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Monday, August 4, 2014

पता था मुझे, I Knew it !

 
पता था मुझे,
एक दिन,
तुम दूर हो जाओगे मुझसे.
नहीं रहोगे,
मेरी बाहों में, पहले की तरह.
एक दिन,
हर वादा, हर कसम भूल कर
फेर लोगे पीठ,
मेरे चेहरे की तरफ.
 
जिंदगी अब भी वैसी ही है जैसी तब थी
हां, अब तुम्हारा स्पर्श नहीं,
सुबह उठाने वाली तुम्हारी आवाज नहीं,
थकान मिटाने वाली तुम्हारी मुस्कान नहीं,
 
दिल को छू जाने वाले तुम्हारी कोई बात नहीं।
 

 
 
 

अब भी,
 
बारिश भिगोती होगी तुम्हारे बाल
सूरज चमकाता होगा तुम्हारा लालट
हवा गुनगुनाती होगी तुम्हारे साथ
दीपक मिटाता होगा अंधेरे का एहसास
 

 
 

 

फूल अब भी खिलते होंगे तुम्हारे बगीचे में
धूप अब भी बिखरती होगी तुम्हारे आँगन में
फिजा अब भी रंगीन होगी तुम्हारी महफ़िल में
इन्द्रधनुष अब भी निकलता होगा तुम्हारे आसमान में
 
बस
मेरी पलखों पर नहीं है छुअन तुम्‍हारे होंठों की
मेरे बालों में नहीं अटकती उंगलियां तुम्हारे हाथों की
मेरे होठों पर नहीं बजती बंसी तेरे गीतों की
मेरे हाथों से नहीं पकती रोटी तेरे नाम की
 
फिर भी
बची है एक स्‍मृति
उन रातों की याद
जीवन रुका नहीं है
जीवन रुकता नहीं है
 
 

Sunday, May 20, 2012

Dowry 'दहेज - एक प्रथा या एक दानव'


Saw today's Episode of #SatymevJatye Felt so touched, felt bad for victims & those demons..Hats Off to Amir Khan
Just these few lines came out of the heart & presenting here for all of you Have a read & give reviews.....


हैं लोग यहा धन मतवाले तन के उजले मन के काले,
रिश्तों का जो व्यापार करे
जहाँ बेटी की लगती बोली, पैसों में आती बहू डोली
उस देश का यारो हैं चर्चा, क्या बेटी है बाबुल का खर्चा ?

जब कोई भी यहा बाप बने हो बेटी तो क्या अभिशाप गिने
बेटी की आयु बढ़ती हैं पिता की आयु घटती हैं
देंगे दहेज कैसे भारी, बेटी को ब्याहना क्या बीमारी ?
उस देश का यारो हैं चर्चा, क्या बेटी है कर्जे का परचा ?

बाते चलती मनुहारो से होते सौदे व्यापारों से
कर्जे से लाता धन उधर पुरे करता सारे करार
उस देश का यारो हैं चर्चा, क्या बेटी है बाबुल का खर्चा ?

जब आती बेटी की चिट्ठी गुम हो जाती सिट्टी पिट्टी
सब मुझको बहुत सताते हैं धन लाने को धमकाते हैं
पर बाप कहाँ दे पाता हैं ?
पहले का नहीं चुक पाता हैं.
उस देश का यारो हैं चर्चा, क्या बेटी है बाबुल का खर्चा ?

फिर आया वो संदेशा था जिसका सबको अंदेशा था
जल गई बहु लाचार बनी दैत्यों की निरीह शिकार बनी
मानव ने दानव रूप धरा
लालच में कैसा मरा –गिरा
सुन लो दहेज के लोभी सब
नहीं माफ करेगा तुमको रब !! 

बहुओं को हर घर प्यार मिले बेटी के सम सत्कार मिले
उस घर में वैभव धन होगा.
सबका सुखमय जीवन होगा
उस देश का यारो हैं चर्चा, जहाँ बहु का हो ऊँचा दर्जा