Tuesday, November 27, 2012

एक पत्र



एक पत्र 

एक पत्र लिखती हूँ प्रियतम, वह पत्र जो तुम्हारी खुशबू से रचा बसा हो
एक पत्र लिखती हूँ प्रियतम, वह पत्र जो मेरा प्यार में डूबा हुआ हो .....

तुम्हे जितना समझने की कोशिश की हमदम  उतना ही उलझती गई
तुम्हारी प्रीत में ......

नहीं चाहती कोई महल कोई किला,
मेरे राजकुमार की बांहों से बड़ा कोई महल होगा भी कहाँ.

हां एक बार, तुम्हारी बांहों में जीकर देखा था मैंने, 
लगा था ... मानो जन्मो की तपश्या के बाद ये दिन  आया हैं .... 
दिल किया था बस संजो कर रख लू इस क्षण को .... 

बस वो जो पल उसके साथ बिताए हैं मेरे धरोहर हैं ....
दोस्त हो तुम मेरे  .... क्युकी तुम्हारे  साथ मैं  हर वो बात शेयर कर सकती हु
जो में खुद भी नहीं जानती हूँ

तुम्हारे साथ मैं मैं बन कर जी सकती हूँ .

तुम्हारे साथ हर बचपना कर सकती हु.

याद हैं मुझे, जब टूट चुकी थी, तुम्हे ही फोन किया था, रोई थी मैं
क्युकी तुम मेरा विश्वास हो ,  मेरी श्रद्धा हो , मेरी आस्था हो. 

ना जाने कब तुम्हारी  उन खूबसूरत आँखों में खोने के लिये जी मचलने लगा
ना जाने कब जी करने लगा कि तुम्हारे करीने से सवारे हुए बालो कि बिखेर दू

ना जाने कब ये सपना देख बैठी
कि सत्तर साल की उमर में भी  एक हाथ में लकडी और दूसरे हाथ में मेरा हाथ थाम कर
तुम मुझे बैंड स्टैंड ले जाओगे  .....
जहाँ बैठकर हम दोनों सारी दुनिया के घोटाले भुलाकर सिर्फ खुद को याद रखेंगे.

आँखे सपने देख रही थी और रो भी रही थी .... डर था उन्हें कि वे गलत इंसान पर जा टिकी हैं ....

नहीं, तुम  गलत कैसे हो सकते हो  ??? दुनिया कहती हैं तुम  सोने सरीखे  हो  ......

तुम्हारा नाम सुनकर जो उसे तुम्हे थोड़ा भी जानते हैं , उनकी भी आँखों में चमक आ जाती हैं.

शालीमार मोर्या की सीढियां रूबरू हैं मेरे उन आसूंओं से
जो हर बार तुम्हारी याद में अनजाने ही आँखों से लुढक पड़े.

रोक कर भी नहीं रोक पायी मैं

तुम्हारे अंदर मैंने आशिता को जीते देखा ...

तुम्हे मैंने आशिता से भी ज्यादा आशिता जैसा पाया ....
हर वो खूबी हैं तुममे  जिसके मैंने स्वप्न सजोये  ....

और इसलिए शायद तुम्हारे होने का एह्साह ही मेरी मुस्कुराहटो को बरकरार रखने के लिये काफी हैं ...

एक जिंदगी क्या कई .. सिर्फ तुम्हारी  अमानत हैं ...
तुम्हारी  मुस्कुराहटो पर कुर्बान हैं ....

क्युकी  मुझमे तुम मेरे अंदर तक जीते  हो प्रियतम  ...
और तुम्हारे अंदर  मैं खुद को जीते देखती हु ....
  




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