Monday, September 2, 2013

पा जाती हूँ हर कही तुम्हे

पा जाती हूँ हर कही तुम्हे
आँखें बंद कर के
धडकनों को कुछ थम कर
महसूस कर लेती हूँ तुम्हे
हर कही, हर पल
आसमान में ऊँची उडती चिड़ियाँ के साथ उड़ते
समंदर की गहराइयों में मछलियों के संग तैरते
किसी फूल पर बैठ कर भँवरे की तरह रस चूसते
किसी तितली की तरह डालियों पर मंडराते
खुद के भीतर पा जाती है तुम्हे
खुद के साथ रोते और हँसते महसूस करती हूँ तुम्हे
वीरानियों में और आबादियों में महसूस करती हूँ तुम्हे
लहराती हुई डालियों और झूमती हुई फिजाओं में पाती हूँ तुम्हे
फड़फड़ाती हुई पत्तियों और बलखाती हुई हवाओं में पाती हूँ तुम्हे
पंछियों के साथ चहचहाते, कोयल के साथ गाते देखती हु तुम्हे
जहां देखती हु तुम्हे देखती हूँ में
पा जाती हूँ हर कही तुम्हे 



Tuesday, January 1, 2013

Life, Love & Peace




“आत्मिक शांति के लिये हर व्यक्ति को अपने मन की सुनने और उस अनुसार आचरण करने का अधिकार हैं.”

यह एक शास्वत सत्य हैं. लेकिन विडंबना यह हैं कि हर परिस्थिति में यह कथन परिवर्तित हो जाता हैं.

आज आपकी उम्र चाहे कितनी भी हो लेकिन जिस दिन से आपने जीवन को समझना शुरू किया होगा, जीवन ने आपको भावनाओं, एहसासों और संवेदनाओ से जरुर रूबरू करवाया होगा.

जहाँ जहाँ जब जब किसी से आशाएं जोड़ी जाती हैं, तब दिल कहीं ना कहीं हल्का सा ही लेकिन टूट जाता हैं. ‘शायद इसी लिये कहते हैं कि ‘एक्पेकटेशंस सक्स’ प्रेम कितना भी अटूट हो, लेकिन जब तक उसमे कोई अपेक्षा  नहीं रहती हैं, हर चीज सुख देती हैं, हफ्ते में एक बार भी बात हो जाए खुशी की कली खिली रहती हैं, लेकिन जिस दिन आशाएं शुरू होती हैं, उसका किया हुआ हर प्रेम पूर्ण कार्य भी छोटा लगता हैं.
और शायद तब दिल टूटने शुरू होते हैं. और जो अपने होते हैं उनके दिए हुए ये जख्म आसानी से भर नहीं पाते हैं, कई बार तो जिंदगियां लग जाती हैं, इसलिए हि तो कहते हैं ‘इश्क वो खेल नहीं जो छोटे दिल वाले खेले, रूह तक कांप जाती हैं, सदमे सहते सहते.’

और कई बार जब हम उस सदमे से उबार जाते हैं तो इस लायक नहीं बचते कि फिर किसी पर विश्वास कर सके, किसी के हाथो में उम्मीदों का दिया सौंप सके. तब जाकर शुरू होती हैं भावनाओं की मौत का एक अनजाना सिलसिला.  

प्रेम की वो कामना तो अमर हैं, लेकिन उसे हम भीतर ही भीतर रोज मार डालते हैं.   
लेकिन क्यू, यही तो वह एहसास हैं जो हमें रोज जिन्दा रखता हैं,
हमारा समाज, एक परिभाषा बना कर बैठा हैं कि आंसू गिरना कमजोरी की निशानी हैं, और शायद इसलिए हमारा अहम यह स्वीकार नहीं करता कि हम कमजोर बने.

लेकिन मुझे एक बात बताइए -

क्या किसी की याद में आंसू गिरना गुनाह हैं ?

क्या किसी के सामने अपनी भावनाये रखना गुनाह हैं ?

क्या किसी से प्रेम का प्रतिदान मांगना गलत हैं ?

क्या किसी कि और निन्यानवे कदम चलके उससे एक कदम आगे आगे चलने की आशा करना गलत हैं ??

क्या भावनाहीन बनकर जीना आसान हैं ?

हां, शायद यही ज्यादा आसान हैं, और बुद्धिमत्तापूर्ण भी.  

