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Tuesday, May 5, 2015

सचिन तेंदुलकर Sachin Tendulkar

 
दिल चाहता है
 इक बार फिर से वो समा हो
 बस वही तू हो वही में हूँ
 एक अपर कट सिक्स हो
 कुछ पुल शॉट हो
 गली में तेरी बाल सुलभ मुस्कान हो
 गोल टोपी में छिपा तेरा मुखड़ा हो
 और तुझे देख कर मुस्कुराती करोड़ों नजरे हो।
सचिन सचिन की आवाजे हो
 चेहरे के वो उतरते चढ़ते भाव हो
 नफरत भुला कर गले लगते लोग हो
 मिठाई खा दिवाली मनाता मुसलमान हो
 गले मिल ईद मनाता हिन्दू हो।
विराट और रैना में तुझे खोजने की
 कोई कोशिश न हो
 फिर कोई सौवा शतक हो
 छोटे कद का बड़ा सा कैच हो
 न बॉल टेम्परिंग हो न स्लेजिंग हो
बस आँखों में कुछ अंगार हो
 आसमान में उठी कृतग्य नजरे हो
 एम आर एफ का बल्ला हो
 तिरंगे वाला हेलमेट हो
न गुस्सा हो न गालियाँ हो
 किताब से निकला शॉट साकार हो
 फिर तुझ सा बनने का अरमा हो
 फिर एक शतक की और तमन्ना हो
बस तू हो
 फिर से हो
 और हो
 सच्चिन सच्चिन सच्चिन
©आशिता दाधीच
#Instant #AshitaD #AVD #Sachin #Love #Dream
 
 










 

Thursday, September 11, 2014

सोने की तस्करी Gold Smuggling

स्वर्ण तस्करी का स्वर्ण काल - 2014
हवाई अड्डा बना तस्करों का अड्डा
स्मगलर चालक तो ऑफिसर मुस्तैद
आशिता दाधीच
  


अभी तो 2014 आधा ही बीता है और मुंबई एयरपोर्ट गवाह बन चुका है, सोने की तस्करी की लगभग 570 कोशिशों का। अगर यह इसी रफ़्तार से जारी रहा तो, माना जा रहा है कि इस साल लगभग एक हजार से भी अधिक मामलें दर्ज होंगे, जो कि पिछले लगभग डेढ़ से दो दशक का रिकॉर्ड तोड़ देंगे।
मुंबई एयपोर्ट कस्टम की एयर इंटेलिजेंस यूनिट ने बीते छह महीने यानी जनवरी से जून के दौरान तस्करी के 500 मामलें देखे। अगर इसका तुलनात्मक अध्ययन किया जाए तो बीते 15 सालों में इस भारी मात्रा में गोल्ड स्मगलिंग नहीं हुई।
एआइयु के अधिकारियों का भी मानना है कि इस साल स्वर्ण तस्करी नई उंचाइयों को छू सकती है। अधिकारीयों के मुताबिक छहमाही में उन्होंने 535 किलोग्राम स्वर्ण जब्त किया, जिसमें से 323 किलोग्राम गोल्ड केवल अप्रैल से जून के दौरान जब्त किया गया। अब तक तो 578 किलोग्राम गोल्ड जब्त हो चुका है। पिछले साल यानि 2013 में इस समयावधि अर्थात अप्रैल से जून के दौरान केवल 55 किलोग्राम गोल्ड ही जब्त किया गया था।
अगर बात बीते वर्षों में हुए सर्वाधिक सीजर की करे तो पिछला रिकॉर्ड 1988-89 के नाम है। इस पूरे साल में 800 किलोग्राम गोल्ड जब्त किया गया। यह वह दौरान था जब मुंबई पर अंडरवर्ल्ड का साया था और बड़े बड़े तस्करों की तूती बोलती थी।
कहां छुपा लेते है गोल्ड -
- स्पीकर
जूते
चॉकलेट
मलाशय और गुदा द्वार के भीतर
मुंह के अंदर
विमान के गलीचे या शौचालय में
ब्रा पैंटी आदि अंतरवस्त्रों के बटनों में
साबुन में
शर्ट के बटन में
घड़ी के भीतर
कमर पर बांध कर
कभी सोने को गला कर बीज के आकार के चिप्स बना खजूर में छिपाकर
पीस कर अन्य धातुओं में मिला दिया जाता है
बेल्ट के बकल
टॉर्च की बैटरी
जूते
ब्रीफकेस
कमर में बंधे सोने के बिस्कुट
चॉकलेट के पैक में सोना
मोबाइल फोन की सोने से बनी बैटरी
सबसे बड़े सीज इस साल -
24 मार्च - मॉरिशस पासपोर्ट धारक सात लोगों का एक परिवार बैकॉक से आया था। इसके पास से 37 चूड़ियों के रूप में 4.9 किलोग्राम गोल्ड जब्त हुआ, जिसे ये अवैध ढंग से बिना ड्यूटी चुकाए ले जाने की फ़िराक में थे|
अप्रैल में बैंकॉक से आई मां -बेटी के पास से 1.42 करोड़ रुपये का गोल्ड जब्त हुआ, जिसे ये लोग अपने अंतर्वस्त्रों में छुपाए हुए थी।
 
