Friday, August 7, 2015

विश्वास - धोखा Trust And betrayal

हाय सिया।
 ओ हाय सुहास कम सिट। मरीन ड्राइव की उस बाउंड्री पर खुद को थोड़ा सा और समेट कर सिया ने सुहास को बैठने के लिए कहा।
 कैसी हो सिया?
उमम ठीक हूँ सुहास, तुम्हे तो पता ही है न नीरज की बहन का मिस कैरेज हुआ हैं।
 हाँ। बोलो...
तुम्हे ये भी पता होगा कि पहले ही दो बेटियों होने के चलते इस बार संध्या दीदी पर बेटे को लेकर कितना प्रेशर था। और देखो उनके पेट का बच्चा ही गिर गया। नीरज बहुत अपसेट है। मैं उसे इतना दुखी देख नही सकती।
 सिया....
हाँ बोलो ना
 मैंने सुना है तुमने नीरज के बर्थडे पर अच्छी खासी पार्टी रखी थी। कई लोगों को बुलवाया था। सुहास ने पूछा।
 हाँ सुहास, पर देखो न उसी दिन सुबह यह सब हुआ और तब से मैं नीरज से मिल भी नहीं पाई। यू नो ना जब वो अपसेट होता है तो अकेले रहना पसंद करता हैं। पर अब तो एक वीक हो गया है नीरज को मूव ऑन करना होगा अपनी बहन के मिस कैरेज से। प्लीज मेक हिम अंडर स्टैंड। तुम बेस्ट फ्रेंड हो उसके।
 सिया, सुहास ने सिया का हाथ पकड़ते हुए कहा, सुनो, नीरज तो श्राप है जिसकी जिन्दगी में आता हैं उसी को बर्बाद कर देता हैं। देखो क्या हालत हो गई है तुम्हारी। सुनो, तुम मेरी हो जाओ। मैं तुम्हे खुश रखूंगा।
 शट अप सुहास क्या कह रहे हो तुम ये? सिया चिल्लाई।
 क्यों, तुम नीरज के साथ हम बिस्तर हो सकती हो, तो मेरे साथ क्यों नहीं। नीरज से तो बेहतर ही हूँ मैं।
 चुप करो सुहास नीरज मेरी जिन्दगी हैं। एक झटके से सिया वहां से खड़ी हो गई। अपने बैग को अपने सीने से चिपटाया और गोली के तेजी से मरीन लाइन्स की तरफ भागी। उसकी मासूम आँखे लाल हो चुकी थी। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि नीरज का बेस्ट फ्रेंड जिसे वो अपना देवर मानती थी। उसे इतना सब कह गया। प्लेटफॉर्म पर पहुंच कर उसने विरार फास्ट पकड़ी और जितने जोर से रो सकती थी रो पड़ी। कुछ औरते उसे देख कर बुदबुदा रही थी और हंस रही थी और कुछ देखे जा रही थी। देर रात होने से ट्रेन में भीड़ कम थी। आंखों से गंगा जमना बहाने के बाद जब सिया थोड़ी शांत हुई तो उसने नीरज को फोन घुमाया।
 हाँ मेरी जान बोल उधर से आवाज आई!
सिया ने एक सांस में सब कह डाला।
 चुप करो, फोन पर नीरज की चीख गूंजी। एक हफ्ते से हम मिले नही मैं अपने बर्थडे पर मिलने नहीं आया तो तुम इस हद तक गिर गई। मेरे बचपन के दोस्त के ऊपर कीचड़ उछाल दिया। शर्म नहीं आई तुम्हे। कितनी ओब्सेसिव और पजेसिव हो तुम। मेरी प्राब्लम तक नहीं समझना चाहती। डेट पर जाने के लिए किसी के भी चरित्र पर लांछन लगा देती हो। छि। थू है तुम पर। कितना भरोसा और प्यार करता था मैं तुम पर। लेकिन तुमने मेरे ही दोस्त पर... छि सिया आज से तुम्हारा हमारा नाता खत्म।
 लेकिन नीरज मैं मैं झूठ ..... तब तक फोन कट चुका था। सिया ने दोबारा कॉल लगाया तो आवाज आई, इस रूट की सभी लाइने व्यस्त हैं।
 अब बारी सिया कि थी फेसबुक, व्हाट्सएप और ट्विटर से नीरज को ब्लॉक करने की। और दिल, वहां भी ब्लॉक करने की कोशिश तो वह कर ही सकती है इस कमजरफ को जिसने इतने महीनों में उसे इतना भी ना समझा। जिसे उसका महत्व ही न समझा।
- आशिता दाधीच

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