तुम महादेवी हो जाना
मैं गिल्लू बन जाउंगी।
तुम प्रेमचन्द की ईदगाह हो जाना
मैं चिमटे वाला हामिद बन जाउंगी।
तुम जो दिनकर हो जाओ।
मैं रश्मि रथ पर चढ़ आउंगी
तुम बस हरिवंश हो जाना
मैं साकि बाला बन जाउंगी।
तुम जयशंकर हो जाना
मैं कामायनी का सौंदर्य लुटाऊंगी।
तुम सूरदास हो जाना
मैं भ्रमर गीत हो जाउंगी
तुम तुलसी बन जाना।
मैं विनय पत्रिका हो जाउंगी।
चाहो तो बिहारी बन जाना
मैं रीतिकाल सी छा जाउंगी
या तुम चन्द का रासो हो जाना।
मैं तेरी संयोगिता हो जाउंगी।
जो न हो यह सब
तो नदिया हो जाना
मैं मछली जल की रानी हो जाउंगी
तेरे बिन बस मर जाउंगी।
- आशिता
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