दुनिया में मर्दों
आज मैं तुम सब से कुछ कहना चाहती हूँ।
दुनिया के मर्दों आज मैं तुम्हे शुक्रिया कहना चाहती हूँ।
क्योंकि मैं तुमसे प्यार करती हूँ।
शुक्रिया मुझे दुनिया में लाने के लिए
शुक्रिया
तब मेरा हाथ थामने के लिए जब मैंने चलना शुरू किया डगमगा कर,
और तब से लेकर हर बार मेरा हाथ थामने के लिए
जब जब मैं डगमगाई।
शुक्रिया मुझे गन्दी नजरों से बचाने के लिए,
माँ से मेरे राज छिपाने के लिए
मेरे बस्ते में टॉफी छिपाने के लिए।
शुक्रिया मुझे पहली बार औरत होने का एहसास दिलाने के लिए,
मेरे कमर की गोलाइया पकड़ कर
मुझे खुद में भींच लेने के लिए,
मेरे होठों और दिल पर अपने निशां छोड़ने के लिए।
मेरे फुटबॉल से लटकते पेट को देख कर अपनी सीट छोड़ देने के लिए।
मेरे माथे पे पड़े बल को पीरियड्स का दर्द समझ कर मुझे घर तक छोड़ने के लिए।
मेरी काजल के मिलने से बहती काली गंगा को पोंछने हेतु मेरा रूमाल बनने के लिए।
डगमगा कर माँ माँ चिल्लाते हुए मेरी तरफ दौड़ कर आने के लिए।
सुनसान रास्ते पर मेरी लिए ऑटो खोजने के लिए।
न जाने कितनी बार खुद को समेट कर मुझे रास्ता देने के लिए।
मेरे पिज़्ज़ा, आइसक्रीम और चॉकलेट की पसन्द का ख्याल करने के लिए।
दुनिया की गन्दी नजरों से बचाने के लिए मुझे अपनी ओट में छिपाने के लिए।
हर बार मुझे इज्जत से देखने के लिए
शुक्रिया दुनिया के मर्दो
मुझे बारिश में भीगती देख कर अपने रेनकोट देने के लिए।
शुक्रिया दुनिया के मर्दो
क्योंकि
तुम मेरी शक्ति हो
मेरा साहस हो
और
मेरा प्यार हूँ
इसलिए मुझे तुम्हे आज थैंक्यू कहना है
और
हां
वो एसिड फेंकने वाले
बेटियों को पेट में मारने वाले
बहु को जलाने वाले
फब्तियां कसने वाले
बलात्कार करने वाले
वो सब मर्द होते ही कहा है
वो तो नामर्द है
नपुंसक सारे
इसलिए
दुनिया के मर्दो मुझे
तुमसे
प्यार है।
और मुझे तुम्हे शुक्रिया कहना है।
©आशिता दाधीच
Wednesday, February 22, 2017
A Thank you note to all the males
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बहुत बड़ी कविता है यह
ReplyDeleteदरअसल यह स्त्री विमर्श से भी आगे जाकर मानवता विमर्श है
इसमें दर्द है आधी दुनिया का
जश्न भी है इंसानियत का
शिकवा नहीं, फ़साना है हकीकत का
तंज है, पर शुकराना भी
सच
बहुत बड़ी कविता है यह