ये जिन्दगी भी तो क्रिकेट का एक खेल हैं।
जो एक इनिंग में शतक लगता हैं
वही दूसरी पारी में सून्य पर बिखर जाता हैं।
जिसे कल शाम न्यूज में महानायक कहा था
वो आज खलनायक बन जाता हैं।
सांझेदारी बढाने को जो शुरू से साथ आया था
वो ना जाने क्यों बिछड़ जाता हैं।
जो बाउंसर डाल कर चोटिल करने की फिराक में था
वही लड़खडानें पर मदद को आगे आता हैं।
पारी की शुरुआत हमेशा तालियों से होती हैं
फिर दुनिया हुटिंग और गालियां भी देती हैं।
शतक भी हुआ तो नुसख निकालने वालों की भीड़ उमड़ती हैं।
अपूर्ण स्वार्थी और हरजाई कहकर दुनिया बुलाती हैं।
और फिर पेड बांधे हम तैयारी में जुट जाते हैं।
कोई गेंद बाउंड्री छू जाती हैं तो कोई कैच हो जाती हैं
पर बल्लेबाजी में टिके रहने की जद्दोजहद जारी रहती हैं ।
कभी तारीफों के फूल बरसते हैं तो कभी घर पर पत्थरबाजी होती हैं।
जिसके लिए पवेलियन और स्टैंड गूंजते हैं
वो एकाएक तन्हाई में खो जाता हैं।
जिसके आगे कभी फैन बिझते थे ऑटोग्राफ लेने को
वो अब कैशबुक पर साइन करने को तरस जाता हैं।
#आशिता दाधीच
so life is gone to the next stage now
ReplyDeleteअरे वाह , बहुत खूब ..तुम्हे पता है क्रिकेट और जिंदगी के बीच किसी ने कोई एक एक बडा सा आलेख भी लिखा था , याद नहीं आ रहा कहाँ और कब पढा था.. पर हाँ क्या पढा था ये याद है ... सचमुच क्रिकेट जिंदगी से निकाला गया ही खेल है
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