Wednesday, October 23, 2013

जाने वो कैसा होगा, I Miss You

 
जब भी वो हंसता होगा,
सबको दीवाना करता होगा.
 
मुझ को तन्हा किया है,
तडफता वो खुद भी होगा. 

जमाने से देखा नहीं उसको,
जाने वो कैसा होगा.
 
जिन गालों को चूमा था मैंने,
उनको अब भी छूता होगा.
 
सुन कर मेरा नाम शायद,
एक बार तो वो चौंकता होगा.
 
लाल जोड़े में सजी मेरे साथ,
कटार लिए वो कैसा लगता होगा.
 
शायद मुझसे वापस मिला दे,
ऐसी कोई लकीर हाथ में खोजता होगा.
 
अपने बाल बिखर जाने पर,
मुझ पर बरसने को मचलता होगा.
 
अकेले पड़ जाने पर, थक जाने पर,  
कभी तो मुझे याद करता ही होगा.
 
जाने वो अब कैसा होगा  
जाने वो अब कैसा होगा  
 
 
 
 
 
 

Wednesday, October 16, 2013

आ जा फिर से.…. Come Again


आ जा फिर से.….
आ जा फिर से कर ले इक गुस्ताखी 
आ जा फिर मिटा ले वो दूरियां सारी 
आ जा फिर मिल जाए हम दोनों
आ जा खुद में खो जाए हम दोनों 
आ जा कुछ पा ले हम दोनों 
आ जा सब कुछ खो दे हम दोनों 
आ जा फिर दे उनको जलने का बहाना 
आ जा फिर दे उन्हें कोसने का  फसाना 
आ जा रिती रिवाज भुला दे हम दोनों 
आ जा रस्मों को मिटा दे हम दोनों 
आ जा एक पहचान बनाए हम दोनों 
आ जा एक मिसाल बन जाए हम दोनों 

Tuesday, October 1, 2013

You Have a swear 'कसम है तुमको'

कसम है तुमको



कसम है तुमको ! याद ना रखना मेरे उसे प्रेम को |

भुला देना मेरा वो समर्पण,
भुला देना तुम्हारे सम्मान के लिये लड़ी गई मेरी उन लड़ाइयों को,
याद ना रखना तुम्हे देख कर मेरे ह्रदय में उमड़ी उन अंगडाईयों को,
भुला देना तुम्हे देखने के लिये की गई मेरी प्रतीक्षा को,
याद ना रखना विरह में गिरे मेरे उन आंसूओं को .... 

भुला देना तुम्हारे उस स्नेह को,
भुला देना मेरी उस मेहनत को जो में तुम्हारे लिये संवाद जुटाने को करती थी,
याद ना रखना मेरी उन कोशिशों को जो में तुम्हारे लिये सुन्दर दिखने को करती थी,
भुला देना मेरी उन प्रार्थनाओं को जो मैं तुमसे मिलने के लिये करती थी,
याद ना रखना प्रेम भरे उन गीतों को जो मैं तुम्हारे लिये गाती थी ....

भुला देना तेरा वो मुझसे लगाव,
भुला देना जो बहस - मुबाहिसे जो तुमने मेरे सम्मान में की थी,
याद ना रखना मुझे जो सलाहें तुमने दी थी,
भुला देना वो दुलार भरी डांटे जो तुमने मुझे दी थी,
याद ना रखना वो शरारते जो तुमने मुझे हंसाने को की थी ....

भुला देना वो प्रेम भरे निवेदन,
भुला देना मेरे केशों में गजरा लगाने की तुम्हारी वो नाकाम कोशिश,
याद ना रखना मेरा चुम्बन लेने की तुम्हारी वो पहली नाकाम कोशिश,
भुला देना मुझे खिंच कर बाहों में भर लेने की तुम्हारी वो कोशिश,
याद ना रखना मेरा जूठा चुरा कर खाने की तुम्हारी वो कोशिश ......  

