, देख कर लगा ही था, इतना प्यार करने वाले होते ही कहा है, भगवान जोड़ी सलामत रखे.  जोड़ी सलामत रखे, आमीन सिया बुदबुदाई. डर लगता था उसे, अपनी ही किस्मत से, बचपन से दोस्तों की मंडली नहीं थी उसके पास, एक दो खास लोग बस. जब, से नीरज मिला है, उसे जिंदगी में पूर्णता का एहसास होने लगा. नीरज को खोने से ख्याल से भी कांपती है वो. नीरज भी तो ऐसा ही है, बहुत बिखरी हुई, तनहा बेरंग जिंदगी थी उसकी. जब से सिया आई है, नीरज का हर सपना रंगीन होने लगा है. उसे जीना है, कुछ करना है, खुद को कुछ बनाना है, सिया के लिए.
दो महीनें हो चुके है, उन दोनों को एक दुसरे के साथ. सहारनपुर की रहने वाली सिया, दो साल पहले ही फैशन डिज़ाइनर बनने मुंबई आई थी. बांद्रा के पॉश इलाकें में किराए का फ़्लैट, वो और उसकी बार्बी यही उसके साथी थे. चर्चगेट पर एक नामचीन डिजाइनर के यहां नौकरी मिल गई तो जैसे उसकी दुनिया ही बदल गई. बड़े शौक नहीं थे उसके, सिर्फ सपने बड़े थे. उसे तितली के संग उड़ना था, मझली के संग तैरना था. एक साल पहले ही नीरज उसे मिला, तो लगा जैसे ऊपर वाले ने सब कुछ छप्पर फाड़ कर दे दिया. उसके साथ होकर सिया दुनिया भूल जाती थी. नीरज की रानी थी वो और नीरज उसका राजा.
उसका ऑफिस सिया के ऑफिस के नीचे वाले फ्लोर पर ही था, दोनों ऑफिस से समय निकाल कर साथ में टपरी पर चाय पीने जाते थे.
आज सुहास नहीं आया, सिया ने चाय की चुस्की लेते हुए पूछा. ना उसकी मां बीमार है. ओह्ह सिया का चेहरा लटक गया. नोट डन यार उसने मुझे बताया तक नहीं. इस पूरे शहर में वही तो मेरा पहला और इकलौता दोस्त है. उसे एट लीस्ट मुझे इन्फॉर्म करना चाहिए था. सीया बिदक कर चली गई. नीरज भी कुछ नहीं बोला, बोले भी क्यों, सुहास सिया का सबसे अच्छा दोस्त है. सिया उसे अपना बड़ा भाई मानती है, और सुहास नीरज के भी तो बचपन का जिगरी दोस्त है. नीरज जानता है सिया उसके बिना दो दिन रह सकती है पर सुहास के बिना चार घंटे भी नहीं.  सुहास है ही इतना अच्छा, बचपन से नीरज का हमेशा साथ दिया उसने, उसी की वजह से तो वो अपने पहले ब्रेक अप के ट्रौमा से बाहर निकल पाया था और उसी की वजह से एक साल पहले वो सिया से मिला.
उसे आज भी याद है, जब सिया का बर्थडे था. सुहास ने पार्टी रखी थी, जिसमे नीरज भी आमंत्रित था. इसी पार्टी में पहली बार मिले थे नीरज और सिया. यही दोनों की नजरें एक दुसरे पर टिकी थी. जिसके बाद शुरू हुआ था, छुप छुप के साथ साथ फिल्मे जाने का दौर. नीरज माँ –बाप का इकलौता बेटा, कोई साथी नहीं, उसे भी सिया के साथ जाना अच्छा लगने लगा. सिया तो थी ही घुमक्कड़ जब मन किया जहां मन किया निकल जाती थी. उसके साथ रहकर नीरज का बोरिंग नेचर कुछ बदल रहा था. सिया की महत्वाकांक्षाएं और तमन्नाएं उसे भी उड़ना सिखा रही थी. वो सिया के साथ जीना सिखने लगा था. सुहास की वजह से उसे सिया नाम की नेमत मिली थी. बहुत मन होता था उसका सिया को गर्ल फ्रेंड बनाए. पर आजाद खयाल सिया कही उसे दोस्ती का फायदा उठाने वाला लालची ना समझ बैठे, वह हमेशा चुप ही रहा.

