वो ग्रीन शर्ट
मत लो सिया की अग्नि
परीक्षा हर बार
आशिता दाधीच
पहली ही डेट में किस!
तुम्हे नहीं लगता नीरज कि हम इस रिश्ते में चल नहीं दौड़ रहे है. शर्म से नजरें
झुकाए, नटखट सी मुस्कान को दबाते हुए सिया ने पूछा. तुम हो ही इतनी प्यारी, सच
कहूं तो जिस दिन तुम्हे देखा उसी दिन दिल बेमोल बिक गया था, तुम्हारे नाम. नीरज ने
गर्दन मटकाकर कहा. धत्त झूठे लेकिन, प्रपोज तो मैंने किया. इठलाकर सिया बोली. हां,
मुझे शर्म आती है, बॉय फ्रेंड तो तुम हो ना, इसलिए पहल तुमने की, बस इसी तरह मेरा
हाथ पकड़कर मेरे साथ चलो, मुझे राह दिखाती रहो. मुझे पता है, तुम साथ रही तो दुनिया
जीत लूंगा मैं. नीरज उसके बालों में उंगलियां फेरते हुए बोला. अच्छा जी, मेरा दिल
जीत कर जी नहीं भरा तुम्हारा कि अब दुनिया भी जितनी है. खीजते हुए सिया दूर खिसकने
लगी. प्रेयसी की मनुहार करने में नीरज भी कहा कम था, उसे बाहों में भर कर बोला, तू
ही तो दुनिया है मेरी, पर दुनिया को तेरी मेरी कहानी भी तो सुनानी है. सिया शर्म
से जैसे लाल हुई जा रही थी. छोडो, घर जाने का वक्त हो गया है. कल मिलते है. रुको
तुम्हे स्टेशन छोड़ दू, नीरज सिया का हाथ थामे चर्चगेट तक आया. उसे ट्रेन में
बैठाया और ट्रेन के साथ तब तक दौड़ा जब तक वो प्लेटफॉर्म ना छोड़ दे.
बॉय फ्रेंड है तुम्हारा?
सहयात्री ने सिया से पूछा, हां, मोहब्बत है वो मेरी, जिंदगी है वो मेरी. सिया गर्व
से बोली. आंटी से तपाक से कहा, देख कर लगा ही था, इतना प्यार करने वाले होते ही
कहा है, भगवान जोड़ी सलामत रखे. जोड़ी सलामत
रखे, आमीन सिया बुदबुदाई. डर लगता था उसे, अपनी ही किस्मत से, बचपन से दोस्तों की
मंडली नहीं थी उसके पास, एक दो खास लोग बस. जब, से नीरज मिला है, उसे जिंदगी में
पूर्णता का एहसास होने लगा. नीरज को खोने से ख्याल से भी कांपती है वो. नीरज भी तो
ऐसा ही है, बहुत बिखरी हुई, तनहा बेरंग जिंदगी थी उसकी. जब से सिया आई है, नीरज का
हर सपना रंगीन होने लगा है. उसे जीना है, कुछ करना है, खुद को कुछ बनाना है, सिया
के लिए.
दो महीनें हो चुके है, उन
दोनों को एक दुसरे के साथ. सहारनपुर की रहने वाली सिया, दो साल पहले ही फैशन
डिज़ाइनर बनने मुंबई आई थी. बांद्रा के पॉश इलाकें में किराए का फ़्लैट, वो और उसकी
बार्बी यही उसके साथी थे. चर्चगेट पर एक नामचीन डिजाइनर के यहां नौकरी मिल गई तो
जैसे उसकी दुनिया ही बदल गई. बड़े शौक नहीं थे उसके, सिर्फ सपने बड़े थे. उसे तितली
के संग उड़ना था, मझली के संग तैरना था. एक साल पहले ही नीरज उसे मिला, तो लगा जैसे
ऊपर वाले ने सब कुछ छप्पर फाड़ कर दे दिया. उसके साथ होकर सिया दुनिया भूल जाती थी.
नीरज की रानी थी वो और नीरज उसका राजा.
