Monday, October 12, 2015

We miss you Richard

अपने तीन साढ़े तीन साल के पत्रकारिता करियर में कई बुरी खबरे देखी। हादसों में हाथ पैर गंवाने वालो, बलात्कार पीड़िताओं, दो घंटे पहले सूइसाइड की हुई बेटी के पिता, बिन माँ बाप के बच्चों के इंटरव्यू किए लेकिन जो तकलीफ तुम दे गए रीचर्ड उसे व्यक्त नहीं कर सकती। क्योकि मेरे लिए तुम खबर नहीं थे, तुम्हारी मुस्कराहट तुम्हारी प्रेरणा और समर्पण मुझे याद था है और रहेगा। तुम टीचर थे रिचर्ड मेरे जिसने एक अनोखे विषय की समझ दी थी मुझे। कल दोपहर तुम्हारे बारे में अपडेट निकालने की असाइनमेंट मिली। तुम्हारे सब दोस्तों यानी एक एक करके अपने सीनियरों और प्रफेसर्स को कॉल किया। हर बार जैसे तुम्हारा चेहरा आँखों के आगे घूमता रहा।
फिर शाम को वो खबर आई। एक पल को कलेजा मुंह में आ गया। वो हर बात याद आई कि कैसे तुम एमसीजे में इलेक्ट्रॉनिक जर्नलिज्म के लेक्चर लेते थे। तुम्हे पता था कि वीडियो एडिटिंग मेरे बस की बिलकुल नहीं है पर तुम हर बार मेरा उत्साह बढ़ा कर मुझे प्रेरित करते रहे। वो 300 शब्द टाइप करना कुछ वैसा  जैसा कोई पहाड़ चढ़ना। हर एक शब्द लिखते हुए तुम्हे उस दौरान हुई तकलीफों का एक फोटो मेरी आँखों के आगे उभर रहा था जो हर बार मुझे झिंझोड़ रहा था. जीवन के कटु सत्यों को समझा रहा था. अब तक की सबसे कठिन परीक्षा ली तुमने मेरी।
अभी आठेक महीने पहले ही तो मंगेश सर के फेरवेल वाले दिन तुम्हे देखा था। तुम्हारी मुस्कराहट कितनी अपनी सी थी और उस दिन भी बड़े प्यार से तुमने मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी थी। तब कहां सोचा था कि एक दिन मेरी उंगलियां तुम्हारी मौत की खबर टाइप करेगी।
पूरी रात जैसे तुम्हारा चेहरा आँखों के आगे घूमता रहा। भगवान् से भी सवाल किया कि यह क्यों हुआ। ट्रेकिंग और डाक्यूमेंट्री बनाना तो पैशन था न तुम्हारा।
रिचर्ड तुम मरे नहीं हो तुम हम हर एक एमसीजे वाले के दिल में हो। डिपार्टमेंट की नींव में हो और हमेशा रहोगे। 

धोखा The Cheat

मेरे वाले ब्रांड की लिपस्टिक।
मेरा वाला ही आई लाइनर।
बिलकुल मेरे जैसे कपड़े। 
मेरे पसन्दीदा रंग के
लाते हो उसके लिए।
और 
कहते हो 
नफरत करते हो मुझसे।
हमारी डिसाइड की हुई
हनीमून की जगह 
हमारे फेवरेट होटल के डिनर 
और 
हमारा वाला पान 
खिलाते हो उसे
और कहते हो
भूल गए हो मुझे।
तब मुझे उस सा घरेलू बनाना चाहते थे
और अब उसे मुझ जैसा।
उसे वही कप केक खिलाते हो
उसी ब्रांड की चॉकलेट दिलाते हो 
और कहते हो
मुझे तू बिलकुल याद नहीं।
कितना झूठ कहते हो। 
किसे देते हो धोखा। 
भुनाते ही किसे
मुझे 
उसे 
या खुद को 
_ आशिता


Saturday, September 12, 2015

Characterless

सीया, आई एम प्राउड ऑफ यू। तुम मेरे ऑफिस की सबसे अच्छी कर्मचारी हो। तुमने आज नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया। मुझे उम्मीद ही नहीं थी कि तुम अकेली अपने दम पर यह कोंट्रेक्ट हमें दिलवा दोगी।

