Friday, September 13, 2019

Love

उसने कहा तुम खूबसूरत हो,
तब जब पीरियड्स के दर्द से मेरी कमर झुकी थी।
दिन भर काम करके मैं थकान से हलकान थी।

उसने फिर कहा तू सबसे हसीं है,
तब जब मुझे वैक्स कराए दो महीने हो गए थे।
उसे मेरा ड्रेसिंग सेंस भाया तब जब मैं खुद से खफा थी।

बिन काजल सबको लगता है बीमार हूँ मैं पर उसे इन आँखो में बिना बाउंड्री की झील नजर आई।

चेहरे पर उभरे उस एक पिम्पल में उसे मेरी खूबसूरती का पहरेदार नजर आया।

उन बेतरतीब बढ़े नाखूनों में उसे गन्दगी से ज्यादा
मेरी व्यस्तता की मजबूरी समझ आई।

जब वो बाहों में समाया तो लगा कायनात सिमट आई
यों परिचित लगा वह स्पर्श जैसे जन्म जन्मांतर उसी की कामना थी।

क्योंकि उसे मैं तब खूबसूरत नजर आई जब
खूबसूरती मेरी बिछड़ी एक सखी थी।

- आशिता

Feeling of love

तुम महादेवी हो जाना
मैं गिल्लू बन जाउंगी।

तुम प्रेमचन्द की ईदगाह हो जाना
मैं चिमटे वाला हामिद बन जाउंगी।

तुम जो दिनकर हो जाओ।
मैं रश्मि रथ पर चढ़ आउंगी

तुम बस हरिवंश हो जाना
मैं साकि बाला बन जाउंगी।

तुम जयशंकर हो जाना
मैं कामायनी का सौंदर्य लुटाऊंगी।

तुम सूरदास हो जाना
मैं भ्रमर गीत हो जाउंगी

तुम तुलसी बन जाना।
मैं विनय पत्रिका हो जाउंगी।

चाहो तो बिहारी बन जाना
मैं रीतिकाल सी छा जाउंगी

या तुम चन्द का रासो हो जाना।
मैं तेरी संयोगिता हो जाउंगी।

जो न हो यह सब
तो नदिया हो जाना
मैं मछली जल की रानी हो जाउंगी
तेरे बिन बस मर जाउंगी।
- आशिता

Hug

तेरा वह पहला आलिंगन
लगा ही नहीं के किसी पौरुष युक्त पुरुष ने किया हो।
लगा जैसे मेरी अंतरात्मा ही मुझसे मिल रही हो।
अब तक के हर लिजलिजे एहसास से परे तेरे आलिंगन में सुरक्षा थी सम्मान था।
तेरा लक्ष्य अंगों को कचोटना नहीं रूह की मरम्मत कर देना था।
तू यो छुवा जैसे स्कूल से पहली बार रोती बिलखती आई मुझको पिता ने गोद लिया हो।
और फिर
तेरा वह प्रथम स्पर्श, लगा जैसे तुने मान दिया हो मेरे स्त्रीत्व को समाज के सम्मुख।
तेरे उस प्रथम आलिंगन में न मृगमरीचिका थी न ही कोई अफसोस।
था तो बस दो अधूरी आत्माओं का मिलन।
तेरा वो आलिंगन मेरे स्त्रीत्व का सम्मान था जो आज भी गर्व बनकर चमकता है मेरी आँख में।
- आशिता