फिर लगभग दो महीने पहले, सिया ने उसे ऑफिस के नीचे अकेले बुलाया और उसका हाथ थाम कर कहा, ‘नीरज देखो, मुझे ये हाथ पकड़ कर जीने में मजा आने लगा है, क्या तुम सारी जिंदगी ये मेरी कलाई थाम सकते हो’ नीरज को तो जैसे सब कुछ मिल गया, खुशी आंसू बन कर छलक उठी और उसने सिया को बाहों में भर लिया.
तब से उसकी दुनिया सिया तक सिमट आई, रोज उसे ऑफिस से स्टेशन छोड़ना, फिर देर रात तक फोन पर बतियाना, सुबह उसे जगाना, उसकी तो जैसे दिनचर्या ही सिया के इर्द गिर्द मंडरा रही थी.
दोनों साथ होते तो वक्त भी पंख लगाकर मानों उड़ सा जाता. वेक अप माई प्रिंस, फोन पर सिया की वजह से नीरज की नींद टूटी. हम्म बोलो उठ गया. आज हमें साथ में तीन महीने हो गए चलो ना कही, लेट्स सेलिब्रेट. ओह्ह तुम भी ना बच्ची हो, नीरज खुद गया. तुम नाटक ना करों, मेरा पहला अफेयर है ये, मुझे इसके हर पल का लुफ्त लेना है. सिया भी जिद पर अड़ गई. ठीक है मैं एक बजे तक तुम्हारे घर आता हूं, सुहास को भी ले आता हूं, अपन तीनों कार्टर रोड चलेंगे. नीरज ने फैसला सुनाया. नहीं नीरू, बिलकुल नहीं. चीख पड़ी सिया. देखो तुम्हें मेरी कसम चाहे जो हो जाए सुहास को हमारे अफेयर में बारें में कभी किसी कीमत पर पता नहीं चलना चाहिए. सिया का मूड अब तक उखड चुका था, उसका स्वर बदल गया था. नीरज भी प्रतिकार करने में अव्वल था, क्यों यार वो तो हम दोनों का बेस्ट फ्रेंड है. हम दोनों उससे कभी कुछ नहीं छिपाते, नीरज भी अड़ गया. सिया कुछ ना कह सकी,  गुस्से में फोन काट कर सोने चली गई. नीरज सकपका चुका था, उसकी नींद उड़ गई. ये सुहास को क्यों नहीं बताना चाहती, उसे बात हजम नहीं हुई, सिया का नंबर घुमा डाला. अपनी कसम दे दी और वजह पूछने पर अड़ गया. फोन में किसी श्मशान का सन्नाटा पसर गया. ना जाने क्यों, मेरा दिल कहता है कि उसे जिस दिन पता चलेगा हमारे रिश्ते का वो आखिरी दिन होगा. नीरज, तुम्हे मेरी कसम जब तक हमारे परिवार शादी को एग्री ना हो जाए उसे पता नहीं चलना चाहिए. सिया की आवाज भारी हो रही थी.
ये लड़की भी पागल है, कुछ भी सोचती रहती है, खैर जैसी भी है, मेरी है, मेरी आंखों का तारा है, इसे खुश रखना, इसकी इच्छाएं पूरी करना मेरा फर्ज है. नीरज तय कर चुका था कि इस बारे में सुहास को कभी पता नहीं चलेगा. दिन खुशी खुशी कट रहे थे. सुहास को वक्त वक्त पट शक होता था, अब नीरज उसे टाइम नहीं देता था, सिया भी बीजी रहती थी, दोनों अक्सर एक साथ एक ही वक्त पर गायब भी होते थे. उसनें कई बार नीरज से पूछने की कोशिश की लेकिन, नीरज हर बार टाल गया.
नीरज और सिया का रिश्ता छह महीने पूरे कर चुका था. इसी मौके पर सिया ने जुहू के एक पांच सितारा होटल में रात आठ बजे नीरज को खाने पर बुलाया. समय की पाबंद सिया वहां पहुंच गई, लेकिन नीरज नहीं आया. घड़ी की सुइयां मरियल चाल से आगे बढती रही. सिया का चेहरा लटकता जा रहा था, नीरज तो इतना लापरवाह कभी नहीं था, फोन भी नहीं उठा रहा, सिया कभी गुस्से तो कभी डर से छटपटा रही थी कि अचानक मोबाइल बजने लगा. नीरज का कॉल था. हैलो
सिया यार सॉरी
तुम सेफ तो हो, क्या हुआ, कहां हो, पता है मैं कितनी डर गई थी, तुम इतने केयरलेस कैसे हो सकते हो? बिफर पड़ी वो.