अरे नहीं सर, अगर सुहास की हेल्प नहीं मिलती तो यह सब उतना आसान नहीं होता। उसे भी क्रेडिट मिलना चाहिए।

तुम बहुत हंबल हो सिया, ऐसे ही रहना बहुत आगे जाओगी, यू हैव ए वेरी ब्राइट फ्यूचर।

थैंक्यू सर।

चेहरे पर छह इंच की मुस्कान लिए सिया बॉस के कैबिन से निकली। एक साधारण सी, 24 साल की लड़की सिया जो तीन साल पहले अपनी एक जोड़ी आंखों में कई रंगों के ख्वाब समेटे मध्य प्रदेश से मुंबई आई थी। दो साल पहले शहर की सबसे बड़ी मल्टिनैशनल कंपनी में गिनी जाने वाली ब्रेटोराइट में उसे नौकरी भी मिल गई। जितना चाहा था, उतना पा चुकी थी वो, लेकिन अभी और पाना था उसे।

कांग्रेचुलेशन्स सिया।

थैंक्यू सुहास, चिहुकते हुए सिया बोली।

मैं जानता हूं तुमने इस सक्सेज का क्रेडिट मुझे ही दिया होगा न?

ऑफ कोर्स यार, तुम्हारी हेल्प नहीं होती तो यह सब कहां हो पाता,नीरज तो बेचारा कितना बीमार था, खैर ऑवर टीम रॉक। सिया की आंखों से उसकी खुशी टपक रही थी।

इसलिए ही तो कहता हूं मेरी बीबी बन जा, हम दोनों मिल कर नामुमकिन को भी मुमकिन कर सकते है। सुहास एक टक देख रहा था सिया को।

क्या सुहास, फिर वहीं बात। सिया की आंखों का रंग बदल चुका था। देख सुहास मैं तुझमें सिर्फ अपना बड़ा भाई देख सकती हूं और कुछ नहीं।

कोशिश तो कर सिया, एक बार पास तो आ, फिर देख भाई वाई सब दिमाग का फितूर है। मान मेरी बात।

चुप करो सुहास, और आज के बाद ये सब बकवास की ना तो याद रखना तुम मेरी दोस्ती भी खो दोगे। सिया गोली की तरह दनदनाती हुई वहां से निकल गई।

अपनी डेस्क पर पहुंच कर सिया ने सबसे पहले बॉटेल खोली और एक ही बार में सारा का सारा पानी पी लिया। अचानक नीरज आया....

ओह हाय नीरज कैसे हो?

सुना है आप आज मीटिंग की सुपर स्टार रही।

अरे सब आप से ही सीखा है मैंने, दो साल पहले तक कहां आता था ये सब। अपने कम्प्यूटर में नजर गड़ाने की कोशिश करते हुए सिया ने कहा।

अच्छा जी, तब तो आपको मुझे पार्टी देनी चाहिए। नीरज इठलाता हुआ बोला।

ठीक है ठीक है.. शाम को ऑफिस के बाद, मरीन ड्राइव के पास के किसी होटेल चलते है। सिया बोली।

ओके, अब मैं जाता हूं काम निपटा लेता हूं वैसे भी बुखार के कारण डेस्क पर बहुत फाइल्स बढ़ गई है।

ओके बाय।

एक बार जो सिया काम में डूबी तो फिर उसे कुछ पता ही नहीं चला कि कब शाम हुई। काम से नजर उठा कर देखा तो नीरज सामने खड़ा था।

अरे नीरज आप कब आए?

मैडम आप हमें पार्टी देने वाली थी?

जी याद है।

तो कब चलेंगे?

