Friday, August 7, 2015

Two Lovers

दो पागल
कहा हो तुम सिया।
 अरे बस भायखला क्रॉस किया है। पांच मिनट रुक जाओ। फ़ास्ट ट्रेन हैं।
 रोज की तरह नीरज ने सिया को दादर उतारा और फिर दोनों ने दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाकर सीएसटी की ट्रेन पकड़ी।
 नीरज मेरे जैसी पागल भी कही ओर कहां होगी?
क्यों क्या हुआ?
मेरा ऑफिस सीएसटी में है घर बोरीवली में, सीएसटी से दादर की ट्रेन पकड़ने के बाद रोज तुम मुझे दादर में उतार लेते है वापिस सीएसटी लाने के लिए और वहां से हम चर्नी रोड़ पैदल जाते हैं। सिया बालों को कान के पीछे टांगने की नाकामयाब कोशिश करते हुए बोली।
 तो अच्छा है न इस बहाने हम कुछ पल साथ तो रह लेते है अब हमारी ऑफिस शिफ्ट ही ऐसी है क्या करें। नीरज की आवाज से नाराजगी झलक रही थी।
 नहीं मैं थक जाती हूँ। सिया शिकायत करते हुए बोली।
 तो ठीक है कल से हम अपने बाबू को बोरीवली तक छोड़ने चलेंगे।
 अल्ले नहीं ना आप थक जाओगे।
 तो क्या हुआ साथ तो रह सकेंगे कुछ पल।
 नहीं नीरज, सिया बोली, आप अगर तीस सैंकड़ के लिए भी कॉल कर लो तो मेरा दिन पूरा हो जाता है क्योकि यही तो वो तीस सैकंड है जो आपको खुद के लिए मिलते हैं । इसलिए दादर तो क्या मैं रोज विरार से आपके लिए वापिस आ जाऊ। सिया शर्मा कर बोली।
 अब चुप करो इतनी प्यार भरी बातें न करों नही तो यही किस कर दूंगा।
 कर लो कौनसा अपनी मम्मियाँ देख रही हैं। हेहेहे पागल कहि के उतरो अब सीएसटी आ गया।
- आशिता दाधीच
12-06-2014

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