यार क्या करू, सुहास ने बीयर पीने रोक लिया.
क्या, लेकिन, तुमने तो मुझे वादा किया था कि तुम शराब छोड़ दोगे
अरे यार बचपन का दोस्त है, इमोशनल कर दिया उसने, जिद करने लगा तो मैं मना नहीं कर पाया.
सिया का मन बुझ चूका था, झगडनें का कोई फायदा भी नहीं था, कोई बात नहीं कहकर झूठी मुस्कान देकर उसने फोन काट दिया. नीरज विश्वासघाती है यह बात आज उसके मन में अपने आप अंकित हो गई.
तूफान अकेले कब आता है, जब भी आता है लाव लश्कर लेकर आता है. नीरज को ऑफिस में प्रमोशन मिली पार्टी हुई, लेकिन सिया को एक नॉर्मल दोस्त की तरह पेश किया गया, सुहास की मौजूदगी के चलते उसे गर्ल फ्रेंड होने का सम्मान मिल ही नहीं सका. दिल पर एक और चोट हो गई.
दोनों इस बार साथ वाटर पार्क जाने का प्रोग्राम बना रहे थे. सिया बहुत खुश थी. सारी तैयारियां हो गई थी कि ऐन मौके पर सुहास बीमार पड़ गया. नीरज ने जाने से मना कर दिया. जब सिया ने फोन पर जिद की. तो नीरज बिफर पड़ा, ‘जब से जिंदगी में आई हो गुड्डा बना दिया है मुझे, तुम्हारे नियमों से बंधकर मैं अपनी दोस्ती बर्बाद नहीं कर सकता, तुम्हे अपनाते अपनाते मैं अपने भाई जैसे दोस्त को खोने लगा हूं. तुम टॉर्चर हो यार’ नीरज ने फोन काट दिया, लेकिन, सिया, उसके आंसू नहीं रुके. उससे पहली बार किसी ने ऐसे बात की थी, उससे अपमान बर्दाश्त ना हुआ, आनन फानन में सुहास के घर पहुंच गई और वही उसी के सामने मैं नीरज से प्यार करती हूँ, उसकी गर्ल फ्रेंड हूं, कह कर नीरज से लिपट गई.
सुहास खुशी से झूम उठा, अपने दोनों ख़ास दोस्तों की प्रेम कहानी सुनकर उसका तो जैसे बुखार ही भाग गया. नीरज के चेहरे पर गर्व तैर रहा था. एक तो सिया के अनुमान के विपरीत सुहास इस प्रेम के बारे में जान कर खुश हुआ और दुसरा दोस्त की नज़रों में उसकी इज्जत भी बढ़ गई. एक शानदार गर्ल फ्रेंड है उसके पास और ना ही उसने दोस्त से कुछ छुपाया दोनों तरह से हुआ तो उसके मन का ही. वो खुश था, लेकिन, सिया, अंदर तक डरी हुई थी. एन अनजाना खौफ उसे खा रहा था.
अगले ही दिन नीरज और सुहास चाय पीते पीते इस अफेयर को डिस्कस कर रहे थे. नीरज को जैसे गर्व से पगला रहा था, एक एक किस्सा अपने दोस्त को बता रहा था, आखिर वो दोस्त से कुछ छिपाता जो नहीं था. क्या, उसने तुझे आगे होकर प्रपोज किया, चीख पड़ा सुहास, मुझे नहीं पता था सिया इतनी बेशर्म है, तू भी किसके चक्कर में फंस गया नीरज, लड़की होकर प्रपोज करती है, आगे क्या क्या करेगी, तुझे गुलाम बना कर रखेगी. सुहास उठ कर चला गया और नीरज वहां अकेला खड़ा सोचता ही रह गया. सुहास क्यों गलत कहेगा, उसकी बात में कोई तो वजह होगी, बचपन का दोस्त है मेरा बुला क्यों चाहेगा, लेकिन सिया तो कितनी अच्छी है, इतनी सुंदर है, फिर भी मेरे अलावा आज तक उसने किसी को नहीं देखा, अब तक नीरज का मन कुरुक्षेत्र हो गया था, जहां सुहास की दोस्ती के कौरव और सिया के प्रेम के पांडव महाभारत कर रहे थे.