क्या होता है इस गोल्ड का -
मुंबई एयपोर्ट के नव निर्मित इंटर नैशनल टर्मिनल यानि टर्मिनल टू के सीजर कक्ष यानि स्ट्रोंग रूम को आप अली बाबा के खजाने का कमरा भी कह सकते है। अवैध रूप से और बिना ड्यूटी चुकाए गोल्ड लाने वालों से सारा गोल्ड वसूल कर इसी कक्ष में रखा जाता है। इस गोल्ड को तब तक वहां रखा जाता है, जब तक उसके अधिकार के बारे में न्यायिक निर्णय नहीं आ जाता।
इसके बाद आरोपी को एक कारण बताओं नोटिस जारी किया जाता है, जिसके तहत उसे कस्टम को जवाब देना होता है, जवाब मिल जाने के बाद सीज करने वाली इकाई को उस गोल्ड को डिस्पोज करने का आदेश दे दिया जाता है।
आदेश के बाद गोल्ड को सील बंद करके रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया भेजा जाता है। जहां यह गोल्ड पिघला कर उसे शुद्ध सिक्के बनाए जाते है।
इन सिक्कों को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की बुलियन शाखा को भेजा जाता है, जहां बोली लगाकर इन सिक्कों को बेचा जाता है। इसके लिए बकायदा टेंडर आमंत्रित किए जाते है। उंची बोली लगाने वाला रकम देकर गोल्ड ले जाता है और कस्टम को भी इसमें लाभांश मिलता है।
कब होती है गिरफ्तारी
यात्री से अवैध गोल्ड सीज किए जाने के भी अलग अलग नियम है, आइये इन पर एक नजर ड़ालते है, गोल्ड की कीमत एक करोड़ रुपये से अधिक होने पर यात्री को कस्टडी में लिया जाता है, अगर बरामद गोल्ड की कीमत पचास लाख से एक करोड़ रुपये के बीच हो तो उसे बेल मिल जाती है।
कुछ अनोखे स्मगलर
मैगजीन को फाड़कर उसमें ही खांचा तैयार कर लिया, जिसमें गोल्ड भरकर तस्करी करने की फ़िराक लगाये बैठे शख्स को मुंबई एयरपोर्ट पर 7 जुलाई को अरेस्ट किया गया। इस शख्स से पास से 25 लाख रुपये का गोल्ड जब्त हुआ था।
कुछ अनोखे स्मगलर
मैगजीन को फाड़कर उसमें ही खांचा तैयार कर लिया, जिसमें गोल्ड भरकर तस्करी करने की फ़िराक लगाये बैठे शख्स को मुंबई एयरपोर्ट पर 7 जुलाई को अरेस्ट किया गया। इस शख्स से पास से 25 लाख रुपये का गोल्ड जब्त हुआ था।
एआइयु के अडिशनल कमिश्नर मिलिंद लांजेवार के मुताबिक तस्कर स्मगलिंग के लिए नए नए तरीकों का ईजाद कर रहे है। इनके आका अपने कुछ प्यादों के पकड़ा जाने के बाद नई योजना बना लेते है और फिर एक नए प्रोसेस से स्मगलिंग शुरू कर देते है।
क्यों बढ़ रही है स्मगलिंग -
सोने की मांग इतनी ज्यादा है कि औसतन 700 से 900 टन सोना हर साल आयात किया जाता है, लेकिन वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का अनुमान है कि साल 2013 में करीब 200 टन सोना तस्करी से भी लाया गया।
देश में औसतन 1 से 3 टन सोने की हर महीने तस्करी हो रही है। एक साल में 245 करोड़ का तस्करी का सोना जब्त हो चुका है। साल 2013 में सिर्फ मुंबई में ही 185 किलो सोना पकड़ा गया है। सोने की तस्करी बढ़ने की इकलौती वजह सोने के आयात पर बढ़ी कस्टम ड्यूटी है, जिसकी वजह से तस्करी का सोना भारी मुनाफे का सौदा बन गया है।
 