उसका ऑफिस सिया के ऑफिस के
नीचे वाले फ्लोर पर ही था, दोनों ऑफिस से समय निकाल कर साथ में टपरी पर चाय पीने
जाते थे.
आज सुहास नहीं आया, सिया ने
चाय की चुस्की लेते हुए पूछा. ना उसकी मां बीमार है. ओह्ह सिया का चेहरा लटक गया.
नोट डन यार उसने मुझे बताया तक नहीं. इस पूरे शहर में वही तो मेरा पहला और इकलौता
दोस्त है. उसे एट लीस्ट मुझे इन्फॉर्म करना चाहिए था. सीया बिदक कर चली गई. नीरज
भी कुछ नहीं बोला, बोले भी क्यों, सुहास सिया का सबसे अच्छा दोस्त है. सिया उसे अपना
बड़ा भाई मानती है, और सुहास नीरज के भी तो बचपन का जिगरी दोस्त है. नीरज जानता है
सिया उसके बिना दो दिन रह सकती है पर सुहास के बिना चार घंटे भी नहीं. सुहास है ही इतना अच्छा, बचपन से नीरज का हमेशा
साथ दिया उसने, उसी की वजह से तो वो अपने पहले ब्रेक अप के ट्रौमा से बाहर निकल
पाया था और उसी की वजह से एक साल पहले वो सिया से मिला.
उसे आज भी याद है, जब सिया
का बर्थडे था. सुहास ने पार्टी रखी थी, जिसमे नीरज भी आमंत्रित था. इसी पार्टी में
पहली बार मिले थे नीरज और सिया. यही दोनों की नजरें एक दुसरे पर टिकी थी. जिसके
बाद शुरू हुआ था, छुप छुप के साथ साथ फिल्मे जाने का दौर. नीरज माँ –बाप का इकलौता
बेटा, कोई साथी नहीं, उसे भी सिया के साथ जाना अच्छा लगने लगा. सिया तो थी ही
घुमक्कड़ जब मन किया जहां मन किया निकल जाती थी. उसके साथ रहकर नीरज का बोरिंग नेचर
कुछ बदल रहा था. सिया की महत्वाकांक्षाएं और तमन्नाएं उसे भी उड़ना सिखा रही थी. वो
सिया के साथ जीना सिखने लगा था. सुहास की वजह से उसे सिया नाम की नेमत मिली थी.
बहुत मन होता था उसका सिया को गर्ल फ्रेंड बनाए. पर आजाद खयाल सिया कही उसे दोस्ती
का फायदा उठाने वाला लालची ना समझ बैठे, वह हमेशा चुप ही रहा.
फिर लगभग दो महीने पहले,
सिया ने उसे ऑफिस के नीचे अकेले बुलाया और उसका हाथ थाम कर कहा, ‘नीरज देखो, मुझे
ये हाथ पकड़ कर जीने में मजा आने लगा है, क्या तुम सारी जिंदगी ये मेरी कलाई थाम
सकते हो’ नीरज को तो जैसे सब कुछ मिल गया, खुशी आंसू बन कर छलक उठी और उसने सिया
को बाहों में भर लिया.
तब से उसकी दुनिया सिया तक
सिमट आई, रोज उसे ऑफिस से स्टेशन छोड़ना, फिर देर रात तक फोन पर बतियाना, सुबह उसे
जगाना, उसकी तो जैसे दिनचर्या ही सिया के इर्द गिर्द मंडरा रही थी.
