जब भी इस दिल को दर्द हुआ, तुम याद आए।
जब भी मैं थक कर चूर हुई, तुम याद आए।
जब भी मिले धोखे दुनिया वालों से,
याद आई तुम्हारी वफाएं।
जब भी टुटा दिल दुनिया के प्रपंच से,
देख ली अपने पर्स में रखी तेरी तस्वीर|
जब भी खुद को अकेला पाया, तुम याद आए।
याद आया तुम्हारा मेरे करीब से गुजर जाना,
और आगे जाकर कुछ ठहर कर मुड़ जाना,
पलट कर मुझे देखना और मुस्कुरा देना,
और तसल्ली करना कि कही मेरी आंखे पीछा तो नहीं कर रही तुम्हारा।
बातों - बातों में तुम्हारा मुझ से मेरे ख्वाब पूछ लेना,
और फिर उन ख्वाबों को सच करने की कोशिश में जुट जाना।
जब ट्रेन चल दे उसके साथ दौड़ते रहना,
मेरे पैर दुःख जाने जाने पर उन्हें सेहला देना,
मेरे रो देने पर बाहों में भर लेना,
मुझे बच्ची की तरह समझा देना|
याद आता है अपनी शर्ट में महकता तेरा पसीना
तेरे बालों का टूट कर मुझसे लिपट जाना
सच कहु तो जब भी बढ़ जाते है दुनिया के झमेले
जब भी हो जाते है हम अकेले
बहुत याद आते हो तुम
बहुत याद आते हो तुम
but hopefully you have a lovely festive season ahead
ReplyDelete