मुंबई में कस्टम्स ने 2012 में 53 किलो सोना पकड़ा।
2013 में 185 किलो सोना पकड़ा।
2014 में सिर्फ जनवरी में ही 54 किलो सोना जब्त हुआ।
 
 
चुनौतियां भी बहुत -
कस्टम अफसरों को बहुत सावधानी से आम मुसाफिरों के बीच तस्करों की पहचान करनी होती है। अगली चुनौती छुपी जगह से सोना तलाशने की होती है। जाहिर है चालाक तस्करों को पकड़ना आसान नहीं होता। एडीशनल कमिश्नर, कस्टम्स मिलिंद लांजवर कहते हैं कि अलग-अलग तरीके से सोने की तस्करी होती है। उन्हें पकड़ना कभी भी आसान काम नहीं होता है इसलिए हम तस्करों की बॉडी-लैंग्वेज समझ जाते हैं।
तस्करों ने सोने की तस्करी का जाल बहुत बारीकी से बुना है। ज्यादातर सोना दुबई और खाड़ी देशों से होता हुआ मुंबई और दिल्ली आता है। मुंबई से होता हुआ ये सोना गुजरात, राजस्थान समेत देश के कई बड़े शहरों तक पहुंच जाता है।
बहुत पुराना है ये खेल -
सोने की तस्करी देश में नई नहीं है। तस्करी का ये काला खेल 70 और 80 के दशक में भी खूब देखा गया है। तब सोना पानी के जहाज से लाया जाता था। भारत में सबसे पहले करीम लाला और हाजी मस्तान जैसे अंडरवर्ल्ड डॉन ने सोने की तस्करी शुरू की। 70 के दशक में हाजी मस्तान के इशारे पर सोने का काला खेल चलता था। सोने के बड़ी-बड़ी खेप दुबई और दूसरे खाड़ी देशों से पानी के जहाजों से भारत लाई जाती थीं। तस्करी का ज्यादातर सोना मायानगरी मुंबई के समंदर पर उतरता था। फिर मुंबई से ये सोना भारत के दूसरे शहरों में भेज दिया जाता था। हाजी मस्तान ने सोने की तस्करी का पहली बार बड़े पैमाने की तस्करी में बदला लेकिन सोने की तस्करी को संगठित अंदाज में दाऊद इब्राहिम ने अंजाम दिया।
एकाएक क्यों बढ़ गई है सोने की तस्करी
देश में एकाएक सोने की तस्करी क्यों बढ़ गई है, ये पहेली नहीं है। सरकार ने सोने का आयात महंगा कर दिया। मकसद बढ़ते आयात-घटते निर्यात से हो रहे घाटे को कम करना था। सरकार अपनी कोशिश में कुछ हद तक सफल भी हुई लेकिन उसके कदम ने सोने की तस्करी को मुनाफे के सौदे में भी बदल दिया। कोई अब अगर एक किलो सोना भारत लाने में कामयाब हो जाता है तो उसे करीब 20 फीसदी तक मुनाफा हो जाता है।
सरकार की जेब पर बोझ बढ़ाता तस्करी का सोना -
अगर, तस्करी से आए एक किलो सोने पर सरकार को करीब 5 से 6 लाख का नुकसान होता है, तो समझा जा सकता है कि 200 टन तस्करी के सोने से देश की अर्थव्यवस्था को कितना बड़ा झटका लगा होगा। गौरतलब है कि 20 लाख से ज्यादा का सोना पकड़े जाने पर तस्करी का मामला दर्ज होता है। दोष साबित होने पर 7 साल तक की कैद हो सकती है।
क्या होती है तस्करों की टेंडेंसी -
वे ऐसी एयरलाइंस का फायदा उठाते हैं जो एक ही विमान से अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानों को संचालित करती हैं। तस्करी के लिए सबसे पहले गिरोह के कुछ लोग सोने को विदेश ले जाते हैं। फिर उसे विमान में छिपा दिया जाता है। इसके बाद घरेलू उड़ान के लिए उसी विमान में गिरोह के दूसरे सदस्य सवार हो जाते हैं और अपने सामान के साथ बाहर निकल जाते हैं। सोने की तस्करी मुख्यतया दुबई और शारजाह से ज़्यादा होती है क्योंकि यहां सोना अपेक्षाकृत सस्ता है।
एयरपोर्ट स्टाफ के साथ सांठ-गांठ
दूसरे देशों में बैठे तस्कर अब एयरपोर्ट के सफाई कर्मियों से लेकर सुरक्षा एजेंसी से जुड़ें लोगों को अपने साथ मिलाने लगे हैं। कस्टम सूत्रों के मुताबिक, तस्करों के लोग ग्रीन चैनल से पहले ही गोल्ड को कहीं छुपा देते हैं और इनके आका फोन पर किसी लोडर या स्वीपर को अच्छी खासी रकम का लालच देकर वह गोल्ड, ड्रग या टर्टल, चंदन जैसी चीज बाहर मंगवा लेते हैं।
रेड फ्लाइट्स पर रहती है नजर-
दुबई, अरब, बैंकाक और श्रीलंका के नागरिक इस खेल के मुख्य प्यादे होते हैं, ऐसे में उनकी फ्लाइट्स पर विशेष नजर रखी जाती है।
>> एयर इंडिया 984 , इंडिगो 62 दुबई - मुंबई
>> एयर इंडिया 920 रियाद - मुंबई
>> एयर इंडिया 343 सिंगापुर - मुंबई
>> थाई एयरवेज 317 बैंकाक - मुंबई
QUOTE -
गोल्ड पर प्रीमियम कम है, लेकिन ड्यूटी अभी भी लग रही है। जिसके चलते अब लोग कम मात्रा में गोल्ड नहीं लाएंगे। गोल्ड भारी तादात में और बड़े लोड के रूप में आएंगे साथ ही स्मगलिंग करने वाले अब घरेलू लोगों को अधिक इस्तमाल करेंगे।
मिलिंद लांजेवार - एडिशनल कमिश्नर, मुंबई एयरपोर्ट एयर इंटेलिजेंस यूनिट
आयात शुल्क बढ़ने से एक तरफ सोने की कानूनी खपत कम हो गई दूसरी तरफ सोने की गैर-कानूनी तस्करी बढ़ गई, क्योंकि सोने की तस्करी में 20 फीसदी तक मुनाफा होने लगा। दरअसल 1 किलो आयातित सोने की कीमत करीब 30 लाख रुपये है। तस्करी से लाया गया सोना 4 से 5 लाख रुपये सस्ता पड़ता है।
- कुमार जैन, वाइस प्रेजिडेंट, श्री मुंबई जूलर्स एसोसिएशन