दोनों साथ होते तो वक्त भी
पंख लगाकर मानों उड़ सा जाता. वेक अप माई प्रिंस, फोन पर सिया की वजह से नीरज की
नींद टूटी. हम्म बोलो उठ गया. आज हमें साथ में तीन महीने हो गए चलो ना कही, लेट्स
सेलिब्रेट. ओह्ह तुम भी ना बच्ची हो, नीरज खुद गया. तुम नाटक ना करों, मेरा पहला
अफेयर है ये, मुझे इसके हर पल का लुफ्त लेना है. सिया भी जिद पर अड़ गई. ठीक है मैं
एक बजे तक तुम्हारे घर आता हूं, सुहास को भी ले आता हूं, अपन तीनों कार्टर रोड
चलेंगे. नीरज ने फैसला सुनाया. नहीं नीरू, बिलकुल नहीं. चीख पड़ी सिया. देखो
तुम्हें मेरी कसम चाहे जो हो जाए सुहास को हमारे अफेयर में बारें में कभी किसी
कीमत पर पता नहीं चलना चाहिए. सिया का मूड अब तक उखड चुका था, उसका स्वर बदल गया
था. नीरज भी प्रतिकार करने में अव्वल था, क्यों यार वो तो हम दोनों का बेस्ट फ्रेंड
है. हम दोनों उससे कभी कुछ नहीं छिपाते, नीरज भी अड़ गया. सिया कुछ ना कह सकी, गुस्से में फोन काट कर सोने चली गई. नीरज सकपका
चुका था, उसकी नींद उड़ गई. ये सुहास को क्यों नहीं बताना चाहती, उसे बात हजम नहीं
हुई, सिया का नंबर घुमा डाला. अपनी कसम दे दी और वजह पूछने पर अड़ गया. फोन में
किसी श्मशान का सन्नाटा पसर गया. ना जाने क्यों, मेरा दिल कहता है कि उसे जिस दिन
पता चलेगा हमारे रिश्ते का वो आखिरी दिन होगा. नीरज, तुम्हे मेरी कसम जब तक हमारे
परिवार शादी को एग्री ना हो जाए उसे पता नहीं चलना चाहिए. सिया की आवाज भारी हो
रही थी.
ये लड़की भी पागल है, कुछ भी
सोचती रहती है, खैर जैसी भी है, मेरी है, मेरी आंखों का तारा है, इसे खुश रखना,
इसकी इच्छाएं पूरी करना मेरा फर्ज है. नीरज तय कर चुका था कि इस बारे में सुहास को
कभी पता नहीं चलेगा. दिन खुशी खुशी कट रहे थे. सुहास को वक्त वक्त पट शक होता था,
अब नीरज उसे टाइम नहीं देता था, सिया भी बीजी रहती थी, दोनों अक्सर एक साथ एक ही
वक्त पर गायब भी होते थे. उसनें कई बार नीरज से पूछने की कोशिश की लेकिन, नीरज हर
बार टाल गया.
नीरज और सिया का रिश्ता छह
महीने पूरे कर चुका था. इसी मौके पर सिया ने जुहू के एक पांच सितारा होटल में रात
आठ बजे नीरज को खाने पर बुलाया. समय की पाबंद सिया वहां पहुंच गई, लेकिन नीरज नहीं
आया. घड़ी की सुइयां मरियल चाल से आगे बढती रही. सिया का चेहरा लटकता जा रहा था, नीरज
तो इतना लापरवाह कभी नहीं था, फोन भी नहीं उठा रहा, सिया कभी गुस्से तो कभी डर से
छटपटा रही थी कि अचानक मोबाइल बजने लगा. नीरज का कॉल था. हैलो
सिया यार सॉरी
तुम सेफ तो हो, क्या हुआ,
कहां हो, पता है मैं कितनी डर गई थी, तुम इतने केयरलेस कैसे हो सकते हो? बिफर पड़ी
वो.
यार क्या करू, सुहास ने
बीयर पीने रोक लिया.
क्या, लेकिन, तुमने तो मुझे
वादा किया था कि तुम शराब छोड़ दोगे
अरे यार बचपन का दोस्त है,
इमोशनल कर दिया उसने, जिद करने लगा तो मैं मना नहीं कर पाया.
सिया का मन बुझ चूका था,
झगडनें का कोई फायदा भी नहीं था, कोई बात नहीं कहकर झूठी मुस्कान देकर उसने फोन
काट दिया. नीरज विश्वासघाती है यह बात आज उसके मन में अपने आप अंकित हो गई.
तूफान अकेले कब आता है, जब
भी आता है लाव लश्कर लेकर आता है. नीरज को ऑफिस में प्रमोशन मिली पार्टी हुई,
लेकिन सिया को एक नॉर्मल दोस्त की तरह पेश किया गया, सुहास की मौजूदगी के चलते उसे
गर्ल फ्रेंड होने का सम्मान मिल ही नहीं सका. दिल पर एक और चोट हो गई.
