'तुम मेरा सर्वस्व हो प्रियतम'
हो सकता हैं प्रियतम कि तुम्हारी लिये मैं कुछ भी नहीं
इस शतरंज की बिसात पर मेरे बादशाह, हो सकता हैं मेरी हस्ती
कुछ भी नहीं
लेकिन मेरे प्रियतम तुम तो मेरा सर्वस्व हो, जीवन हो, प्राण हो.
वो अलफ़ाज़ नहीं है मेरे पास कि तुम्हे दिखला सकू,
तुम्हारा महत्व अपने जीवन में.
क्युकी तुम ही तो मेरा जीवन हो प्रियतम.
तुम हर वो शब्द हो, जिसे मैं बोलती हूँ.
तुम
हर वो गीत हो, जिसे मैं गुनगुनाती हूँ.
तुम
वो दर्द हो, जिसमे भी एक मजा हैं.
तुम
वो बरसात हो, जिसमे भीगना मुझे लुभाता हैं.
तुम
वो दर्पण हो प्रिय, जिसमे मैं स्वयं को और भी, बहुत, खूबसूरत पाती हूँ.
तुम
मेरा वो रहस्य हो प्रिय, जिसे मैं जग से छुपाना चाहती हूँ,
बस
अपने ह्रदय के पास रखना चाहती हूँ.
तुम वो कथा हो प्रिय, जिसे मैं बरबस बारबार पढ़ना चाहती हूँ.
तुम मेरा वो सपना हो मीत, जिस पर मैं अंध श्रद्धा रखना चाहती हूँ.
तुम
वो पक्षी हो प्रियतम, जिसके के साथ में उड़ना चाहती हूँ. दूर बहुत दूर .. सीमाओं से
परे
तुम मेरी श्वास हो प्रिय, तुम्हे चुनना नहीं चाहती हूँ मैं
क्युकी
तुम्हारा कोई विकल्प ही नहीं हैं.
तुम
तो मेरा वह अनंत शास्वस्त सत्य हो, जिस पर मुझे गर्व हैं,
चीख
चीख कर जिसे सुनाना चाहती हूँ मैं इसे विश्व को.
तुम मेरी वो भावना हो प्रिय जिसे महसूस करके मैं स्वयं को पा जाती हूँ.
तुम वो पुष्प हो प्रिय, जिसे मैं सिर्फ मैं सूंघना चाहती हूँ.
सिर्फ तुम ही वो हो प्रियतम जो मेरे प्रियतम शब्द को मायने दे सकता हैं..
तुम मेरा वो अतीत हो, जिसमें मैं सदा मुस्कुराई हूँ, जिससे मैं प्रेम करती हूँ.
तुम मेरा वो भविष्य हो, जिसमे मैं स्वयं को सुरक्षित पाती हूँ, जिससे मैं प्रेम करती हूँ.
तुम मेरी वो भावना हो प्रिय जिसे महसूस करके मैं स्वयं को पा जाती हूँ.
तुम वो पुष्प हो प्रिय, जिसे मैं सिर्फ मैं सूंघना चाहती हूँ.
सिर्फ तुम ही वो हो प्रियतम जो मेरे प्रियतम शब्द को मायने दे सकता हैं..
तुम मेरा वो अतीत हो, जिसमें मैं सदा मुस्कुराई हूँ, जिससे मैं प्रेम करती हूँ.
तुम मेरा वो भविष्य हो, जिसमे मैं स्वयं को सुरक्षित पाती हूँ, जिससे मैं प्रेम करती हूँ.
तुम
मेरा वह वर्तमान हो, जिससे मैं केवल मात्र प्रेम करती हूँ.
इसके सिवाए और क्या कहू हमदम
मेरे शब्दकोष मैं इतनी क्षमता हैं भी नहीं.
इसके सिवाए और क्या कहू हमदम
मेरे शब्दकोष मैं इतनी क्षमता हैं भी नहीं.
लेकिन
फिर भी तुम्हे जतलाना चाहती हूँ प्रियतम
कि
तुम्हारी श्रष्टि में मेरा स्थान भले ही नगण्य हो
परन्तु
तुम मेरा सर्वस्व हो प्रियतम
everything's very nice, imo, except the last 2 lines. never lower your self respect/esteem that much.
ReplyDeleteThanks a lot.
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