लेकिन फिर क्यू हम शाहरुख खान टाईप, बर्फी सरीखि फिल्मे देख कर अपने आंसू नहीं रोक पाते, क्युकी हजारों मौत मारने के बाद भी वे भावनाये वहाँ जिन्दा बच जाती हैं,  
लेकिन फिर भी आप, बर्फ की उन बंद दीवारों में जीना चाहते हैं ?? जो सिर्फ और सिर्फ आपका दम घोंट रही हैं, किस मजबूती का ढोंग कर रहे हैं आप ??

 जब एक मुस्कराहट सब कुछ ठीक कर सकती हैं. याद कीजिये वो दिन जब माँ कि गोद स्विजरलेंड की वादियों से भी खूबसूरत लगता था, वो आज भी उतना ही खूबसूरत हैं, बस आपने वो रंग देखने बंद कर दिए.

 क्यू हर दुःख में हम किसी सबसे प्रिय के सीने से लगना चाहते हैं ??
क्युकी हम इंसान हैं, भावनाए हम में आज भी जीती है.
लेकिन फिर भी ना जानने क्यू हम मशीन बन गए हैं, भावनाये जताने में डरने लगे हैं?
 प्रेम की चाह सबको हैं लेकिन उसे मांगना कोई नहीं चाहता.
लेकिन आखिर क्यू  उसे ना मांगा जाए जो आपको सबसे ज्यादा खुशी देता हैं.
जो आपको मुस्कुराने के लाखो मौके दे उससे ये नाउम्मीदी क्यू ?


हां, प्रेम में थोड़ी सी मूर्खताए होती हैं, लेकिन बच्चे भी तो सभी को इसीलिये अच्छे लगते हैं क्युकी वे थोड़ी सी मूर्खताए करते हैं, सभी एक बार फिर से बच्चा बन जाना चाहते हैं, लेकिन फिर भी बच्चा बनने से कतराते हैं, जब पता हैं कि यह एहसास खुशी देगा तो आखिर क्यू उस खुशी से डरना, क्यू किसी और की परवाह करना.  

अपने भीतर से उस मजबूत इंसान को मत मारिये, आने दीजिए उसे बाहर,
लड़ने दीजिए उसे जिंदगी की जंग हो सकता हैं इस बार वही जित जाते, जिसे आप कमजोर समझ कर लड़ने का मौका ही नहीं दे रहे थे,

भावनाये अमर हैं उन्हें मारा नहीं जा सकता, उन्हें मारने के नाम पर अपने जीवन की शांति को मारना बंद करो.  
भावनाएं तो आजाद परिंदे हैं, उन्हें जीभर के उड़ान भरने दो.  


प्रेम करते रहो, सब से, हर एक से,

क्या पता किसी से तुम्हे भी बदले में वैसा प्रेम मिल जाए, जिसका स्वप्न तुमने संजोया था.

हर पल जियो, प्रेम लूटाओं, खुश रहो,
मौके तलाशने की क्या जरुरत हैं ??


Sunday, December 16, 2012

You are my Everything तुम मेरा सर्वस्व हो प्रियतम





                'तुम मेरा सर्वस्व हो प्रियतम'

हो सकता हैं प्रियतम कि तुम्हारी लिये मैं कुछ भी नहीं
इस शतरंज की बिसात पर मेरे बादशाह, हो सकता हैं मेरी हस्ती कुछ भी नहीं

लेकिन मेरे प्रियतम  तुम तो मेरा सर्वस्व हो, जीवन हो, प्राण हो.  

वो अलफ़ाज़ नहीं है मेरे पास कि तुम्हे दिखला सकू,
तुम्हारा महत्व अपने जीवन में.
क्युकी तुम ही तो मेरा जीवन हो प्रियतम.

तुम हर वो शब्द हो, जिसे मैं बोलती हूँ.
तुम हर वो गीत हो, जिसे मैं गुनगुनाती हूँ.
तुम वो दर्द हो, जिसमे भी एक मजा हैं.

तुम वो बरसात हो, जिसमे भीगना मुझे लुभाता हैं.

तुम वो दर्पण हो प्रिय, जिसमे मैं स्वयं को और भी, बहुत, खूबसूरत पाती हूँ.

तुम मेरा वो रहस्य हो प्रिय, जिसे मैं जग से छुपाना चाहती हूँ,
बस अपने ह्रदय के पास रखना चाहती हूँ.

तुम वो कथा हो प्रिय, जिसे मैं बरबस बारबार पढ़ना चाहती हूँ.

तुम मेरा वो सपना हो मीत, जिस पर मैं अंध श्रद्धा रखना चाहती हूँ.