भुला देना प्रेम के उन पवित्र तीर्थो को,
भुला देना प्रेम के उस पहले आलिंगन को,
याद ना रखना उन गली कुंजो को,
भुला देना मेरी आँखों के चमकते अपने चेहरे को,
याद ना रखना तेरे लिये दुवा मांगते मेरे होंठो को .......

है कसम तुझे, भुला देना मेरे होने के अहसास को,
भुला देना मेरी संगत में तुझे मिले उस सुखद एहसास को,
याद ना रखना मेरी उन शरारतों को, उन खिखिलाहटो को,
भुला देना हमारी उन अनकहीं बातों को,
याद ना रखना हमारी आपस में बात करती आँखों को .....

भुला देना यह भी, कि तेरे जीवन में मेरा स्थान क्या था?
भुला देना मुझे देख कर तेरे चेहरे पर नाचती मुस्कान को,
याद ना रखना तेरे मेरे उस बेशुमार जुड़ाव को,
भुला देना एक दूजे के लिये बर्बाद की गयी नींद को,
याद ना रखना मेरे झरते - बहते नयनो को .......

है कसम तुझे, भुला दे सब को
है कसम तुझे, आजमा ले मुझ को
भुला सकता है अगर सच मुच तो भुला के दिखा मुझको

Monday, September 2, 2013

पा जाती हूँ हर कही तुम्हे

पा जाती हूँ हर कही तुम्हे
आँखें बंद कर के
धडकनों को कुछ थम कर
महसूस कर लेती हूँ तुम्हे
हर कही, हर पल
आसमान में ऊँची उडती चिड़ियाँ के साथ उड़ते
समंदर की गहराइयों में मछलियों के संग तैरते
किसी फूल पर बैठ कर भँवरे की तरह रस चूसते
किसी तितली की तरह डालियों पर मंडराते
खुद के भीतर पा जाती है तुम्हे
खुद के साथ रोते और हँसते महसूस करती हूँ तुम्हे
वीरानियों में और आबादियों में महसूस करती हूँ तुम्हे
लहराती हुई डालियों और झूमती हुई फिजाओं में पाती हूँ तुम्हे
फड़फड़ाती हुई पत्तियों और बलखाती हुई हवाओं में पाती हूँ तुम्हे
पंछियों के साथ चहचहाते, कोयल के साथ गाते देखती हु तुम्हे
जहां देखती हु तुम्हे देखती हूँ में
पा जाती हूँ हर कही तुम्हे 



Tuesday, January 1, 2013

Life, Love & Peace




“आत्मिक शांति के लिये हर व्यक्ति को अपने मन की सुनने और उस अनुसार आचरण करने का अधिकार हैं.”

यह एक शास्वत सत्य हैं. लेकिन विडंबना यह हैं कि हर परिस्थिति में यह कथन परिवर्तित हो जाता हैं.

आज आपकी उम्र चाहे कितनी भी हो लेकिन जिस दिन से आपने जीवन को समझना शुरू किया होगा, जीवन ने आपको भावनाओं, एहसासों और संवेदनाओ से जरुर रूबरू करवाया होगा.

जहाँ जहाँ जब जब किसी से आशाएं जोड़ी जाती हैं, तब दिल कहीं ना कहीं हल्का सा ही लेकिन टूट जाता हैं. ‘शायद इसी लिये कहते हैं कि ‘एक्पेकटेशंस सक्स’ प्रेम कितना भी अटूट हो, लेकिन जब तक उसमे कोई अपेक्षा  नहीं रहती हैं, हर चीज सुख देती हैं, हफ्ते में एक बार भी बात हो जाए खुशी की कली खिली रहती हैं, लेकिन जिस दिन आशाएं शुरू होती हैं, उसका किया हुआ हर प्रेम पूर्ण कार्य भी छोटा लगता हैं.
और शायद तब दिल टूटने शुरू होते हैं. और जो अपने होते हैं उनके दिए हुए ये जख्म आसानी से भर नहीं पाते हैं, कई बार तो जिंदगियां लग जाती हैं, इसलिए हि तो कहते हैं ‘इश्क वो खेल नहीं जो छोटे दिल वाले खेले, रूह तक कांप जाती हैं, सदमे सहते सहते.’