दोनों इस बार साथ वाटर पार्क
जाने का प्रोग्राम बना रहे थे. सिया बहुत खुश थी. सारी तैयारियां हो गई थी कि ऐन
मौके पर सुहास बीमार पड़ गया. नीरज ने जाने से मना कर दिया. जब सिया ने फोन पर जिद
की. तो नीरज बिफर पड़ा, ‘जब से जिंदगी में आई हो गुड्डा बना दिया है मुझे, तुम्हारे
नियमों से बंधकर मैं अपनी दोस्ती बर्बाद नहीं कर सकता, तुम्हे अपनाते अपनाते मैं
अपने भाई जैसे दोस्त को खोने लगा हूं. तुम टॉर्चर हो यार’ नीरज ने फोन काट दिया, लेकिन,
सिया, उसके आंसू नहीं रुके. उससे पहली बार किसी ने ऐसे बात की थी, उससे अपमान बर्दाश्त
ना हुआ, आनन फानन में सुहास के घर पहुंच गई और वही उसी के सामने मैं नीरज से प्यार
करती हूँ, उसकी गर्ल फ्रेंड हूं, कह कर नीरज से लिपट गई.
सुहास खुशी से झूम उठा,
अपने दोनों ख़ास दोस्तों की प्रेम कहानी सुनकर उसका तो जैसे बुखार ही भाग गया. नीरज
के चेहरे पर गर्व तैर रहा था. एक तो सिया के अनुमान के विपरीत सुहास इस प्रेम के
बारे में जान कर खुश हुआ और दुसरा दोस्त की नज़रों में उसकी इज्जत भी बढ़ गई. एक
शानदार गर्ल फ्रेंड है उसके पास और ना ही उसने दोस्त से कुछ छुपाया दोनों तरह से
हुआ तो उसके मन का ही. वो खुश था, लेकिन, सिया, अंदर तक डरी हुई थी. एन अनजाना खौफ
उसे खा रहा था.
अगले ही दिन नीरज और सुहास
चाय पीते पीते इस अफेयर को डिस्कस कर रहे थे. नीरज को जैसे गर्व से पगला रहा था,
एक एक किस्सा अपने दोस्त को बता रहा था, आखिर वो दोस्त से कुछ छिपाता जो नहीं था. क्या,
उसने तुझे आगे होकर प्रपोज किया, चीख पड़ा सुहास, मुझे नहीं पता था सिया इतनी
बेशर्म है, तू भी किसके चक्कर में फंस गया नीरज, लड़की होकर प्रपोज करती है, आगे
क्या क्या करेगी, तुझे गुलाम बना कर रखेगी. सुहास उठ कर चला गया और नीरज वहां अकेला
खड़ा सोचता ही रह गया. सुहास क्यों गलत कहेगा, उसकी बात में कोई तो वजह होगी, बचपन
का दोस्त है मेरा बुला क्यों चाहेगा, लेकिन सिया तो कितनी अच्छी है, इतनी सुंदर
है, फिर भी मेरे अलावा आज तक उसने किसी को नहीं देखा, अब तक नीरज का मन कुरुक्षेत्र
हो गया था, जहां सुहास की दोस्ती के कौरव और सिया के प्रेम के पांडव महाभारत कर
रहे थे.
एक जनवरी साल का पहला दिन
और नीरज का जन्मदिन सिया सुबह से उत्साहित थी. घर पर ढेर से व्यंजन बनाए पहली बार
वो इतने जतन से कुछ पका रही थी. लंच पर नीरज जो आने वाला था. घड़ी की सुइयां जैसे
ही बारह बजाने को मिली दरवाजे की बेल बजी और नीरज सामने. सिया को तो जैसे सबकुछ मिल
गया, उसके घर उसका खुदा आया था, मनमाफिक आवभगत की अपने हाथ से पका कर खिलाया. दोनों
एक थाली से कौर तोड़ ही रहे थे, कि अचनाक प्रेम का प्रवाह प्रबल हुआ, सिया अपने
नीरज की बाँहों में थी और उसी पल उन दोनों के रूहानी रिश्ते ने जिस्मानी रूप ले
लिया. उस दोपहर बिन फेरे सिया नीरज की ब्याहता हो गई और नीरज के लिए सिया उसकी
अर्धांगिनी.