तुम वो पक्षी हो प्रियतम, जिसके के साथ में उड़ना चाहती हूँ. दूर बहुत दूर .. सीमाओं से परे


तुम मेरी श्वास हो प्रिय, तुम्हे चुनना नहीं चाहती हूँ मैं
क्युकी तुम्हारा कोई विकल्प ही नहीं हैं.


तुम तो मेरा वह अनंत शास्वस्त सत्य हो, जिस पर मुझे गर्व हैं,
चीख चीख कर जिसे सुनाना चाहती हूँ मैं इसे विश्व को.

तुम मेरी वो भावना हो प्रिय जिसे महसूस करके मैं स्वयं को पा जाती हूँ.

तुम वो पुष्प हो प्रिय, जिसे मैं सिर्फ मैं सूंघना चाहती हूँ.

सिर्फ तुम ही वो हो प्रियतम जो मेरे प्रियतम शब्द को मायने दे सकता हैं..

तुम मेरा वो अतीत हो, जिसमें मैं सदा मुस्कुराई हूँ, जिससे मैं प्रेम करती हूँ.

तुम मेरा वो भविष्य हो, जिसमे मैं स्वयं को सुरक्षित पाती हूँ, जिससे मैं प्रेम करती हूँ.

तुम मेरा वह वर्तमान हो, जिससे मैं केवल मात्र प्रेम करती हूँ.

इसके सिवाए और क्या कहू हमदम

मेरे शब्दकोष मैं इतनी क्षमता हैं भी नहीं.
लेकिन फिर भी तुम्हे जतलाना चाहती हूँ प्रियतम
कि तुम्हारी श्रष्टि में मेरा स्थान भले ही नगण्य हो
परन्तु तुम मेरा सर्वस्व हो प्रियतम


Tuesday, November 27, 2012

एक पत्र



एक पत्र 

एक पत्र लिखती हूँ प्रियतम, वह पत्र जो तुम्हारी खुशबू से रचा बसा हो
एक पत्र लिखती हूँ प्रियतम, वह पत्र जो मेरा प्यार में डूबा हुआ हो .....

तुम्हे जितना समझने की कोशिश की हमदम  उतना ही उलझती गई
तुम्हारी प्रीत में ......

नहीं चाहती कोई महल कोई किला,
मेरे राजकुमार की बांहों से बड़ा कोई महल होगा भी कहाँ.

हां एक बार, तुम्हारी बांहों में जीकर देखा था मैंने, 
लगा था ... मानो जन्मो की तपश्या के बाद ये दिन  आया हैं .... 
दिल किया था बस संजो कर रख लू इस क्षण को .... 

बस वो जो पल उसके साथ बिताए हैं मेरे धरोहर हैं ....
दोस्त हो तुम मेरे  .... क्युकी तुम्हारे  साथ मैं  हर वो बात शेयर कर सकती हु
जो में खुद भी नहीं जानती हूँ

तुम्हारे साथ मैं मैं बन कर जी सकती हूँ .

तुम्हारे साथ हर बचपना कर सकती हु.

याद हैं मुझे, जब टूट चुकी थी, तुम्हे ही फोन किया था, रोई थी मैं
क्युकी तुम मेरा विश्वास हो ,  मेरी श्रद्धा हो , मेरी आस्था हो. 

ना जाने कब तुम्हारी  उन खूबसूरत आँखों में खोने के लिये जी मचलने लगा
ना जाने कब जी करने लगा कि तुम्हारे करीने से सवारे हुए बालो कि बिखेर दू

ना जाने कब ये सपना देख बैठी
कि सत्तर साल की उमर में भी  एक हाथ में लकडी और दूसरे हाथ में मेरा हाथ थाम कर
तुम मुझे बैंड स्टैंड ले जाओगे  .....
जहाँ बैठकर हम दोनों सारी दुनिया के घोटाले भुलाकर सिर्फ खुद को याद रखेंगे.

आँखे सपने देख रही थी और रो भी रही थी .... डर था उन्हें कि वे गलत इंसान पर जा टिकी हैं ....

नहीं, तुम  गलत कैसे हो सकते हो  ??? दुनिया कहती हैं तुम  सोने सरीखे  हो  ......

तुम्हारा नाम सुनकर जो उसे तुम्हे थोड़ा भी जानते हैं , उनकी भी आँखों में चमक आ जाती हैं.

शालीमार मोर्या की सीढियां रूबरू हैं मेरे उन आसूंओं से
जो हर बार तुम्हारी याद में अनजाने ही आँखों से लुढक पड़े.

रोक कर भी नहीं रोक पायी मैं

तुम्हारे अंदर मैंने आशिता को जीते देखा ...

