Thursday, August 13, 2015

चरित्रहिन Characterless


सुहास क्या कर रहा है भाई चल दारु पीने चलते है।
क्यों भाई कुछ ख़ास है क्या?
अबे ख़ास नहीं हुआ तो नहीं आएगा क्या चल ना।
आया भाई तेरी बिल्डिंग के नीचे आया।
नीरज तुरंत बिल्डिंग के नीचे पहुंचा। वहां से दोनों बाइक पर बैठकर दस मिनट में ही नजदीकी बार में थे। एक पैग दो पैग, नीरज बस पिए जा रहा था। क्या हुआ भाई कितना पिएगा, सुहास ने पूछा।
भाई आज मत रोक नीरज बोला।
पांचवा पैग चल ही रहा था कि सुहास का ध्यान नीरज के गले पर पड़ा।
भाई ये क्या है, सुहास ने पूछा।
क्या
ये भाई ये
अच्छा ये
हाँ भाई
छोड़ ना भाई इसे
बता ना भाई देख मैं भी सब बताता हूँ ना तुझे
उम्म्म पर यार सुहास
लडकी का चक्कर है न नीरज भाई
हाँ यार वो सिया है ना अपने ऑफिस की। वो मेरी गर्ल फ्रेंड है। तेरा भाई उससे बहुत प्यार करता हैं।
सुहास की आँखे फ़ैल चुकी थी, और साले तू मुझे अब बता रहा हैं। वो नाराज था नीरज से।
भाई माफ़ कर दे सिया ने कसम दी थी कि जब तक फैमिली नोड नहीं आता किसी को ना बताऊ। अच्छा अब चल ज्यादा पिउंगा तो सिया रूठ जाएगी। तू भी उसे मत बताना कि तुझे हम दोनो के बारे में पता है।
कांपते पैरो से दोनों बार के बाहर निकले एक दुसरे को सम्भालते हुए घर की तरफ बढ़े।
पर नीरज सुन तो ये गले पे। सुहास ने पूछा।
लव बाईट है साले
कैसे .... कब
अरे यार वो तुझे तो पता ही है मम्मी गाँव गई है। तो कल सिया घर आई थी खाना बनाने। कंट्रोल करने की बहुत कोशिश की यार पर वो वो है ही इतनी प्यारी। उसके आटे वाले हाथों से ही मैं तो उसे कमरे में उठा लाया। और बस यार। पर क्या बताऊ यार इतनी गजब है वो। आहा।
सुहास एक टक नीरज को देख रहा था कब से तुम दोनों साथ हो सुहास ने पूछा।
बस आठेक महीने हुए नीरज में बताया।
भाई सोच सोच सुहास बोला।
क्या भाई
अरे भाई जो लड़की आठ महीने में ही तेरा बिस्तर गरम करने लगी उसका क्या चरित्र होगा। तेरी तो किस्मत खराब हो गई भाई ऐसी लड़की से प्यार करके। सोच भाई उसका तो परिवार भी मध्य प्रदेश में है यहाँ अकेली रहती है कितने लड़कों को अपने घर बुलाती होगी। कुल्टा है साली। छोड़ दे उसे। अपनी जिन्दगी बर्बाद मत कर। न जाने कितनो के साथ सोती होगी वो रोज। वरना इतनी जल्दी कोई लड़की किसी लड़के के बिस्तर तक नहीं आती।
क्या कह रहा है भाई तू
सही कह रहा हूँ। चल घर आ गया सुबह मिलते है बाय। और हाँ छोड़ दे उसको
बाय भाई। नीरज घर आया और बेहाल निढ़ाल बिस्तर पर गिर गया। सुबह उसकी आँख फोन की घंटी से खुली।
हैलो
हाई मेला बेबी उठो सुबह हो गई। स्माइल करो धरती को उजाले की जरूरत है। उस तरह सिया थी।
कमीनी नीच तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझे फोन करने की। तेरे जैसे लडकियों को बखूबी जानता हूँ मैं। रख फोन मेरी सुबह खराब मत कर।
बाबू ये क्या कह रहे हो आप, क्या हुआ हैं।
मैं तुझे समझ चूका हूँ और आई हेट यू नाउ।
नीरज शट अप क्या बोल रहे हो।
तू फोन रखती है या पुलिस कम्प्लेन करूं?
नीरज सुनो क्या तुमने अपने बारें में सुहास को बताया।
हाँ बताया
बस यही आपने गलत किया मैंने कहा था ना इस अफेयर के बारें में किसी को मत बताना।
सुहास मेरा दोस्त है कभी मेरा बुरा नहीं चाहेगा। वो जो बोल है वही सही है।
तो क्या नीरज मैं?
तू बस फोन रख और आज के बाद फोन मत करना।
नीरज आखिरी बात सुन लो
बोल
सुहास की मुझ पर नियत थी वह कई बार मुझे प्रपोज कर चूका था इसलिए तुम्हे कहा था कि इस अफेयर के बारें में किसी को मत बताना। वह यह सब हमे अलग करने के लिए।
चुप कर तू, भाइयों में आग लगा रही है। कितनी गिरी हुई गई तू।
बस नीरज चुप एक लफ्ज नहीं। गिरे हुए तो तुम हो, जो एक औरत को खिलौना समझते हो। उसकी भावना नहीं समझते उसका समर्पण नहीं समझते। मुबारक हो तुम्हे अपना सुहास और अपनी दोस्ती आज के बाद मुझे मुंह भी न दिखाना। गलती हुई कि तुमसे प्यार किया। अब ये गलती नहीं होगी। मैं मुंबई करियर बनाने आई हूँ नीरज यह सब करने नहीं पर तुम नहीं समझोगे। और सिया ने फोन काट दिया।
- आशिता दाधीच

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