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Monday, May 5, 2014

वो चली गई, She Left,



    
                                                                My first Short Story


 बस स्टॉप पर खड़े वो एक दुसरे को देख रहे थे, शब्दों का ज्वार मन में उमड़ रहा था पर कहने को एक शब्द भी नहीं, शायद उन दोनों के बीच की चुप्पी श्रुति का दम घोंट रही थी, रुंधे गले से पूछ लिया उसने, क्या ये सचमुच हमारी आखिरी मुलाक़ात है, क्या कभी नहीं मिलेंगे हम!
तेरे साथ रहा तो अब सब सत्यानाश हो जाएगा, चिल्ला उठा दीपक। दो साल में पहली बार उसे चीखते सुना कांप गई श्रुति और पूछ बैठी 'डिसाइड तो यही हुआ था कि अगर ब्रेक अप करना पड़ा तो भी कम से कम हाय हैल्लो का रिश्ता रखेंगे, तुम्ही ने कहा था, दुवा सलाम कायम रहेगी। फिर क्यों, इतनी बुरी तो नहीं मैं?' श्रुति फफक पड़ी.
यार तुम्हारा यही प्रॉब्लम है रोती बहुत हो, दीपक अपनी गीली आंखों को चुपके से पोंछने की कोशिश कर रहा था, श्रुति हंस पड़ी, "देखा तुम डरपोक हो फिर रो पडे"
अभी अलग ना हुए तो आगे तकलीफ होगी इसलिए इस रिश्ते की हर डोर काटने आया हूँ आज, रोक मत मुझे। दीपक के यह कहते ही श्रुति मुस्कुरा पड़ी और बोली पागल मेरे पीछे तो 25 है, टेंशन ना लो, जाओ आजाद किया तुम्हे। आवक सा दीपक वही खड़ा रह गया और अपने दिल में पहाड़ सा बोझ लिए पथराई आंखों के साथ बढ़ गई श्रुति आगे.





 

Sunday, May 20, 2012

Dowry 'दहेज - एक प्रथा या एक दानव'


Saw today's Episode of #SatymevJatye Felt so touched, felt bad for victims & those demons..Hats Off to Amir Khan
Just these few lines came out of the heart & presenting here for all of you Have a read & give reviews.....


हैं लोग यहा धन मतवाले तन के उजले मन के काले,
रिश्तों का जो व्यापार करे
जहाँ बेटी की लगती बोली, पैसों में आती बहू डोली
उस देश का यारो हैं चर्चा, क्या बेटी है बाबुल का खर्चा ?

जब कोई भी यहा बाप बने हो बेटी तो क्या अभिशाप गिने
बेटी की आयु बढ़ती हैं पिता की आयु घटती हैं
देंगे दहेज कैसे भारी, बेटी को ब्याहना क्या बीमारी ?
उस देश का यारो हैं चर्चा, क्या बेटी है कर्जे का परचा ?

बाते चलती मनुहारो से होते सौदे व्यापारों से
कर्जे से लाता धन उधर पुरे करता सारे करार
उस देश का यारो हैं चर्चा, क्या बेटी है बाबुल का खर्चा ?

जब आती बेटी की चिट्ठी गुम हो जाती सिट्टी पिट्टी
सब मुझको बहुत सताते हैं धन लाने को धमकाते हैं
पर बाप कहाँ दे पाता हैं ?
पहले का नहीं चुक पाता हैं.
उस देश का यारो हैं चर्चा, क्या बेटी है बाबुल का खर्चा ?

फिर आया वो संदेशा था जिसका सबको अंदेशा था
जल गई बहु लाचार बनी दैत्यों की निरीह शिकार बनी
मानव ने दानव रूप धरा
लालच में कैसा मरा –गिरा
सुन लो दहेज के लोभी सब
नहीं माफ करेगा तुमको रब !! 

बहुओं को हर घर प्यार मिले बेटी के सम सत्कार मिले
उस घर में वैभव धन होगा.
सबका सुखमय जीवन होगा
उस देश का यारो हैं चर्चा, जहाँ बहु का हो ऊँचा दर्जा