तुम्हे मैंने आशिता से भी ज्यादा आशिता जैसा पाया ....
हर वो खूबी हैं तुममे  जिसके मैंने स्वप्न सजोये  ....

और इसलिए शायद तुम्हारे होने का एह्साह ही मेरी मुस्कुराहटो को बरकरार रखने के लिये काफी हैं ...

एक जिंदगी क्या कई .. सिर्फ तुम्हारी  अमानत हैं ...
तुम्हारी  मुस्कुराहटो पर कुर्बान हैं ....

क्युकी  मुझमे तुम मेरे अंदर तक जीते  हो प्रियतम  ...
और तुम्हारे अंदर  मैं खुद को जीते देखती हु ....
  




Saturday, September 15, 2012

The Child finally died !!!




It was my Birthday 
You wanted to make my birthday the most memorable day of my life.

We met, we hugged, we kissed. 

You touched my waist in a gantle manner your that touch still facinates me. 
You played with my hair and I found my life getting its meaning.
You Kissed my foreheard, You cried on my lap
I found the treasure of the world in your lap.
I found my eletrenal search belongs to your rosy chicks.
We looked at each othar & then looked at the world.
You smiled, you said I'm your everything.

The darkest night became bright cuz of our love.
It was the most beautiful night of my life.  

Next morning when we woke up you was so thrilled 
I felt so lucky that M the reason behid your smile. 

Your KARMA was calling you....You left..
Your work needs you..you have to go This is what i told during the adios.

A few days later I found myself pregnent. 
I was having your child in my womb. 
I was so thrilled So as you was. 
We hugged each other thru laptop.

Every relationship goes thru stuff. 
yes, we saw so many phases.
we fought, we cried, we hated, we loved, we teased, we smiled, we kissed
We were together.

I was so excited.
my nine months gonna complete after a single day.
I was about to deliver your baby.

you hugged me, We made love

Then we both cried on the Hard time. you promised me to be with me.
you said you was lucky that you found me.
you thanked me for taking care of your baby.

Don't know "usske baad kiski najar lag gyi"  

All of a sudden, You said
"hmare bich Jo bhi huaa bhul jaao use,
Wo raat ek galti thi,, galtiyaa kisse nahi hoti bhul jaao sab kuchh" 

I asked what about our child.
You said "Do you have a proof that It's my child ?

No, I don't have a single proof. 
You wanted to leave.....I asked, I begged, I paryed.
In return you kicked my womb, my stomach. 

I fainted & You left. 

I was alone, was crying, was seeing the blood & flesh of my child.

I screamed but You was not there.

I tried to save my child but In vain.
My child just died before its delivery.
Yes, The child finally died.................

May i ask you what was the fault of my child ???  


Don't forget my love was my child 

Sunday, May 20, 2012

Dowry 'दहेज - एक प्रथा या एक दानव'


Saw today's Episode of #SatymevJatye Felt so touched, felt bad for victims & those demons..Hats Off to Amir Khan
Just these few lines came out of the heart & presenting here for all of you Have a read & give reviews.....


हैं लोग यहा धन मतवाले तन के उजले मन के काले,
रिश्तों का जो व्यापार करे
जहाँ बेटी की लगती बोली, पैसों में आती बहू डोली
उस देश का यारो हैं चर्चा, क्या बेटी है बाबुल का खर्चा ?

जब कोई भी यहा बाप बने हो बेटी तो क्या अभिशाप गिने
बेटी की आयु बढ़ती हैं पिता की आयु घटती हैं
देंगे दहेज कैसे भारी, बेटी को ब्याहना क्या बीमारी ?
उस देश का यारो हैं चर्चा, क्या बेटी है कर्जे का परचा ?

बाते चलती मनुहारो से होते सौदे व्यापारों से
कर्जे से लाता धन उधर पुरे करता सारे करार
उस देश का यारो हैं चर्चा, क्या बेटी है बाबुल का खर्चा ?

जब आती बेटी की चिट्ठी गुम हो जाती सिट्टी पिट्टी
सब मुझको बहुत सताते हैं धन लाने को धमकाते हैं
पर बाप कहाँ दे पाता हैं ?
पहले का नहीं चुक पाता हैं.
उस देश का यारो हैं चर्चा, क्या बेटी है बाबुल का खर्चा ?

फिर आया वो संदेशा था जिसका सबको अंदेशा था
जल गई बहु लाचार बनी दैत्यों की निरीह शिकार बनी
मानव ने दानव रूप धरा
लालच में कैसा मरा –गिरा
सुन लो दहेज के लोभी सब
नहीं माफ करेगा तुमको रब !! 

