दीपा मैडम हाथ में छड़ी पकड़े क्लास में इधर से उधर घूम रही थी। दूसरी क्लास की यह स्ट्रिक्ट क्लास टीचर बच्चों को मुखर बनाने और अभिव्यक्ति परायण बनाने में विश्वास रखती है, अचानक ब्लैक बोर्ड के पास जाकर दीपा मैडम ने फरमान सुनाया, चलो सब अपने पापा के बारे में कुछ बताओ।
प्रांजल तुम बोलो।
मैडम मैडम मेरे पापा सबसे अच्छे है। रोज डेरी मिल्क लाते हैं मुझे मम्मी की मार से भी बचाते हैं आई लव यू पापा।
अंकित तुम।
मेरे पापा डैडी है वो मुझे खूब प्याल करते है और बज्जि ले जाते हैं।
निमिषा तुम।
मेरे पापा मुझे कन्धे पे घुमाते हैं लोरी भी सुनाते है औल होमवल्क कलाते हैं।
अंकुश तुम्हारी बारी।
मैडम मेरे पापा फोटो में रहते है और मम्मी को रोज रुलाते हैं। मुझछे कबी मिलने नहीँ आते पल मम्मा कहती है पापा बहुत अच्छे थे ओल वो छ्हीद हो गए है न इछलिये नहीँ आते।
©आशिता दाधीच
A story which was born after visiting house of a martyr today.
अरे वो देख निशा जा रही हैं।
अरे छोड़ उसे क्या देखना।
रूपा और पूजा ने निशा को सामने से आते देख कर रोज की तरह नाक भौ सिंकोड लिए और फुसफुसाहट शुरू कर दी।
आठ साल हो गए, अपने माँ बाप को भी खा गई ये कुलटा। ना जाने कब से विधवा बनी बैठी है। आज मैंटेक्स बैंक की मैनेजर बन गई है पर जब देखो मनहूस शक्ल लिए घूमती है। ना तन पे गहना और ना रंगीन कपड़े।
कोई भी अच्छा लड़का मिलता इसे पर जब देखो खुद को विधवा कह कर लड़कों को भगा दिया इसने। दो रिश्ते तो मैं ही लाइ थी। कितनी इन्सल्ट हुई मेरी पता हैं।
इस गम में इसके माँ बाप भी तो मर गए पर ये नहिं सुधरी।
हो न हो बाहर मुंह मारती होगी और एक लड़के के साथ नहीँ रहना चाहती होगी इसलिए ढोंग करती हैं।
रूपा और पूजा हंस पड़ी और छोड़ अपने को क्या कह कर अपने अपने घर चलती बनी।
और निशा
वो अपने बैडरूम में
अनिकेत की तस्वीर में बनी उसकी आँखों में आँखे ड़ाल कर सोच रही थी...
पगला, सात साल तक प्यार करने के बाद प्रपोज कर पाया और इसे इतनी भी क्या जल्दी थी कि मेरे आई लव यू टू कहने से पहले ही कल जवाब देना कह कर उस मनहूस 26.11 की शाम अपनी रूटीन पेट्रोलिंग पर निकल गया। कम से कम जवाब तो सुन जाता या शायद उसे जवाब सुनना ही नहीं था। उसने कह दिया यहीँ उसके लिए काफी था।
©आशिता दाधीच
26.11 Dairy
प्रांजल तुम बोलो।
मैडम मैडम मेरे पापा सबसे अच्छे है। रोज डेरी मिल्क लाते हैं मुझे मम्मी की मार से भी बचाते हैं आई लव यू पापा।
अंकित तुम।
मेरे पापा डैडी है वो मुझे खूब प्याल करते है और बज्जि ले जाते हैं।
निमिषा तुम।
मेरे पापा मुझे कन्धे पे घुमाते हैं लोरी भी सुनाते है औल होमवल्क कलाते हैं।
अंकुश तुम्हारी बारी।
मैडम मेरे पापा फोटो में रहते है और मम्मी को रोज रुलाते हैं। मुझछे कबी मिलने नहीँ आते पल मम्मा कहती है पापा बहुत अच्छे थे ओल वो छ्हीद हो गए है न इछलिये नहीँ आते।
©आशिता दाधीच
A story which was born after visiting house of a martyr today.
अरे वो देख निशा जा रही हैं।
अरे छोड़ उसे क्या देखना।
रूपा और पूजा ने निशा को सामने से आते देख कर रोज की तरह नाक भौ सिंकोड लिए और फुसफुसाहट शुरू कर दी।
आठ साल हो गए, अपने माँ बाप को भी खा गई ये कुलटा। ना जाने कब से विधवा बनी बैठी है। आज मैंटेक्स बैंक की मैनेजर बन गई है पर जब देखो मनहूस शक्ल लिए घूमती है। ना तन पे गहना और ना रंगीन कपड़े।
कोई भी अच्छा लड़का मिलता इसे पर जब देखो खुद को विधवा कह कर लड़कों को भगा दिया इसने। दो रिश्ते तो मैं ही लाइ थी। कितनी इन्सल्ट हुई मेरी पता हैं।
इस गम में इसके माँ बाप भी तो मर गए पर ये नहिं सुधरी।
हो न हो बाहर मुंह मारती होगी और एक लड़के के साथ नहीँ रहना चाहती होगी इसलिए ढोंग करती हैं।
रूपा और पूजा हंस पड़ी और छोड़ अपने को क्या कह कर अपने अपने घर चलती बनी।
और निशा
वो अपने बैडरूम में
अनिकेत की तस्वीर में बनी उसकी आँखों में आँखे ड़ाल कर सोच रही थी...
पगला, सात साल तक प्यार करने के बाद प्रपोज कर पाया और इसे इतनी भी क्या जल्दी थी कि मेरे आई लव यू टू कहने से पहले ही कल जवाब देना कह कर उस मनहूस 26.11 की शाम अपनी रूटीन पेट्रोलिंग पर निकल गया। कम से कम जवाब तो सुन जाता या शायद उसे जवाब सुनना ही नहीं था। उसने कह दिया यहीँ उसके लिए काफी था।
©आशिता दाधीच
26.11 Dairy
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