Saturday, August 20, 2016

PV Sindhu's letter

जनाब मेरा नाम पुसरला वेंकट सिंधु है और मेरी जाती खोजने का कष्ट मत कीजिये। नीली वर्दी पहनती हूँ, सीने पर तिरंगा लगाती हूँ, घुटनों से ऊँची स्कर्ट पहनती हूँ और माथे पर बिंदी भी लगाती हूँ, भारतीय हूँ मैं और इंडियन होना ही मेरी जाती है. 
ना मैं दलितों का झंडा उठाती हूँ और न सवर्णो की झंडाबरदार हूँ, मुझे इन सब से दूर ही रखिये। 
कोर्ट में पसीना बहाते वक्त ना मैंने बाबा साहेब आंबेडकर का और ना ही महात्मा फुले का फोटो लगाया था, हर बार सर्विस के वक्त ना ही मेरे गोपी सर ने कहा था कि, सिंधु खेलों क्योंकि तुम्हे उस मनुवाद का बदला लेना है. कर्ण को सूत पुत्र कहकर अर्जुन की बराबरी न करने देने वाले समाज को ललकारना है. गोपी सर ने कहा था कि बस खेलो खुद के लिए खेलो और देश के लिए खेलो, जीने के लिए खेलो. 
मैं खेलती हूँ क्योंकि मुझे सिर्फ खेलना ही आता है, मैं सवर्ण भी नहीं हूँ, क्योंकि मैं इस लिये खुद को सर्वश्रेष्ठ नहीं मानती की मैं किसी वेदपाठी परिवार में पैदा हुई हूँ, बैडमिंटन को अपनी पूंजी इसलिए नहीं मानती क्योंकि मेरी जाती मुझे रैकेट उठाने की इजाजत देती है, मैं बैडमिंटन को अपनी पूंजी इसलिए मानती हूँ क्योंकि मैं इससे प्यार करती हूँ. अपने खेल से मैं किसी याज्ञवल्क्य, दधीचि या अगस्त और अत्रि की परम्परा को आगे नहीं बढा रही, मैं बस अपने उस सपने को आगे बढा रही हूँ, जिसे बचपन से मेरी कोरी मासूम आँखों ने देखा था... माफ़ कीजिये मुझे, आपकी इन छोटी जाती धर्मों की सोच से, मैं इन सबसे ऊपर हूँ क्योंकि मैं सिंधु हूँ, सिंधु मतलब सागर समुद्र। हाँ मैं अथाह हूँ, मेरे खेल में गोते लगाइये, मेरी जाती खोज कर मेरे देश को छोटा मत कीजिये। 
- आशिता दाधीच
While India was rooting for PV Sindhu, Andhra Pradesh and Telangana were googling her caste -


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