अगले ही दिन ऑफिस में खाने की टेबल पर नीरज के
गले पर पड़ा लव बाईट उसकी मोहब्बत की दास्तान चीख चीख कर सुना रहा था. सुहास का
ध्यान पड़ा और उसने वजह पूछ डाली. नीरज तो जैसे दुनिया जीत कर आया था, उसने भी बड़े
गर्व से बीती दोपहर का किस्सा सुना डाला. सिया की कसम से तो वो मुक्त ही था, और
जिसे बता रहा था वो सिया का सबसे खास दोस्त ऐसे में छुपाना क्या?
सुहास के चेहरे का रंग उड़ चुका
था, उसने सिर्फ एक सवाल दागा. नीरज, जो खुद अपनी इजात लुटवाने के लिए जवान मर्द को
अपने घर बुलवाए क्या वो औरत घर की इज्जत बनाने लायक है? बच्चा भी मां के पेट से बाहर आने में नौ महीने
लेता है, यह तो आठ महीने में खुल गई, इसका क्या भरोसा? तू भाई है मेरा, तेरी
जिंदगी खराब होते नहीं देख सकता इसलिए कह रहा हूं, छोड़ इस बवाल को.
नीरज कुछ नहीं कह सका,
पत्थर हो चुका था वो, सुहास उसका बुरा नहीं चाहेगा, उसे पता था, इसलिए खोट तो सिया
में ही है. वो निर्णय ले चुका था.
खुद को नीरज की नीरजा मान
चुकी सिया उसे फोन लगाती रही, लेकिन, कोई जवाब नहीं आया. वो बीजी होगा, काम की
टेंशन होगी, खुद करेगा, उसकी भी अपनी लाइफ है. हो सकता है कल जो हुआ उस वजह से वो
थोड़ा शरमाया हुआ हो. सिया को खुद को ढेरों दिलासे दे दिए.
पंद्रह दिन, अब विरह असह्य
हो चुका था, उसने एक पीसीओ से नीरज को फोन किया.
हैल्लो नीरू, मैं सिया, फोन
क्यों नहीं उठाते तुम?
नहीं उठाता हूँ, तो इसका
मतलब समझो, आई हेट यु. मैं तुमसे ब्रेक अप करता हूं, आजके बाद मुझे कॉल या मैसेज
मत करना, नीरज ने फोन काट दिया.
मेरी गलती क्या है, सिया बस
सोचती रह गई, उसे कुछ समझ नहीं आया. उसने ना जाने कितने मैसेज किए लेकिन, उसका
पत्थर रांझा नहीं पिघला.
वो टूटती जा रही थी. नाउम्मीदी
उसकी इकलौती सहेली बन गई. अचानक, याद आया उसे, सुहास, नीरज के बचपन का दोस्त, वो
उसे समझा सकता है, पैदा हुई ग़लतफ़हमियों को दूर कर सकता है, और वो उसका भी तो खास
दोस्त है. वही मदद करेगा. सिया ने सुहास का नंबर घुमाया और उसे मिलने बुलाया.
भीगी पलखे लिए सिया खड़ी थी,
सुहास ने उसे हग किया. लेकिन, ये हग कुछ अलग था, इसमें सुहास वाली बात नहीं थी,
सिया असहज हो गई, खुद को अलग करते हुए उसने सुहास से नीरज को समझाने के लिए कहा.
देख वो है ही कमीना, औरतों का इस्तमाल करके उन्हें छोड़ देता है. मैं तुझे पहले ही
बताना चाहता था पर मुझे लगा तू विश्वास नहीं करेगी इसलिए कभी कहा नहीं. तू भूल जा
उसे और सुन चिंता मत कर मैं तुझे अपनाउंगा. मुझे पता है तेरी इज्जत जा चुकी है फिर
भी मैं तुझसे शादी करूंगा बस तू मेरी हो जा.
