अमिताभ बच्चन
कौन हो आप।
अभी अभी पिंक फिल्म देख कर लौटी, हमेशा शांत रहने वाले भायंदर के मैक्सस मॉल में, आज पहली बार मैंने सीटियां बजते सुनी, तालियां गूंजते देखी, मैक्सस वो मॉल जिसमें मैंने कहानी भी देखी और बीएपास भी, रागिनी एमएमएस और क्वीन भी, भाग मिल्खा भी और हाउसफुल भी, रामलीला भी और रुस्तम भी। हमेशा शांत सा ऊंघता यह थियेटर आज नाच उठा,
और उसके साथ मेरा भी सर ऊंचा हो गया, औरतों के सम्मान की तरफ दिए गए इस उपहार के लिए।
शुक्रिया अमिताभ बच्चन, दीपक सहगल को जीने के लिए।
पर एक बात बताइये,
आप है कौन,
इंसान तो लगते नहीं, हमारी तरह रक्त मांस के बने, आज पच्चीस की उम्र के काम हमे थका ड़ालता है पर आप वक्त की आँखों में आँखे ड़ाल कर कैसे उसे पीछे छोड़े जा रहे है।
जब दीपक सहगल मॉर्निंग वॉक के दौरान hoddiee से मुंह ढंकती प्रोटोगोनिस्ट के चहरे से कपड़ा पीछे करके उसे मुंह दिखाने को कहते है तो अपने औरत होने पर गर्व होता है।
अमिताभ बच्चन
कौन हो आप।
वजीर वाले वो असहाय बुजुर्ग जो आखिरी में सबसे बड़ा सबल होकर निकला या तीन का वो बुजुर्ग जो कुछ न होकर भी सब कुछ कर गया, या कहानी की वो आवाज जो दिखी नहीं पर दिल में समा गई। या बुड्ढा होगा तेरा बाप का वो जवान जिस पर हर युवती दिल हार गई।
या फिर वो विजय और अमित जो अपने बाप को आँख मिला कर कहा सकता था "मैं नाजायज औलाद नहीं बल्कि आप नाजायज बाप हो"
वो निहायत ही दुबला पतला लड़का जिसे मैंने बचपन में दूरदर्शन की फिल्मों में देखा।
जो गुंडों के गोदाम में अकेला जा बैठा और उन्ही को पीट पाट के बाहर आ गया।
जो बंगला गाडी होने के बावजूद भी माँ के लिए तरस गया, माँ का न होना क्या है अपनी आँखों से जता गया।
जो अपने दोस्त वीरू का ऐसा रिश्ता ले कर गया कि आज भी हम पेट पकड़ कर हंस सके।
जो आजादी के बाद मुलभुत आवश्कयता से जूझता भारत का युवा था, जिसे सिस्टम के लिए गुस्सा था, जिसे बदलाव लाना था, जो बेहतर जिंदगी चाहता था, जो रोजमर्रा की तकलीफों से आजिज था।
जिसे माँ बहन और बीबी के काँधे पर सर रख जार जार रोना था, जो मजबूत भी था और मजबूर भी, जो दयनीय भी था और दयावान भी।
जो मोहब्बते का कड़क प्रफेसर था और बागबान का प्यारा सा बाप और बाबुल का ससुर।
कभी बेटे के लिए कभी बहु के लिए, जो बाबुल और विरुद्ध बन कर ड़ट गया,
तुम्हारे हथियार बदल गए
और आप मुख्यधारा में बने रहे
उसका केंद्र बिंदु बन कर
अब आप अपनी माँ का बदला लेने के लिए अग्निपथ पर चल कर पेट्रोल पंप नहीं जलाते, बल्कि बेटी की मौत का बदला लेने के लिए बादशाह बन कर एक पुलिस वाले को अपना वजीर बना कर दुश्मन को घर में घुस कर मारते है।
अब आप सुनसान राहो पर एक मसीहा बन कर नहीं निकलते बल्कि काला कोट पहनकर न सिर्फ पिंक लड़कियों बल्कि पूरी औरत जात के लिए लड़ जाते है।
गजब है आप
अद्भुत
वक्त के साथ चलकर कदम ताल मिला कर वक्त को पछाड़ते है आप।
कितना कुछ सिखाते है।
जो नव्या और आराध्या के बहाने खत लिख कर हमें जीना सिखाते है।
जो औरो बन कर सुपर हैंडसम से सुपर क्यूट हो जाते है।
थैंक यू अमिताभ बच्चन
हमे जीना सिखाने के लिए
हंसने की वजह देने के लिए
प्रेम सिखाने के लिए
दिल में ख्याल लाने के लिए
होली खेलने के लिए
दीवाली मनाने के लिए
बिल्ला नम्बर 786 बाँधने के लिए
अनगिनत बार जात पात धर्म से ऊपर उठा कर एक करने के लिए
शुक्रिया
अमिताभ बच्चन
आपके अरबो फैन में से एक
●आशिता
©आशिता दाधीच
सुन्दर सतत प्रयास आवश्यक है
ReplyDeleteसुन्दर सतत प्रयास आवश्यक है
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