ऑफिस तो पूरा होने दो।

अरे मैडम नजर उठा कर देखो पूरा ऑफिस वीरान है, सब घर जा चुके है।

ओह्ह आई एम सॉरी, ध्यान ही नहीं रहा। सिया आंख मारते हुए बोली।

हुंह आई हेट यू, नीरज नाराज था।

ओ मेला बाबू, सिया ने नीरज को बाहों में भरते हुए कहा।

ये क्या कर रही हो? कोई देख लेगा। नीरज शर्मा रहा था।

अच्छा जी तो क्या अपने बॉयफ्रेंड को मैं हग भी नहीं कर सकती? तुम भी ना नीरु ऐसे बिहेव करते हो जैसे लड़को तो तुम ही हो।

हां बाबा मैं तो लड़की ही हूं तुम हो न मेरा बॉयफ्रेंड इसलिए।

हुंह हर बात में शरारत, अब चलो यहां से, सिया ने नीरज को बाहर ठकेलते हुए कहा।

दोनों हाथ में हाथ ड़ाले मरीन ड्राइव के किनारें चल रहे थे।

सिया सुनो ना, नीरज बुदबुदाया।

बोलो ना....

यार मेरा बहुत मन होता है कि दुनिया को चीख कर बताऊ कि आई लव यू। तुम मेरी हो, और तुम पर सिर्फ मेरा हक है। नीरज सिया की आंखों में डूबता हुआ बोला।

नहीं ना, अभी रुक जाओ, एक बार घर वाले हां करेंगे तब अपन शादी तो करेंगे ही वहां सबको बुला लेना। सिया ने कंधे उचकाते हुए कहा।

पर क्यों बाबू, नीरज जिद पर अड़ा था।

देखों, नीरु अगर भगवान न करे कुछ बुरा हुआ तो फिर इसलिए अभी घर पर सबकी सहमति आने दो पहले।

वॉट डू यू मीन सिया, तुम्हें लगता है कि हमारा रिश्ता खत्म हो जाएगा,नीरज की आवाज से नाराजगी टपक रही थी।

नहीं बाबू मेरा ये मतलब नहीं था। मैं जानती हूं तुम मेरा साथ कभी नहीं छोड़ोगे। जेब में सुस्ता रही सिया की कलाई नीरज के गालों पर पहुंच गई थी। नीरज आई लव यू सो मच। एक बार सब फिक्स हो जाए फिर मैं खुद ऑफिस में डिक्लेयर कर दूंगी।

ठीक है, लेकिन सुहास को तो बताने दो न, वो मेरे बचपन का दोस्त है,वो मुझसे कुछ नहीं छिपाता, आज जब मैं उससे अपने अफेयर की बात छिपा रहा हूं तो मुझे गिल्ट फील होता हैं। नीरज विनती कर रहा था।

नीरु नो मीन्स नो, किसी को कुछ नहीं, जब तक घरवाले सगाई फिक्स नहीं करते किसी को कुछ नहीं बताना।

सिया चिल्ला पड़ी, अचानक उसे लगा कि वो बहुत रुडली बात कर रही थी तो बात बनाने की कोशिश करते हुए नीरज से पूछा, कल मम्मी गांव जा रही है न तुम्हारी, खाने का क्या करोगे?

खा लूंगा कही होटेल में, नीरज अब भी नाराज था।

क्या, सिया की आवाज में एक बार फिर गुस्सा था, न तुम बाहर का नहीं खाओगे, मैं आ कर पका दूंगी कुछ, सिया बोली।

वाह मेरी रानी, तुम्हे खाना बनाना भी आता हैं। नीरज की आंखें फैल गई।

हां नैचुरली, नहीं तो रोज मेरे लिए कौन बनाता है यहां।

हां वो तो है, चलो देर हो रही हैं तुम्हें घर ड्रॉप कर दूं, नीरज बोला।

मन में नीरज की मूर्ति सजाए सिया घर आ गई, अगले दिन सुबह उसे नीरज के घर जाकर खाना बनाना था और फिर ऑफिस जाना था।

अगले दिन निश्चित समय पर सिया नीरज के घर पहुंची, और खाना बनाने में जुट गई। अचानक पीछे से नीरज वहां पहुंचा। धीर से सिया का हाथ थामा और अगले ही पल उसे गोद में उठा लिया।

क्या कर रहे हो नीरु, खाना जल जाएगा, सिया की आवाज में शिकायत थी।

श्श्श्श कुछ मत बोलो, नीरज अब तक सिया को अपने बिस्तरों मे ला चुका था। अपने नीरज में एकाकार हो गई थी सिया। दोनों के बीच की हर दूरी मिट चुकी थी। नीरज की गर्म सांसों को खुद में समेटे सिया ऑफिस पहुंची, सारे दिन शर्माती सिया काम खत्म करके नीरज के साथ उसके बाइक पर घर के लिए निकली। अपने जीवन की सबसे अनूठी खुशी पाकर नीरज भी खासा खुश था। उसका आंखें बता रही थी जैसे उसे कुबेर का खजाना मिल गया हो।

घर पहुंचते ही उसने जेब में मोबाइल टटोला और सुहास को फोन घुमा ड़ाला। सुहास क्या कर रहा है भाई चल दारु पीने चलते है।

क्यों कुछ ख़ास है क्या?