एक जनवरी साल का पहला दिन और नीरज का जन्मदिन सिया सुबह से उत्साहित थी. घर पर ढेर से व्यंजन बनाए पहली बार वो इतने जतन से कुछ पका रही थी. लंच पर नीरज जो आने वाला था. घड़ी की सुइयां जैसे ही बारह बजाने को मिली दरवाजे की बेल बजी और नीरज सामने. सिया को तो जैसे सबकुछ मिल गया, उसके घर उसका खुदा आया था, मनमाफिक आवभगत की अपने हाथ से पका कर खिलाया. दोनों एक थाली से कौर तोड़ ही रहे थे, कि अचनाक प्रेम का प्रवाह प्रबल हुआ, सिया अपने नीरज की बाँहों में थी और उसी पल उन दोनों के रूहानी रिश्ते ने जिस्मानी रूप ले लिया. उस दोपहर बिन फेरे सिया नीरज की ब्याहता हो गई और नीरज के लिए सिया उसकी अर्धांगिनी.
 अगले ही दिन ऑफिस में खाने की टेबल पर नीरज के गले पर पड़ा लव बाईट उसकी मोहब्बत की दास्तान चीख चीख कर सुना रहा था. सुहास का ध्यान पड़ा और उसने वजह पूछ डाली. नीरज तो जैसे दुनिया जीत कर आया था, उसने भी बड़े गर्व से बीती दोपहर का किस्सा सुना डाला. सिया की कसम से तो वो मुक्त ही था, और जिसे बता रहा था वो सिया का सबसे खास दोस्त ऐसे में छुपाना क्या?

सुहास के चेहरे का रंग उड़ चुका था, उसने सिर्फ एक सवाल दागा. नीरज, जो खुद अपनी इजात लुटवाने के लिए जवान मर्द को अपने घर बुलवाए क्या वो औरत घर की इज्जत बनाने लायक है?  बच्चा भी मां के पेट से बाहर आने में नौ महीने लेता है, यह तो आठ महीने में खुल गई, इसका क्या भरोसा? तू भाई है मेरा, तेरी जिंदगी खराब होते नहीं देख सकता इसलिए कह रहा हूं, छोड़ इस बवाल को.

नीरज कुछ नहीं कह सका, पत्थर हो चुका था वो, सुहास उसका बुरा नहीं चाहेगा, उसे पता था, इसलिए खोट तो सिया में ही है. वो निर्णय ले चुका था.
खुद को नीरज की नीरजा मान चुकी सिया उसे फोन लगाती रही, लेकिन, कोई जवाब नहीं आया. वो बीजी होगा, काम की टेंशन होगी, खुद करेगा, उसकी भी अपनी लाइफ है. हो सकता है कल जो हुआ उस वजह से वो थोड़ा शरमाया हुआ हो. सिया को खुद को ढेरों दिलासे दे दिए.
पंद्रह दिन, अब विरह असह्य हो चुका था, उसने एक पीसीओ से नीरज को फोन किया.
हैल्लो नीरू, मैं सिया, फोन क्यों नहीं उठाते तुम?
नहीं उठाता हूँ, तो इसका मतलब समझो, आई हेट यु. मैं तुमसे ब्रेक अप करता हूं, आजके बाद मुझे कॉल या मैसेज मत करना, नीरज ने फोन काट दिया.
मेरी गलती क्या है, सिया बस सोचती रह गई, उसे कुछ समझ नहीं आया. उसने ना जाने कितने मैसेज किए लेकिन, उसका पत्थर रांझा नहीं पिघला.
वो टूटती जा रही थी. नाउम्मीदी उसकी इकलौती सहेली बन गई. अचानक, याद आया उसे, सुहास, नीरज के बचपन का दोस्त, वो उसे समझा सकता है, पैदा हुई ग़लतफ़हमियों को दूर कर सकता है, और वो उसका भी तो खास दोस्त है. वही मदद करेगा. सिया ने सुहास का नंबर घुमाया और उसे मिलने बुलाया.
भीगी पलखे लिए सिया खड़ी थी, सुहास ने उसे हग किया. लेकिन, ये हग कुछ अलग था, इसमें सुहास वाली बात नहीं थी, सिया असहज हो गई, खुद को अलग करते हुए उसने सुहास से नीरज को समझाने के लिए कहा. देख वो है ही कमीना, औरतों का इस्तमाल करके उन्हें छोड़ देता है. मैं तुझे पहले ही बताना चाहता था पर मुझे लगा तू विश्वास नहीं करेगी इसलिए कभी कहा नहीं. तू भूल जा उसे और सुन चिंता मत कर मैं तुझे अपनाउंगा. मुझे पता है तेरी इज्जत जा चुकी है फिर भी मैं तुझसे शादी करूंगा बस तू मेरी हो जा.