बहुओं को हर घर प्यार मिले बेटी के सम सत्कार मिले
उस घर में वैभव धन होगा.
सबका सुखमय जीवन होगा
उस देश का यारो हैं चर्चा, जहाँ बहु का हो ऊँचा दर्जा 

Sunday, May 6, 2012

सेलेब्रिटी होने की कीमत


आये दिन अखबार अटे पड़े रहते हैं, ऐश्वर्या राय बच्चन के वजन से जुड़े समाचारों से. प्रेगनेंसी के पांच महीने बीतने के बाद ऐश्वर्या राय का बढ़ता मोटापा इन दिनों हर तरफ चर्चा का विषय बना हुआ है. मोटी हो जाने के कारण बच्चन बहू की कुछ लोग आलोचना भी कर रहे हैं. हाल ही में मुकेश अंबानी की पार्टी में पहुंची ऐश की तस्वीरें प्रकाशित होने के बाद चर्चाओं का दौर शुरू हुआ है. तस्वीरों के इंटरनेट और सोशल मीडिया में आने के बाद लोग इस पर बिल्कुल हैरान हैं। कुछ का कहना है कि ऐश्वर्या अपने वजन को को लेकर गंभीर नहीं है  तो कुछ लोग जोर शोर से उनकी मजाक उडा रहे हैं. लेकिन क्यू यह हैं बहुत स्वाभाविक प्रक्रिया हैं जब गर्भावस्था के दौरान एक स्त्री का वजन बढ़ जाता हैं. इस दौरान उनके शरीर में दो जाने पलती हैं और अपने बच्चे के उत्तम स्वास्थ्य के लिये उसे विटामिन युक्त संतुलित आहार लेना ही होता हैं. बच्चे के जन्म के बाद ज्यादातर माएं मोटी हो ही जाती हैं जो अपने आप ठीक हो जाता हैं. कहते हैं माँ बनकर ही एक औरत को अपने औरत होने पर घमंड होता हैं माँ बनकर ही वह अपने आप को पूरी तरह से औरत महसूस करती हैं. माँ होंने का एहसास एक औरत का और भी खूबसूरत बना देता हैं. यही बात बच्चन बहु पर भी तो लागू होती हैं. वह नारी होने के सुख को उठा रही है क्या हक है हमे उनके इस सुख में खलल डालने का.

किसी भी अन्य महिलाओं की तरह ही गर्भावस्था में बढ़े वजन को घटाने में उन्हें कुछ समय लगेगा ही. वह एक बड़ी  सेलिब्रिटी हैं और हमें उनकी दाद देनी चाहिए की वह इस रूप में भी मीडिया के सामने आने से नहीं हिचकिचा रही हैं. वे अपने मातृत्व का सुख ले रही हैं. एक माँ होने के एहसास को महसूस कर रही हैं एन्जॉय कर रही हैं. प्रेगनेंसी के बाद वजन कम करने में वक्त लगता है.  ऐश के वजन को लेकर लोग इतने चिंतित क्यों हैं यह उनका पर्सनल मुद्दा हैं जन उन्हें व्यावसायिक तौर पर या फिल्मो के लिये या फिर अपने व्यक्तिगत जीवन में वजन कम करने की जरुरत महसूस होगी वे कर लेंगी. इसके लिये उनपर बाहर से दवाब बनाने की जरुरत क्या हैं. क्या एक मशहूर सेलेब्रिटी होंने का यही हर्जाना हैं कि आप उनके व्यक्तिगत जीवन को लेकर इतना चिंतित हो उसमे इतना दखल करे. स्टारडम की यह कीमत तो नहीं कि आप अपने बेहद व्यक्तिगत क्षणों का लोगो को मजाक उड़ाने दे. इतनी बड़ी सेलिब्रिटी होने के बावजूद वह अपने आपको छुपा नहीं रही हैं और मातृत्व का भरपूर आनंद ले रही हैं यह अच्छी बात है. वह इस वक्त को एन्जॉय कर रही हैं जब वजन कम करना होगा कर लेंगी. ऐसे में इस बात को लेकर इतना हो हल्ला मचाने की क्या जरुरत है. हम उन्हें प्यार करते हैं उन्हें सुनहरे पर्दे पर देखना चाहते हैं ठीक हैं. लेकिन क्या इसके लिये हम उन्हें वक्त नहीं दे सकते. अनर्गल और बेतुकी बाते करने से क्या सिद्ध होगा. क्या हम अपनी विश्व सुन्दरी को उनका जीवन उसके अनुसार नहीं जीने देंगे?