अबे ख़ास नहीं हुआ तो नहीं आएगा क्या चल ना।

आया भाई तेरी बिल्डिंग के नीचे आया।

नीरज तुरंत बिल्डिंग के नीचे पहुंचा। वहां से दोनों बाइक पर बैठकर दस मिनट में ही नजदीकी बार में थे। एक पैग दो पैग, नीरज बस पिए जा रहा था। क्या हुआ भाई कितना पिएगा, सुहास ने पूछा।

भाई आज मत रोक, आज बहुत खुश हूं मैं नीरज बोला।

पांचवा पैग चल ही रहा था कि सुहास का ध्यान नीरज के गले पर पड़ा।

भाई ये क्या है, सुहास ने पूछा।

क्या

ये भाई ये

अच्छा ये

हाँ

छोड़ ना भाई इसे

बता ना, देख मैं भी सब बताता हूँ ना तुझे

उम्म्म पर यार सुहास

लडकी का चक्कर है न नीरज

हाँ यार वो सिया है ना अपने ऑफिस की। वो मेरी गर्ल फ्रेंड है। तेरा भाई उससे बहुत प्यार करता हैं।

सुहास की आँखे फ़ैल चुकी थी, और साले तू मुझे अब बता रहा हैं। वो नाराज था नीरज से।

भाई माफ़ कर दे सिया ने कसम दी थी कि जब तक फैमिली नोड नहीं आता किसी को ना बताऊ। अच्छा अब चल ज्यादा पिउंगा तो सिया रूठ जाएगी। तू भी उसे मत बताना कि तुझे हम दोनो के बारे में पता है।

कांपते पैरो से दोनों बार के बाहर निकले एक दुसरे को सम्भालते हुए घर की तरफ बढ़े।

पर नीरज सुन तो ये गले पे। सुहास ने पूछा।

लव बाईट है साले

कैसे .... कब

अरे यार वो तुझे तो पता ही है मम्मी गाँव गई है। तो कल सिया घर आई थी खाना बनाने। कंट्रोल करने की बहुत कोशिश की यार पर वो वो है ही इतनी प्यारी। उसके आटे वाले हाथों से ही मैं तो उसे कमरे में उठा लाया। और बस यार। पर क्या बताऊ यार इतनी गजब है वो। आहा।

सुहास एक टक नीरज को देख रहा था कब से तुम दोनों साथ हो सुहास ने पूछा।

बस आठेक महीने हुए नीरज में बताया।

भाई सोच सोच सुहास बोला।

क्या भाई

अरे भाई जो लड़की आठ महीने में ही तेरा बिस्तर गरम करने लगी उसका क्या चरित्र होगा। तेरी तो किस्मत खराब हो गई भाई ऐसी लड़की से प्यार करके। सोच भाई उसका तो परिवार भी मध्य प्रदेश में है यहाँ अकेली रहती है कितने लड़कों को अपने घर बुलाती होगी। कुल्टा है साली। छोड़ दे उसे। अपनी जिन्दगी बर्बाद मत कर। न जाने कितनो के साथ सोती होगी वो रोज। वरना इतनी जल्दी कोई लड़की किसी लड़के के बिस्तर तक नहीं आती।

क्या कह रहा है भाई तू

सही कह रहा हूँ। चल घर आ गया सुबह मिलते है बाय। और हाँ छोड़ दे उसको

बाय भाई। नीरज घर आया और बेहाल निढ़ाल बिस्तर पर गिर गया। सुबह उसकी आँख फोन की घंटी से खुली।

हैलो

हाई मेला बेबी उठो सुबह हो गई। स्माइल करो धरती को उजाले की जरूरत है। उस तरह सिया थी।

कमीनी नीच तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझे फोन करने की। तेरे जैसे लडकियों को बखूबी जानता हूँ मैं। रख फोन मेरी सुबह खराब मत कर।

बाबू ये क्या कह रहे हो आप, क्या हुआ हैं।

मैं तुझे समझ चूका हूँ और आई हेट यू नाउ।

नीरज शट अप क्या बोल रहे हो।

तू फोन रखती है या पुलिस कम्प्लेन करूं?