और कई बार जब हम उस सदमे से उबार जाते हैं तो इस लायक नहीं बचते कि फिर किसी पर विश्वास कर सके, किसी के हाथो में उम्मीदों का दिया सौंप सके. तब जाकर शुरू होती हैं भावनाओं की मौत का एक अनजाना सिलसिला.  

प्रेम की वो कामना तो अमर हैं, लेकिन उसे हम भीतर ही भीतर रोज मार डालते हैं.   
लेकिन क्यू, यही तो वह एहसास हैं जो हमें रोज जिन्दा रखता हैं,
हमारा समाज, एक परिभाषा बना कर बैठा हैं कि आंसू गिरना कमजोरी की निशानी हैं, और शायद इसलिए हमारा अहम यह स्वीकार नहीं करता कि हम कमजोर बने.

लेकिन मुझे एक बात बताइए -

क्या किसी की याद में आंसू गिरना गुनाह हैं ?

क्या किसी के सामने अपनी भावनाये रखना गुनाह हैं ?

क्या किसी से प्रेम का प्रतिदान मांगना गलत हैं ?

क्या किसी कि और निन्यानवे कदम चलके उससे एक कदम आगे आगे चलने की आशा करना गलत हैं ??

क्या भावनाहीन बनकर जीना आसान हैं ?

हां, शायद यही ज्यादा आसान हैं, और बुद्धिमत्तापूर्ण भी.  

लेकिन फिर क्यू हम शाहरुख खान टाईप, बर्फी सरीखि फिल्मे देख कर अपने आंसू नहीं रोक पाते, क्युकी हजारों मौत मारने के बाद भी वे भावनाये वहाँ जिन्दा बच जाती हैं,  
लेकिन फिर भी आप, बर्फ की उन बंद दीवारों में जीना चाहते हैं ?? जो सिर्फ और सिर्फ आपका दम घोंट रही हैं, किस मजबूती का ढोंग कर रहे हैं आप ??

 जब एक मुस्कराहट सब कुछ ठीक कर सकती हैं. याद कीजिये वो दिन जब माँ कि गोद स्विजरलेंड की वादियों से भी खूबसूरत लगता था, वो आज भी उतना ही खूबसूरत हैं, बस आपने वो रंग देखने बंद कर दिए.

 क्यू हर दुःख में हम किसी सबसे प्रिय के सीने से लगना चाहते हैं ??
क्युकी हम इंसान हैं, भावनाए हम में आज भी जीती है.
लेकिन फिर भी ना जानने क्यू हम मशीन बन गए हैं, भावनाये जताने में डरने लगे हैं?
 प्रेम की चाह सबको हैं लेकिन उसे मांगना कोई नहीं चाहता.
लेकिन आखिर क्यू  उसे ना मांगा जाए जो आपको सबसे ज्यादा खुशी देता हैं.
जो आपको मुस्कुराने के लाखो मौके दे उससे ये नाउम्मीदी क्यू ?


हां, प्रेम में थोड़ी सी मूर्खताए होती हैं, लेकिन बच्चे भी तो सभी को इसीलिये अच्छे लगते हैं क्युकी वे थोड़ी सी मूर्खताए करते हैं, सभी एक बार फिर से बच्चा बन जाना चाहते हैं, लेकिन फिर भी बच्चा बनने से कतराते हैं, जब पता हैं कि यह एहसास खुशी देगा तो आखिर क्यू उस खुशी से डरना, क्यू किसी और की परवाह करना.  

