Tuesday, September 27, 2011

तेरी याद भी मेरा कितना ख्याल रखती है


कोई शिकवा नही शिकायत नहीं, तुने जो ख्याल किया है, उनका सब एहसान है.
अकेले खुद कों कहना खुद की वफाई से बेवफाई  है.
अकेली मैं हूँ ही कहां, तेरी याद हर दिन, हर पल मेरे साथ है.
तेरी याद ही मेरा कितना ख्याल रखती है.
भीड़ में, तन्हाई में, रातो के अँधेरे में, दिन के उजालो में कहीं मुझे अकेला नहीं छोडती है.
तेरी याद भी मेरा कितना ख्याल रखती हैं. हर वक्त मेरे साथ रहती है.
सुबह जब आँख भी नही खुलती है, तेरी याद आकर मेरी जुल्फों कों सहलाती है. बड़े प्यारे से उठाती है.
ज्यो ही ये याद आता है कि अब तू पास नही है. अकेलेपन का नाग डस जाता है, तब तेरी याद बड़े प्यार से पास आके मेरे होठो पे मुस्कराहट छोड जाती है.
काम से जब मन उछट जाता है, तो तेरी याद आकर फिर से मेरी प्रेरणा बन जाती है.
जब नींद नहीं आती तेरी याद मेरी सहेली बन कर सारी रात जागती है. मुझे नए नए किस्से कहानियाँ सुना जाती है.
जब जब आँखों से आंसू गिरते है तो तेरी याद बड़े प्यार से पास आकर मेरे ही आँचल से मेरे आंसू पोछ जाती है.
जब दिल चाहता है कि उड़ कर तेरे पास आजाऊ, तेरी याद मेरे पास आजाती है.
तेरी याद भी मेरा कितना ख्याल रखती है.
जब भी लगता है अकेली हूँ, तनहा हूँ, तेरी याद मेरी बाजुओं में समाकर मेरी सांसो कों तेरी खुशबू  से  भर जाती है.
जब भी लगता है तुम होते तो यू होता, तुम होते तो यू ना होता, तुम्हारी याद तुम्हारे वजूद का एहसास करा जाती है.
जब भी लगता है अब मेरा क्या है? तुम्हारी याद बड़े प्यार से मुस्कुराकर बताती है कि मेरे पास क्या नही है? सब कुछ तो है.
कितना ख्याल रखती है तुम्हारी याद. मुझे कही अकेला नही छोडती याद तुम्हारी. तेरी याद भी मेरा कितना ख्याल रखती है. 

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