हाँ ये कुछ अलग कहानी है
क्युकी ये इक पत्रकार की प्रेम कहानी हैं।
यहाँ ब्रेक फास्ट से शुरू होकर डिनर तक चलने वाली डेट नहीं होती।
लुभाने के लिए मेक अप से पुती कोई लडकी नहीं होती।
घंटो लम्बी शोना बाबू वाली बाते नहीं होती।
क्युकी ये इक पत्रकार की प्रेम कहानी हैं।
यहाँ ब्रेक फास्ट से शुरू होकर डिनर तक चलने वाली डेट नहीं होती।
लुभाने के लिए मेक अप से पुती कोई लडकी नहीं होती।
घंटो लम्बी शोना बाबू वाली बाते नहीं होती।
ये वो कहानियाँ होती है जो पुलिस थानों में शुरू होती हैं।
जिनमें यश चोपड़ा की चिता के सामने प्रेम की कसमें खाई जाती हैं।
जहां दंगे भडकने पर मुलाक़ात का एक मौक़ा मिल जाता हैं।
तलाक के केस में कोर्ट रूम में प्यार पनप जाता हैं।
जिनमें यश चोपड़ा की चिता के सामने प्रेम की कसमें खाई जाती हैं।
जहां दंगे भडकने पर मुलाक़ात का एक मौक़ा मिल जाता हैं।
तलाक के केस में कोर्ट रूम में प्यार पनप जाता हैं।
जहां अपने पहले फ्रेंच किस की डेट याद नहीं रहती पर हर रेल हादसा तारीख समेत याद होता हैं।
जहां प्यार के कसमों वादों के साथ कन्फर्म का टैग दिया जाता हैं।
जहां डेट के दरमिया मारिया के ट्रांसफर कन्फर्म होते है।
घंटो की बकबक भी कभी कभी सुनी नहीं जाती है।
जहां प्यार के कसमों वादों के साथ कन्फर्म का टैग दिया जाता हैं।
जहां डेट के दरमिया मारिया के ट्रांसफर कन्फर्म होते है।
घंटो की बकबक भी कभी कभी सुनी नहीं जाती है।
न जाने कितने सप्ताहों तक फोन कॉल 32 सैकंड से आगे ही नहीं बढ़ पाती है।
मिलने पर बस फोन छिपा कर मुसीबत से निजात पाई जाती हैं।
नजरे देख कर भी अनजान बनने की अभ्यस्त हो ही जाती हैं।
पा कर भी कुछ कम होने का अहसास रहकर भी खुशियाँ दे जाता है।
मिलने पर बस फोन छिपा कर मुसीबत से निजात पाई जाती हैं।
नजरे देख कर भी अनजान बनने की अभ्यस्त हो ही जाती हैं।
पा कर भी कुछ कम होने का अहसास रहकर भी खुशियाँ दे जाता है।
फिर भी इस दरमिया पलता है
इक विश्वास
अपने और उसके होने का
क्युकी ये कहानी है पत्रकार की
जिसे दौड़ना है घडी से आगे
जहां भावनाओं के लिए वक्त नहीं
वहां बिन कहे सुने सब समझने की कहानी है ये।
इक विश्वास
अपने और उसके होने का
क्युकी ये कहानी है पत्रकार की
जिसे दौड़ना है घडी से आगे
जहां भावनाओं के लिए वक्त नहीं
वहां बिन कहे सुने सब समझने की कहानी है ये।
- आशिता दाधीच #AVD #Ashita
Awesome
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