नीरज सुनो क्या तुमने अपने बारें में सुहास को बताया।

हाँ बताया

बस यही आपने गलत किया मैंने कहा था ना इस अफेयर के बारें में किसी को मत बताना।

सुहास मेरा दोस्त है कभी मेरा बुरा नहीं चाहेगा। वो जो बोल है वही सही है।

तो क्या नीरज मैं?

तू बस फोन रख और आज के बाद फोन मत करना।

नीरज आखिरी बात सुन लो

बोल

सुहास की मुझ पर नियत थी वह कई बार मुझे प्रपोज कर चूका था इसलिए तुम्हे कहा था कि इस अफेयर के बारें में किसी को मत बताना। वह यह सब हमे अलग करने के लिए।

चुप कर तू, भाइयों में आग लगा रही है। कितनी गिरी हुई गई तू।

बस नीरज चुप एक लफ्ज नहीं। गिरे हुए तो तुम हो, जो एक औरत को खिलौना समझते हो। उसकी भावना नहीं समझते उसका समर्पण नहीं समझते। मुबारक हो तुम्हे अपना सुहास और अपनी दोस्ती आज के बाद मुझे मुंह भी न दिखाना। गलती हुई कि तुमसे प्यार किया। अब ये गलती नहीं होगी। मैं मुंबई करियर बनाने आई हूँ नीरज यह सब करने नहीं पर तुम नहीं समझोगे। न तुम समझोगे और न तुम्हारी ये पुरुष मानसिकता जिसके लिए औरत हमेशा पैर की जूती रही है, हर नियम हर कानून सिर्फ औरत के लिए लागू होगा आया है। मुझे ऐतराज है,ऐतराज है इस घटिया सोच से, जहां सिर्फ औरत गलत होती है और मर्द हमेशा सही। अगर मेरी इज्जत गई थी आज तो तुम्हारी भी... पर छोड़ो।

