Wednesday, February 22, 2017

A Thank you note to all the males

दुनिया में मर्दों
आज मैं तुम सब से कुछ कहना चाहती हूँ।
दुनिया के मर्दों आज मैं तुम्हे शुक्रिया कहना चाहती हूँ।
क्योंकि मैं तुमसे प्यार करती हूँ।
शुक्रिया मुझे दुनिया में लाने के लिए
शुक्रिया
तब मेरा हाथ थामने के लिए जब मैंने चलना शुरू किया डगमगा कर,
और तब से लेकर हर बार मेरा हाथ थामने के लिए
जब जब मैं डगमगाई।
शुक्रिया मुझे गन्दी नजरों से बचाने के लिए,
माँ से मेरे राज छिपाने के लिए
मेरे बस्ते में टॉफी छिपाने के लिए।
शुक्रिया मुझे पहली बार औरत होने का एहसास दिलाने के लिए,
मेरे कमर की गोलाइया पकड़ कर
मुझे खुद में भींच लेने के लिए,
मेरे होठों और दिल पर अपने निशां छोड़ने के लिए।
मेरे फुटबॉल से लटकते पेट को देख कर अपनी सीट छोड़ देने के लिए।
मेरे माथे पे पड़े बल को पीरियड्स का दर्द समझ कर मुझे घर तक छोड़ने के लिए।
मेरी काजल के मिलने से बहती काली गंगा को पोंछने हेतु मेरा रूमाल बनने के लिए।
डगमगा कर माँ माँ चिल्लाते हुए मेरी तरफ दौड़ कर आने के लिए।
सुनसान रास्ते पर मेरी लिए ऑटो खोजने के लिए।
न जाने कितनी बार खुद को समेट कर मुझे रास्ता देने के लिए।
मेरे पिज़्ज़ा, आइसक्रीम और चॉकलेट की पसन्द का ख्याल करने के लिए।
दुनिया की गन्दी नजरों से बचाने के लिए मुझे अपनी ओट में छिपाने के लिए।
हर बार मुझे इज्जत से देखने के लिए
शुक्रिया दुनिया के मर्दो
मुझे बारिश में भीगती देख कर अपने रेनकोट देने के लिए।
शुक्रिया दुनिया के मर्दो
क्योंकि
तुम मेरी शक्ति हो
मेरा साहस हो
और
मेरा प्यार हूँ
इसलिए मुझे तुम्हे आज थैंक्यू कहना है
और
हां
वो एसिड फेंकने वाले
बेटियों को पेट में मारने वाले
बहु को जलाने वाले
फब्तियां कसने वाले
बलात्कार करने वाले
वो सब मर्द होते ही कहा है
वो तो नामर्द है
नपुंसक सारे
इसलिए
दुनिया के मर्दो मुझे
तुमसे
प्यार है।
और मुझे तुम्हे शुक्रिया कहना है।
©आशिता दाधीच

Friday, February 10, 2017

Nothing like Lear #RajatKapoor #VinayPathak #Play

विनय पाठक क्या चाहते थे तुम, बेहद सर्दी जुखाम होते हुए भी मैं छींक भी न सकूं क्योंकिं वो एक छींक कुछ नैनों सैकंड मुझे नथिंग लाइक लियर नहीं देखने देगी, या मैं उठूं प्ले के बीच और जाकर गिर पडूँ अपनी माँ के पैरों पर या पापा को फोन लगा कर रोऊँ बहुत रोऊ उन्हें हजारों बार तकलीफें देने के लिए, आई एम् बीजी कह कर उनका फोन कट करने के लिए, एक बेहद बुरी बेटी होने के लिए।
या फिर विनय पाठक मैं यह सोचूँ कि तुम मंगल ग्रह से आए कोई एलियन हो, इतना मंत्रमुग्ध कैसे कर सकते हो तुम बस उस डेढ़ घण्टे में।
रजत कपूर कैसे हास्य, रौद्र, करुण, जुगुप्सा और शांत रस को एक साथ पिरों दिया तुमने, शेक्सपियर की आत्मा भी झूम उठी होगी इस अडॉप्शन पर।
पल में भाई से डरता युवक, पल में भाई की हत्या कर प्रतिशोध लेता वो भीरु, पल में पापा से हंसी ठिठोली करता वो पात्र अचानक अपनी बिटिया को कैसे गोद में खिला रहा था, और वो लाइन, बेटा तुम कभी बड़ी मत होना बस ऐसे ही रेंगती रहना ये दुनिया बहुत बुरी है नेवर ग्रो अप माई चाइल्ड' कैसे लिख डाली तुमने ओबामा से लेकर कल्लू पनवारी जैसे हर बेटी के बाप के दिल की बात।
और फिर बेटी की बेवफाई से आहत पिता, उसे श्राप देता पिता और फिर श्राप देने में अफ़सोस करता पिता, सचमें माँ पर तो कितने ग्रन्थ आ गए पर बाप के मृसण से मुलायम दिल को तुमने कैसे एक ही पल में चीर कर रख दिया, वो बाप जो दशरथ की तरह तड़फ कर मर जाता है लेकिन बच्चों से अपने दिल की बात नहीं कह पाता।
दिल जीत लिया तुमने रजत-विनय लव यू।
इस प्ले पर जल्द ही विस्तार से लिखूंगी ....