विनय पाठक क्या चाहते थे तुम, बेहद सर्दी जुखाम होते हुए भी मैं छींक भी न सकूं क्योंकिं वो एक छींक कुछ नैनों सैकंड मुझे नथिंग लाइक लियर नहीं देखने देगी, या मैं उठूं प्ले के बीच और जाकर गिर पडूँ अपनी माँ के पैरों पर या पापा को फोन लगा कर रोऊँ बहुत रोऊ उन्हें हजारों बार तकलीफें देने के लिए, आई एम् बीजी कह कर उनका फोन कट करने के लिए, एक बेहद बुरी बेटी होने के लिए।
या फिर विनय पाठक मैं यह सोचूँ कि तुम मंगल ग्रह से आए कोई एलियन हो, इतना मंत्रमुग्ध कैसे कर सकते हो तुम बस उस डेढ़ घण्टे में।
रजत कपूर कैसे हास्य, रौद्र, करुण, जुगुप्सा और शांत रस को एक साथ पिरों दिया तुमने, शेक्सपियर की आत्मा भी झूम उठी होगी इस अडॉप्शन पर।
पल में भाई से डरता युवक, पल में भाई की हत्या कर प्रतिशोध लेता वो भीरु, पल में पापा से हंसी ठिठोली करता वो पात्र अचानक अपनी बिटिया को कैसे गोद में खिला रहा था, और वो लाइन, बेटा तुम कभी बड़ी मत होना बस ऐसे ही रेंगती रहना ये दुनिया बहुत बुरी है नेवर ग्रो अप माई चाइल्ड' कैसे लिख डाली तुमने ओबामा से लेकर कल्लू पनवारी जैसे हर बेटी के बाप के दिल की बात।
और फिर बेटी की बेवफाई से आहत पिता, उसे श्राप देता पिता और फिर श्राप देने में अफ़सोस करता पिता, सचमें माँ पर तो कितने ग्रन्थ आ गए पर बाप के मृसण से मुलायम दिल को तुमने कैसे एक ही पल में चीर कर रख दिया, वो बाप जो दशरथ की तरह तड़फ कर मर जाता है लेकिन बच्चों से अपने दिल की बात नहीं कह पाता।
दिल जीत लिया तुमने रजत-विनय लव यू।
इस प्ले पर जल्द ही विस्तार से लिखूंगी ....
Friday, February 10, 2017
Nothing like Lear #RajatKapoor #VinayPathak #Play
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