और सिया ने फोन काट दिया।

Thursday, August 13, 2015

चरित्रहिन Characterless


सुहास क्या कर रहा है भाई चल दारु पीने चलते है।
क्यों भाई कुछ ख़ास है क्या?
अबे ख़ास नहीं हुआ तो नहीं आएगा क्या चल ना।
आया भाई तेरी बिल्डिंग के नीचे आया।
नीरज तुरंत बिल्डिंग के नीचे पहुंचा। वहां से दोनों बाइक पर बैठकर दस मिनट में ही नजदीकी बार में थे। एक पैग दो पैग, नीरज बस पिए जा रहा था। क्या हुआ भाई कितना पिएगा, सुहास ने पूछा।
भाई आज मत रोक नीरज बोला।
पांचवा पैग चल ही रहा था कि सुहास का ध्यान नीरज के गले पर पड़ा।
भाई ये क्या है, सुहास ने पूछा।
क्या
ये भाई ये
अच्छा ये
हाँ भाई
छोड़ ना भाई इसे
बता ना भाई देख मैं भी सब बताता हूँ ना तुझे
उम्म्म पर यार सुहास
लडकी का चक्कर है न नीरज भाई
हाँ यार वो सिया है ना अपने ऑफिस की। वो मेरी गर्ल फ्रेंड है। तेरा भाई उससे बहुत प्यार करता हैं।
सुहास की आँखे फ़ैल चुकी थी, और साले तू मुझे अब बता रहा हैं। वो नाराज था नीरज से।
भाई माफ़ कर दे सिया ने कसम दी थी कि जब तक फैमिली नोड नहीं आता किसी को ना बताऊ। अच्छा अब चल ज्यादा पिउंगा तो सिया रूठ जाएगी। तू भी उसे मत बताना कि तुझे हम दोनो के बारे में पता है।
कांपते पैरो से दोनों बार के बाहर निकले एक दुसरे को सम्भालते हुए घर की तरफ बढ़े।
पर नीरज सुन तो ये गले पे। सुहास ने पूछा।
लव बाईट है साले
कैसे .... कब
अरे यार वो तुझे तो पता ही है मम्मी गाँव गई है। तो कल सिया घर आई थी खाना बनाने। कंट्रोल करने की बहुत कोशिश की यार पर वो वो है ही इतनी प्यारी। उसके आटे वाले हाथों से ही मैं तो उसे कमरे में उठा लाया। और बस यार। पर क्या बताऊ यार इतनी गजब है वो। आहा।
सुहास एक टक नीरज को देख रहा था कब से तुम दोनों साथ हो सुहास ने पूछा।
बस आठेक महीने हुए नीरज में बताया।
भाई सोच सोच सुहास बोला।
क्या भाई
अरे भाई जो लड़की आठ महीने में ही तेरा बिस्तर गरम करने लगी उसका क्या चरित्र होगा। तेरी तो किस्मत खराब हो गई भाई ऐसी लड़की से प्यार करके। सोच भाई उसका तो परिवार भी मध्य प्रदेश में है यहाँ अकेली रहती है कितने लड़कों को अपने घर बुलाती होगी। कुल्टा है साली। छोड़ दे उसे। अपनी जिन्दगी बर्बाद मत कर। न जाने कितनो के साथ सोती होगी वो रोज। वरना इतनी जल्दी कोई लड़की किसी लड़के के बिस्तर तक नहीं आती।
क्या कह रहा है भाई तू
सही कह रहा हूँ। चल घर आ गया सुबह मिलते है बाय। और हाँ छोड़ दे उसको
बाय भाई। नीरज घर आया और बेहाल निढ़ाल बिस्तर पर गिर गया। सुबह उसकी आँख फोन की घंटी से खुली।
हैलो
हाई मेला बेबी उठो सुबह हो गई। स्माइल करो धरती को उजाले की जरूरत है। उस तरह सिया थी।
कमीनी नीच तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझे फोन करने की। तेरे जैसे लडकियों को बखूबी जानता हूँ मैं। रख फोन मेरी सुबह खराब मत कर।
बाबू ये क्या कह रहे हो आप, क्या हुआ हैं।
मैं तुझे समझ चूका हूँ और आई हेट यू नाउ।
नीरज शट अप क्या बोल रहे हो।
तू फोन रखती है या पुलिस कम्प्लेन करूं?
नीरज सुनो क्या तुमने अपने बारें में सुहास को बताया।
हाँ बताया
बस यही आपने गलत किया मैंने कहा था ना इस अफेयर के बारें में किसी को मत बताना।
सुहास मेरा दोस्त है कभी मेरा बुरा नहीं चाहेगा। वो जो बोल है वही सही है।
तो क्या नीरज मैं?
तू बस फोन रख और आज के बाद फोन मत करना।
नीरज आखिरी बात सुन लो
बोल
सुहास की मुझ पर नियत थी वह कई बार मुझे प्रपोज कर चूका था इसलिए तुम्हे कहा था कि इस अफेयर के बारें में किसी को मत बताना। वह यह सब हमे अलग करने के लिए।
चुप कर तू, भाइयों में आग लगा रही है। कितनी गिरी हुई गई तू।
बस नीरज चुप एक लफ्ज नहीं। गिरे हुए तो तुम हो, जो एक औरत को खिलौना समझते हो। उसकी भावना नहीं समझते उसका समर्पण नहीं समझते। मुबारक हो तुम्हे अपना सुहास और अपनी दोस्ती आज के बाद मुझे मुंह भी न दिखाना। गलती हुई कि तुमसे प्यार किया। अब ये गलती नहीं होगी। मैं मुंबई करियर बनाने आई हूँ नीरज यह सब करने नहीं पर तुम नहीं समझोगे। और सिया ने फोन काट दिया।
- आशिता दाधीच