सिया पर जैसे एक साथ करोडो
बिजलियां गिर गई. उसका रोम रोम कांप गया. सुहास बोलता जा रहा था, तेरी इज्जत नीलाम
हो चुकी है, अब तुझे कोई नहीं अपनाएगा, लेकिन तू फिकर मत कर.
सिया ने अपने आंसूं रोके
नज़रे उठाई और सुहास के चेहरे पर टिका दी. अब दोनों की आंखे एक दुसरे में झांक रही
थी. सुहास नहीं, मैं कोई मैला बोझा नहीं हूं, मेरा मन पवित्र है, तू मुझ पर एहसान
ना कर, मुझे संभालने वाले मिल ही जाएंगे तू उसकी परवाह ना कर.
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अपने पलंग पर पड़ी सिया सोच
रही थी मेरा चरित्र आज भी पवित्र ही है, खोट हमारी ही दोस्ती में था, जो मेरे
प्यार को ना समझ सकी. उसका दिल तो कहता ही
था कि जिस दिन सुहास को पता चलेगा उसी दिन से इस रिश्ते का ताबूत तैयार होना शुरू
हो जाएगा, अब उसे विश्वास भी हो गया. उसने नीरज को फोन लगाया उसे सब कुछ बताने की
कोशिश की. लेकिन नीरज तो उसे सुनने को ही तैयार ना था. सुहास की बाते उसके मन में
पत्थर की लकीर की तरह लिखी जा चुकी थी. सिया कि हर कोशिश बेकार रही, मेल करना,
एसएमएस लिखना, चिट्ठी भेजना सब बेकार.
उधर नीरज वो भी तो संशय में
पड़ा तड़फ रहा था, खास दोस्त झूठ क्यों बोलेगा, लेकिन कोई लड़की भी इतना फोन क्यों
करेगी. दुसरे शहर से दो साल पहले ही आई लड़की का चरित्र भी कौन जाने उसकी जिंदगी का
सवाल था. लेकिन, उन दो आंखों का क्या, जिनमें बेशुमार प्यार था, जिनमे मासूमियत
टपकती थी. और सिया के चरित्र पर तो सवाल ही नहीं उठता वो तो नजरे उठा कर भी किसी
को नहीं देखती थी. नीरज पागल होता जा रहा था. धीरे धीरे खाना छुटा, ऑफिस से मन
उठने लगा. वो दीवानों सा रहने लगा और सुहास हर बार उसकी बर्बादी का दोष सिया पर
मढ़ता रहा.
सिया आज भी खुश है, रोज मेक
अप करके, बेहतरीन कपडे पहनकर ऑफिस आती है. उसे तो जैसे कोई फर्क ही नहीं पडा, तू क्यों
उसके पीछे बर्बाद होता है सुहास नीरज को कहता रहा. लेकिन नीरज के अंदर कोई था जो
हर बार चीख कर सुहास का विरोध करना चाहता था लेकिन सुहास चुप रहा.
एक साल बित गया. कल एक
जनवरी है, नया साल भी लगेगा और नीरज का बर्थडे भी, पर वो बहुत उदास है. इस बार
उसके साथ उसका बर्थडे मनाने वाली जो नहीं है. सब कुछ खत्म हो गया. इसी दिन बर्बादी
की नींव पड़ी थी, वो खुद को कोस रहा था. घड़ी की सुइया 12 बजने में दस मिनट कम बता
रही थी. दुनिया जश्न में मशगूल थी और नीरज अपने ग़मों में. अचानक, दरवाजे की घंटी बजी,
बुझे मन से उठा वो गेट खोला,
ये यहा क्यों आई है, क्या
चाहिए इसे. सोच में पड़ गया वो. सदमें से लकवा मार गई जबान हिलती उससे पहले ही सिया
ने उसे बाहों में भर लिया, हैप्पी बर्थडे माई प्रिंस, चालों अंदर तुम्हारा फेवरेट
केक लाइ हूं. सिया मुस्कुराने लगी
तुमने पी रखी है क्या, आज
तुम एक साल बाद मेरे घर, इतनी खुश होकर, वो सब, वो आरोप, क्या तुम गुस्सा नहीं?
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