Monday, August 4, 2014

पता था मुझे, I Knew it !

 
पता था मुझे,
एक दिन,
तुम दूर हो जाओगे मुझसे.
नहीं रहोगे,
मेरी बाहों में, पहले की तरह.
एक दिन,
हर वादा, हर कसम भूल कर
फेर लोगे पीठ,
मेरे चेहरे की तरफ.
 
जिंदगी अब भी वैसी ही है जैसी तब थी
हां, अब तुम्हारा स्पर्श नहीं,
सुबह उठाने वाली तुम्हारी आवाज नहीं,
थकान मिटाने वाली तुम्हारी मुस्कान नहीं,
 
दिल को छू जाने वाले तुम्हारी कोई बात नहीं।
 

 
 
 

अब भी,
 
बारिश भिगोती होगी तुम्हारे बाल
सूरज चमकाता होगा तुम्हारा लालट
हवा गुनगुनाती होगी तुम्हारे साथ
दीपक मिटाता होगा अंधेरे का एहसास
 

 
 

 

फूल अब भी खिलते होंगे तुम्हारे बगीचे में
धूप अब भी बिखरती होगी तुम्हारे आँगन में
फिजा अब भी रंगीन होगी तुम्हारी महफ़िल में
इन्द्रधनुष अब भी निकलता होगा तुम्हारे आसमान में
 