अपने भीतर से उस मजबूत इंसान को मत मारिये, आने दीजिए उसे बाहर,
लड़ने दीजिए उसे जिंदगी की जंग हो सकता हैं इस बार वही जित जाते, जिसे आप कमजोर समझ कर लड़ने का मौका ही नहीं दे रहे थे,

भावनाये अमर हैं उन्हें मारा नहीं जा सकता, उन्हें मारने के नाम पर अपने जीवन की शांति को मारना बंद करो.  
भावनाएं तो आजाद परिंदे हैं, उन्हें जीभर के उड़ान भरने दो.  


प्रेम करते रहो, सब से, हर एक से,

क्या पता किसी से तुम्हे भी बदले में वैसा प्रेम मिल जाए, जिसका स्वप्न तुमने संजोया था.

हर पल जियो, प्रेम लूटाओं, खुश रहो,
मौके तलाशने की क्या जरुरत हैं ??


Sunday, December 16, 2012

You are my Everything तुम मेरा सर्वस्व हो प्रियतम





                'तुम मेरा सर्वस्व हो प्रियतम'

हो सकता हैं प्रियतम कि तुम्हारी लिये मैं कुछ भी नहीं
इस शतरंज की बिसात पर मेरे बादशाह, हो सकता हैं मेरी हस्ती कुछ भी नहीं

लेकिन मेरे प्रियतम  तुम तो मेरा सर्वस्व हो, जीवन हो, प्राण हो.  

वो अलफ़ाज़ नहीं है मेरे पास कि तुम्हे दिखला सकू,
तुम्हारा महत्व अपने जीवन में.
क्युकी तुम ही तो मेरा जीवन हो प्रियतम.

तुम हर वो शब्द हो, जिसे मैं बोलती हूँ.
तुम हर वो गीत हो, जिसे मैं गुनगुनाती हूँ.
तुम वो दर्द हो, जिसमे भी एक मजा हैं.

तुम वो बरसात हो, जिसमे भीगना मुझे लुभाता हैं.

तुम वो दर्पण हो प्रिय, जिसमे मैं स्वयं को और भी, बहुत, खूबसूरत पाती हूँ.

तुम मेरा वो रहस्य हो प्रिय, जिसे मैं जग से छुपाना चाहती हूँ,
बस अपने ह्रदय के पास रखना चाहती हूँ.

तुम वो कथा हो प्रिय, जिसे मैं बरबस बारबार पढ़ना चाहती हूँ.

तुम मेरा वो सपना हो मीत, जिस पर मैं अंध श्रद्धा रखना चाहती हूँ.

तुम वो पक्षी हो प्रियतम, जिसके के साथ में उड़ना चाहती हूँ. दूर बहुत दूर .. सीमाओं से परे


तुम मेरी श्वास हो प्रिय, तुम्हे चुनना नहीं चाहती हूँ मैं
क्युकी तुम्हारा कोई विकल्प ही नहीं हैं.


तुम तो मेरा वह अनंत शास्वस्त सत्य हो, जिस पर मुझे गर्व हैं,
चीख चीख कर जिसे सुनाना चाहती हूँ मैं इसे विश्व को.

तुम मेरी वो भावना हो प्रिय जिसे महसूस करके मैं स्वयं को पा जाती हूँ.

तुम वो पुष्प हो प्रिय, जिसे मैं सिर्फ मैं सूंघना चाहती हूँ.

सिर्फ तुम ही वो हो प्रियतम जो मेरे प्रियतम शब्द को मायने दे सकता हैं..

तुम मेरा वो अतीत हो, जिसमें मैं सदा मुस्कुराई हूँ, जिससे मैं प्रेम करती हूँ.

तुम मेरा वो भविष्य हो, जिसमे मैं स्वयं को सुरक्षित पाती हूँ, जिससे मैं प्रेम करती हूँ.

तुम मेरा वह वर्तमान हो, जिससे मैं केवल मात्र प्रेम करती हूँ.