सिया पर जैसे एक साथ करोडो बिजलियां गिर गई. उसका रोम रोम कांप गया. सुहास बोलता जा रहा था, तेरी इज्जत नीलाम हो चुकी है, अब तुझे कोई नहीं अपनाएगा, लेकिन तू फिकर मत कर.
सिया ने अपने आंसूं रोके नज़रे उठाई और सुहास के चेहरे पर टिका दी. अब दोनों की आंखे एक दुसरे में झांक रही थी. सुहास नहीं, मैं कोई मैला बोझा नहीं हूं, मेरा मन पवित्र है, तू मुझ पर एहसान ना कर, मुझे संभालने वाले मिल ही जाएंगे तू उसकी परवाह ना कर.

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अपने पलंग पर पड़ी सिया सोच रही थी मेरा चरित्र आज भी पवित्र ही है, खोट हमारी ही दोस्ती में था, जो मेरे प्यार को ना समझ सकी.  उसका दिल तो कहता ही था कि जिस दिन सुहास को पता चलेगा उसी दिन से इस रिश्ते का ताबूत तैयार होना शुरू हो जाएगा, अब उसे विश्वास भी हो गया. उसने नीरज को फोन लगाया उसे सब कुछ बताने की कोशिश की. लेकिन नीरज तो उसे सुनने को ही तैयार ना था. सुहास की बाते उसके मन में पत्थर की लकीर की तरह लिखी जा चुकी थी. सिया कि हर कोशिश बेकार रही, मेल करना, एसएमएस लिखना, चिट्ठी भेजना सब बेकार.
उधर नीरज वो भी तो संशय में पड़ा तड़फ रहा था, खास दोस्त झूठ क्यों बोलेगा, लेकिन कोई लड़की भी इतना फोन क्यों करेगी. दुसरे शहर से दो साल पहले ही आई लड़की का चरित्र भी कौन जाने उसकी जिंदगी का सवाल था. लेकिन, उन दो आंखों का क्या, जिनमें बेशुमार प्यार था, जिनमे मासूमियत टपकती थी. और सिया के चरित्र पर तो सवाल ही नहीं उठता वो तो नजरे उठा कर भी किसी को नहीं देखती थी. नीरज पागल होता जा रहा था. धीरे धीरे खाना छुटा, ऑफिस से मन उठने लगा. वो दीवानों सा रहने लगा और सुहास हर बार उसकी बर्बादी का दोष सिया पर मढ़ता रहा.
सिया आज भी खुश है, रोज मेक अप करके, बेहतरीन कपडे पहनकर ऑफिस आती है. उसे तो जैसे कोई फर्क ही नहीं पडा, तू क्यों उसके पीछे बर्बाद होता है सुहास नीरज को कहता रहा. लेकिन नीरज के अंदर कोई था जो हर बार चीख कर सुहास का विरोध करना चाहता था लेकिन सुहास चुप रहा.
एक साल बित गया. कल एक जनवरी है, नया साल भी लगेगा और नीरज का बर्थडे भी, पर वो बहुत उदास है. इस बार उसके साथ उसका बर्थडे मनाने वाली जो नहीं है. सब कुछ खत्म हो गया. इसी दिन बर्बादी की नींव पड़ी थी, वो खुद को कोस रहा था. घड़ी की सुइया 12 बजने में दस मिनट कम बता रही थी. दुनिया जश्न में मशगूल थी और नीरज अपने ग़मों में. अचानक, दरवाजे की घंटी बजी, बुझे मन से उठा वो गेट खोला,
ये यहा क्यों आई है, क्या चाहिए इसे. सोच में पड़ गया वो. सदमें से लकवा मार गई जबान हिलती उससे पहले ही सिया ने उसे बाहों में भर लिया, हैप्पी बर्थडे माई प्रिंस, चालों अंदर तुम्हारा फेवरेट केक लाइ हूं. सिया मुस्कुराने लगी
तुमने पी रखी है क्या, आज तुम एक साल बाद मेरे घर, इतनी खुश होकर, वो सब, वो आरोप, क्या तुम गुस्सा नहीं?
ना, मेरे लिए सपना था वो, तुम भी नींद से जाग जाओ, अब देर मत करो बारह बजने में बस तीन ही मिनट बाकी है लो ये हरा शर्ट पहन लो, तुम्हारे लिए लाइ हूं, तुम्हे बहुत सूट करेगा. सिया खिलखिला पड़ी.