बस
मेरी पलखों पर नहीं है छुअन तुम्‍हारे होंठों की
मेरे बालों में नहीं अटकती उंगलियां तुम्हारे हाथों की
मेरे होठों पर नहीं बजती बंसी तेरे गीतों की
मेरे हाथों से नहीं पकती रोटी तेरे नाम की
 
फिर भी
बची है एक स्‍मृति
उन रातों की याद
जीवन रुका नहीं है
जीवन रुकता नहीं है
 
 

Friday, February 24, 2012

मुम्बईकर हो गयी हूँ मैं


13 जुलाई  2010. 
कैसे भूल सकती हूँ मैं इस दिन कों ? 
यही दिन था जब मेरा वियोग लिखा था विधाता ने . धरती धोरां री से , रेट के टीबों से , बनास की धारा से.
सुबह हुई . लेकिन मेरे लिये ये सुबह हर दुसरी सुबह से अलग थी..
शयद आँखों में ढेर सारे आंसू थे, जिन्हें रोक रही थी मैं कोशिशे करके .
ना जाने कितने लोग दिन भर मिलने आए. किसी से नही बोल पायी मैंने.
मेरी अपनी मा तक से भी नही बोली एक भी शब्द ताकी आदत पड सके उससे बोले बिन रहने की..

घड़ी में शाम के ४ बजे थे ... बैग पैक था...माँ मुझे छोड़ने आना चाहती थी.
पर मैं ही नही चाहती थी..
पॉप्स के साथ स्टेशन पहुची ..दिल में तूफ़ान था..
समझ नही पा रही थी कैसे रिएक्ट करू ? अपना ख्वाब सच होने की खुशी मनाऊ या जोर से रोऊ 
पापा कों यू देख रही थी मनो वो मेरा किडनेप करके मुझे दरिया में फेकने जा रहे हो.
धीरे से बोला मैंने "नही जाना मुझे मुंबई" पर शायद उन्होंने सुना नही. 

रात साढ़े दस की ट्रेन थी मावली से ...दिल में तूफानों की होली जल रही थी.
लेकिन मैं थकी हुई थी. शायद अपनी धरती माँ कि गोद मैं जी भर कर सोने का लुफ्त उठा लेना चाहती थी.
कब आँख लगी पता नही...या शयद मैं खुद का सामना नही कर सकती थी.इसलिए उठी हि नही. 

दिन के ढाई बजे बांद्रा टर्मिनस उतरी .... १४ जुलाई का दिन था वो. 
अब से पहले बीसीयो बार मुम्बई आई थी. लेकिन इस बार मायानगरी कुछ अलग लगी.
शायद मेरी आँखों में सजे सपने इसके रंग कों और भी रंगीन बना रहे थे. 

यहाँ कई लोगो कों जानती थी मैं 
लेकिन अब उन सब के साथ एक रिश्ता जोड़ना था ..उन्हें अपना बनाना था.
अपनी जिंदगी कों नए लोगो के साथ जुड़ कर सजाना था.
कई नए लोग मिलेंगे अब ...अब यही मेरी कर्मभूमि है. सोच कर रोमांचित थी मैं. 

समय पंख लगा कर उड़ा ..पता ही नही चला कब एक साल पूरा होगया ...
आज पीछे मुड कर देखती हूँ तो सोचती हूँ इस शहर ने कितने  एहसान किये मुझ पर 
क्या क्या नही दिया ...

आज कुछ हूँ शयद ये कह सकती हूँ ...माटी माँ मुझ पर गर्व कर सके इस लायक बन पाउंगी ये विश्वास है.
कल ही लवीना फोन पर कह रही थी...."क्या तू वही है जो एक साल पहले यहा से गयी थी...नही ..तू वो नही है कितनी बदल गयी है तू
हाँ मुम्बईकर हो गयी हूँ मैं ....इस शहर से प्यार हो गया है मुझे. 
कृतग्य हूँ मैं इसके दिए उपहारों की 
वो शहर जिसने मुझे खुद का नाम दिया... पहचान दी.
प्यार और समर्पण के मायने सिखाए .... एक साल में मुझे सब कुछ दिया 
माँ मुम्बा देवी ..तुम्हारा लाख लाख धन्यवाद जो तुमने मुझे अपने आंचल  कि छाव दी.
मुम्बई.... शुक्रिया मुझे खुद में मिलाने और अपना बनाने के लिये.