Friday, August 7, 2015

Two Lovers

दो पागल
कहा हो तुम सिया।
 अरे बस भायखला क्रॉस किया है। पांच मिनट रुक जाओ। फ़ास्ट ट्रेन हैं।
 रोज की तरह नीरज ने सिया को दादर उतारा और फिर दोनों ने दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाकर सीएसटी की ट्रेन पकड़ी।
 नीरज मेरे जैसी पागल भी कही ओर कहां होगी?
क्यों क्या हुआ?
मेरा ऑफिस सीएसटी में है घर बोरीवली में, सीएसटी से दादर की ट्रेन पकड़ने के बाद रोज तुम मुझे दादर में उतार लेते है वापिस सीएसटी लाने के लिए और वहां से हम चर्नी रोड़ पैदल जाते हैं। सिया बालों को कान के पीछे टांगने की नाकामयाब कोशिश करते हुए बोली।
 तो अच्छा है न इस बहाने हम कुछ पल साथ तो रह लेते है अब हमारी ऑफिस शिफ्ट ही ऐसी है क्या करें। नीरज की आवाज से नाराजगी झलक रही थी।
 नहीं मैं थक जाती हूँ। सिया शिकायत करते हुए बोली।
 तो ठीक है कल से हम अपने बाबू को बोरीवली तक छोड़ने चलेंगे।
 अल्ले नहीं ना आप थक जाओगे।
 तो क्या हुआ साथ तो रह सकेंगे कुछ पल।
 नहीं नीरज, सिया बोली, आप अगर तीस सैंकड़ के लिए भी कॉल कर लो तो मेरा दिन पूरा हो जाता है क्योकि यही तो वो तीस सैकंड है जो आपको खुद के लिए मिलते हैं । इसलिए दादर तो क्या मैं रोज विरार से आपके लिए वापिस आ जाऊ। सिया शर्मा कर बोली।
 अब चुप करो इतनी प्यार भरी बातें न करों नही तो यही किस कर दूंगा।
 कर लो कौनसा अपनी मम्मियाँ देख रही हैं। हेहेहे पागल कहि के उतरो अब सीएसटी आ गया।
- आशिता दाधीच
12-06-2014