इसके सिवाए और क्या कहू हमदम

मेरे शब्दकोष मैं इतनी क्षमता हैं भी नहीं.
लेकिन फिर भी तुम्हे जतलाना चाहती हूँ प्रियतम
कि तुम्हारी श्रष्टि में मेरा स्थान भले ही नगण्य हो
परन्तु तुम मेरा सर्वस्व हो प्रियतम


Tuesday, November 27, 2012

एक पत्र



एक पत्र 

एक पत्र लिखती हूँ प्रियतम, वह पत्र जो तुम्हारी खुशबू से रचा बसा हो
एक पत्र लिखती हूँ प्रियतम, वह पत्र जो मेरा प्यार में डूबा हुआ हो .....

तुम्हे जितना समझने की कोशिश की हमदम  उतना ही उलझती गई
तुम्हारी प्रीत में ......

नहीं चाहती कोई महल कोई किला,
मेरे राजकुमार की बांहों से बड़ा कोई महल होगा भी कहाँ.

हां एक बार, तुम्हारी बांहों में जीकर देखा था मैंने, 
लगा था ... मानो जन्मो की तपश्या के बाद ये दिन  आया हैं .... 
दिल किया था बस संजो कर रख लू इस क्षण को .... 

बस वो जो पल उसके साथ बिताए हैं मेरे धरोहर हैं ....
दोस्त हो तुम मेरे  .... क्युकी तुम्हारे  साथ मैं  हर वो बात शेयर कर सकती हु
जो में खुद भी नहीं जानती हूँ

तुम्हारे साथ मैं मैं बन कर जी सकती हूँ .

तुम्हारे साथ हर बचपना कर सकती हु.

याद हैं मुझे, जब टूट चुकी थी, तुम्हे ही फोन किया था, रोई थी मैं
क्युकी तुम मेरा विश्वास हो ,  मेरी श्रद्धा हो , मेरी आस्था हो. 

ना जाने कब तुम्हारी  उन खूबसूरत आँखों में खोने के लिये जी मचलने लगा
ना जाने कब जी करने लगा कि तुम्हारे करीने से सवारे हुए बालो कि बिखेर दू

ना जाने कब ये सपना देख बैठी
कि सत्तर साल की उमर में भी  एक हाथ में लकडी और दूसरे हाथ में मेरा हाथ थाम कर
तुम मुझे बैंड स्टैंड ले जाओगे  .....
जहाँ बैठकर हम दोनों सारी दुनिया के घोटाले भुलाकर सिर्फ खुद को याद रखेंगे.

आँखे सपने देख रही थी और रो भी रही थी .... डर था उन्हें कि वे गलत इंसान पर जा टिकी हैं ....

नहीं, तुम  गलत कैसे हो सकते हो  ??? दुनिया कहती हैं तुम  सोने सरीखे  हो  ......

तुम्हारा नाम सुनकर जो उसे तुम्हे थोड़ा भी जानते हैं , उनकी भी आँखों में चमक आ जाती हैं.

शालीमार मोर्या की सीढियां रूबरू हैं मेरे उन आसूंओं से
जो हर बार तुम्हारी याद में अनजाने ही आँखों से लुढक पड़े.

रोक कर भी नहीं रोक पायी मैं

तुम्हारे अंदर मैंने आशिता को जीते देखा ...

तुम्हे मैंने आशिता से भी ज्यादा आशिता जैसा पाया ....
हर वो खूबी हैं तुममे  जिसके मैंने स्वप्न सजोये  ....

और इसलिए शायद तुम्हारे होने का एह्साह ही मेरी मुस्कुराहटो को बरकरार रखने के लिये काफी हैं ...

एक जिंदगी क्या कई .. सिर्फ तुम्हारी  अमानत हैं ...
तुम्हारी  मुस्कुराहटो पर कुर्बान हैं ....

क्युकी  मुझमे तुम मेरे अंदर तक जीते  हो प्रियतम  ...
और तुम्हारे अंदर  मैं खुद को जीते देखती हु ....