Monday, October 12, 2015

We miss you Richard

अपने तीन साढ़े तीन साल के पत्रकारिता करियर में कई बुरी खबरे देखी। हादसों में हाथ पैर गंवाने वालो, बलात्कार पीड़िताओं, दो घंटे पहले सूइसाइड की हुई बेटी के पिता, बिन माँ बाप के बच्चों के इंटरव्यू किए लेकिन जो तकलीफ तुम दे गए रीचर्ड उसे व्यक्त नहीं कर सकती। क्योकि मेरे लिए तुम खबर नहीं थे, तुम्हारी मुस्कराहट तुम्हारी प्रेरणा और समर्पण मुझे याद था है और रहेगा। तुम टीचर थे रिचर्ड मेरे जिसने एक अनोखे विषय की समझ दी थी मुझे। कल दोपहर तुम्हारे बारे में अपडेट निकालने की असाइनमेंट मिली। तुम्हारे सब दोस्तों यानी एक एक करके अपने सीनियरों और प्रफेसर्स को कॉल किया। हर बार जैसे तुम्हारा चेहरा आँखों के आगे घूमता रहा।
फिर शाम को वो खबर आई। एक पल को कलेजा मुंह में आ गया। वो हर बात याद आई कि कैसे तुम एमसीजे में इलेक्ट्रॉनिक जर्नलिज्म के लेक्चर लेते थे। तुम्हे पता था कि वीडियो एडिटिंग मेरे बस की बिलकुल नहीं है पर तुम हर बार मेरा उत्साह बढ़ा कर मुझे प्रेरित करते रहे। वो 300 शब्द टाइप करना कुछ वैसा  जैसा कोई पहाड़ चढ़ना। हर एक शब्द लिखते हुए तुम्हे उस दौरान हुई तकलीफों का एक फोटो मेरी आँखों के आगे उभर रहा था जो हर बार मुझे झिंझोड़ रहा था. जीवन के कटु सत्यों को समझा रहा था. अब तक की सबसे कठिन परीक्षा ली तुमने मेरी।
अभी आठेक महीने पहले ही तो मंगेश सर के फेरवेल वाले दिन तुम्हे देखा था। तुम्हारी मुस्कराहट कितनी अपनी सी थी और उस दिन भी बड़े प्यार से तुमने मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी थी। तब कहां सोचा था कि एक दिन मेरी उंगलियां तुम्हारी मौत की खबर टाइप करेगी।
पूरी रात जैसे तुम्हारा चेहरा आँखों के आगे घूमता रहा। भगवान् से भी सवाल किया कि यह क्यों हुआ। ट्रेकिंग और डाक्यूमेंट्री बनाना तो पैशन था न तुम्हारा।
रिचर्ड तुम मरे नहीं हो तुम हम हर एक एमसीजे वाले के दिल में हो। डिपार्टमेंट की नींव में हो और हमेशा रहोगे। 

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