विश्वास - धोखा Trust And betrayal

हाय सिया।
 ओ हाय सुहास कम सिट। मरीन ड्राइव की उस बाउंड्री पर खुद को थोड़ा सा और समेट कर सिया ने सुहास को बैठने के लिए कहा।
 कैसी हो सिया?
उमम ठीक हूँ सुहास, तुम्हे तो पता ही है न नीरज की बहन का मिस कैरेज हुआ हैं।
 हाँ। बोलो...
तुम्हे ये भी पता होगा कि पहले ही दो बेटियों होने के चलते इस बार संध्या दीदी पर बेटे को लेकर कितना प्रेशर था। और देखो उनके पेट का बच्चा ही गिर गया। नीरज बहुत अपसेट है। मैं उसे इतना दुखी देख नही सकती।
 सिया....
हाँ बोलो ना
 मैंने सुना है तुमने नीरज के बर्थडे पर अच्छी खासी पार्टी रखी थी। कई लोगों को बुलवाया था। सुहास ने पूछा।
 हाँ सुहास, पर देखो न उसी दिन सुबह यह सब हुआ और तब से मैं नीरज से मिल भी नहीं पाई। यू नो ना जब वो अपसेट होता है तो अकेले रहना पसंद करता हैं। पर अब तो एक वीक हो गया है नीरज को मूव ऑन करना होगा अपनी बहन के मिस कैरेज से। प्लीज मेक हिम अंडर स्टैंड। तुम बेस्ट फ्रेंड हो उसके।
 सिया, सुहास ने सिया का हाथ पकड़ते हुए कहा, सुनो, नीरज तो श्राप है जिसकी जिन्दगी में आता हैं उसी को बर्बाद कर देता हैं। देखो क्या हालत हो गई है तुम्हारी। सुनो, तुम मेरी हो जाओ। मैं तुम्हे खुश रखूंगा।
 शट अप सुहास क्या कह रहे हो तुम ये? सिया चिल्लाई।
 क्यों, तुम नीरज के साथ हम बिस्तर हो सकती हो, तो मेरे साथ क्यों नहीं। नीरज से तो बेहतर ही हूँ मैं।
 चुप करो सुहास नीरज मेरी जिन्दगी हैं। एक झटके से सिया वहां से खड़ी हो गई। अपने बैग को अपने सीने से चिपटाया और गोली के तेजी से मरीन लाइन्स की तरफ भागी। उसकी मासूम आँखे लाल हो चुकी थी। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि नीरज का बेस्ट फ्रेंड जिसे वो अपना देवर मानती थी। उसे इतना सब कह गया। प्लेटफॉर्म पर पहुंच कर उसने विरार फास्ट पकड़ी और जितने जोर से रो सकती थी रो पड़ी। कुछ औरते उसे देख कर बुदबुदा रही थी और हंस रही थी और कुछ देखे जा रही थी। देर रात होने से ट्रेन में भीड़ कम थी। आंखों से गंगा जमना बहाने के बाद जब सिया थोड़ी शांत हुई तो उसने नीरज को फोन घुमाया।
 हाँ मेरी जान बोल उधर से आवाज आई!
सिया ने एक सांस में सब कह डाला।
 चुप करो, फोन पर नीरज की चीख गूंजी। एक हफ्ते से हम मिले नही मैं अपने बर्थडे पर मिलने नहीं आया तो तुम इस हद तक गिर गई। मेरे बचपन के दोस्त के ऊपर कीचड़ उछाल दिया। शर्म नहीं आई तुम्हे। कितनी ओब्सेसिव और पजेसिव हो तुम। मेरी प्राब्लम तक नहीं समझना चाहती। डेट पर जाने के लिए किसी के भी चरित्र पर लांछन लगा देती हो। छि। थू है तुम पर। कितना भरोसा और प्यार करता था मैं तुम पर। लेकिन तुमने मेरे ही दोस्त पर... छि सिया आज से तुम्हारा हमारा नाता खत्म।
 लेकिन नीरज मैं मैं झूठ ..... तब तक फोन कट चुका था। सिया ने दोबारा कॉल लगाया तो आवाज आई, इस रूट की सभी लाइने व्यस्त हैं।
 अब बारी सिया कि थी फेसबुक, व्हाट्सएप और ट्विटर से नीरज को ब्लॉक करने की। और दिल, वहां भी ब्लॉक करने की कोशिश तो वह कर ही सकती है इस कमजरफ को जिसने इतने महीनों में उसे इतना भी ना समझा। जिसे उसका महत्व ही न समझा।
- आशिता दाधीच

Monday, July 27, 2015

Martyr शहीद

 
ये क्या दिखलाते है टीवी वाले
 अभी रात को ही तो इनका फोन आया था
 बोले थे मुन्नी की पसंदीदा महंगी बार्बी लाउंगा
 तुझे घुमाने लॉन्ग ड्राइव ले जाउंगा।

 माँ को तीरथ भी ले जाउंगा।
ये क्या दिखलाते है टीवी वाले
 ये शहीद हो गए
 कल रात घुसे थे आतंकी
 मुठभेड़ में इनको गोली मार गए।
 
और ये तो धनिया का घर है
 यहा रहती थी उसकी बूढी माँ
 उसे भी गोली मार गए।
 ये क्या दिखलाते है टीवी वाले।
 
बोर्डर भी वे पार गए
 मित्रता के पाठ भुला गए।
 कत्ले आम मचा गए।
 कुछ सपनों को मार गए।
 
ये क्या दिखलाते है टीवी वाले।
 
कल कुछ नेता आएँगे
 शहीद की बेवा कहकर शॉल ओढा जाएंगे।
 समाजसेविका आएगी आंसू भी पोंछ जाएगी।
 चैनल वाले आकर इंटरव्यू ले जाएंगे।
 पर कब समझेंगे ये
 इन जानों की कीमत।
 डेढ़ लाख से क्या मुझे मेरा पति लौटाएँगे?
वो खालीपन ये कैसे भर पाएंगे।
बस राजनितिक रोटियाँ सेंक पाएंगे
 एक दूजे को दोषी ठहराएंगे
 और बिना समाधान
 खाली हाथ रह जाएंगे
 बस कोरे आंसू बहाएंगे।
 
- आशिता दाधीच
 गुरुदासपुर शहीदों को नमन